सावधान पाकिस्‍तान! बहते पानी की तरह गोलियों की बाढ़ ला देगा भारत का ये हथियार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन हमलों को नाकाम करने वाले एयर डिफेंस सिस्टम्स में ZSU-23-4 (SHILKA) भी शामिल था. इंटीग्रेटेड रडार सिस्टम की मदद से यह दुश्मन के ड्रोन को ट्रैक करके उस पर ताबड़-तोड़ फायरिंग शुरू कर देता है. जब इससे फायरिंग होती है तो कोई आवाज सुनाई नहीं पड़ती. जैसे पानी बहता है उस तरह इससे फायरिंग होती है और इसकी गोली लोहे या एल्मुनियम की मोटी शीट को भी चीरकर आर-पार हो जाती है. 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. 6-7 मई की दरमियानी रात को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में 9 अलग-अलग इलाकों में मौजूद आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया था. इस कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने 8 मई को भारत के कई शहरों के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन से हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने सभी ड्रोन्स को हवा में ही तबाह कर दिया. इनमें S-400, आकाश, MRSAM, L-70 और शिल्का एयर डिफेंस शामिल हैं. ZSU-23-4 (SHILKA) की विशेषताएं- रेंज- 2.5 KM से ज्यादा लक्ष्य- ड्रोन, हेलीकॉप्टर और लॉ हाइट पर उड़ने वाले विमान फायर रेट- 4000 राउंड प्रति मिनट फायर रेट प्रति बैरल- 850 से 1000 राउंड प्रति मिनट स्पीड- 50 किमी प्रति घंटा मार्गदर्शन प्रणाली- रडार और ऑप्टिकल ट्रैकिंग तैनाती- बख्तरबंद वाहन पर स्व-चालित वजन- 20 किलोग्राम शिल्का एआई से लैस है, जो 360 डिग्री पर घूमकर चारों तरफ से ड्रोन्स के हमलों का मुकाबला कर सकता है. ये डिफेंस सिस्टम दुश्मन ड्रोन्स को ट्रैक करके उन्हें तबाह कर देता है. दिन-रात और हर मौसम में यह काम करने में सक्षम है. इसमें ऑटोमेटिक ट्रैकिंग सिस्टम लगा है, जो रडार की मदद से लक्ष्य लॉक करके सीधे फायर कर देता है.  शिल्का इतनी स्पीड से फायरिंग करता है कि उसकी आवाज सुनाई नहीं पड़ती है. किसी के कान कितने भी तेज हों, लेकिन पता ही नहीं चलेगा, जैसे पानी बह रहा है, उस तरह से इससे गोलियां चलती हैं. इसका 6-8 इंच जितना लंबा एक राउंड होता है, जो कार की एल्युमिनियम या लोहे से बनी हुई बॉडी को भी फाड़कर बाहर निकल जाएगा. ये लॉ फ्लाइंग हेलीकॉप्टर और ड्रोन को तबाह करने में सक्षम है.   यह भी पढ़ें:-Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना प्रमुख पहुंचे लौंगेवाला! जानें क्यों कोणार्क कोर को दी शाबाशी 

May 20, 2025 - 18:30
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सावधान पाकिस्‍तान! बहते पानी की तरह गोलियों की बाढ़ ला देगा भारत का ये हथियार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन हमलों को नाकाम करने वाले एयर डिफेंस सिस्टम्स में ZSU-23-4 (SHILKA) भी शामिल था. इंटीग्रेटेड रडार सिस्टम की मदद से यह दुश्मन के ड्रोन को ट्रैक करके उस पर ताबड़-तोड़ फायरिंग शुरू कर देता है. जब इससे फायरिंग होती है तो कोई आवाज सुनाई नहीं पड़ती. जैसे पानी बहता है उस तरह इससे फायरिंग होती है और इसकी गोली लोहे या एल्मुनियम की मोटी शीट को भी चीरकर आर-पार हो जाती है.

22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. 6-7 मई की दरमियानी रात को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में 9 अलग-अलग इलाकों में मौजूद आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया था. इस कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने 8 मई को भारत के कई शहरों के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन से हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने सभी ड्रोन्स को हवा में ही तबाह कर दिया. इनमें S-400, आकाश, MRSAM, L-70 और शिल्का एयर डिफेंस शामिल हैं.

ZSU-23-4 (SHILKA) की विशेषताएं-

  • रेंज- 2.5 KM से ज्यादा
  • लक्ष्य- ड्रोन, हेलीकॉप्टर और लॉ हाइट पर उड़ने वाले विमान
  • फायर रेट- 4000 राउंड प्रति मिनट
  • फायर रेट प्रति बैरल- 850 से 1000 राउंड प्रति मिनट
  • स्पीड- 50 किमी प्रति घंटा
  • मार्गदर्शन प्रणाली- रडार और ऑप्टिकल ट्रैकिंग
  • तैनाती- बख्तरबंद वाहन पर स्व-चालित
  • वजन- 20 किलोग्राम

शिल्का एआई से लैस है, जो 360 डिग्री पर घूमकर चारों तरफ से ड्रोन्स के हमलों का मुकाबला कर सकता है. ये डिफेंस सिस्टम दुश्मन ड्रोन्स को ट्रैक करके उन्हें तबाह कर देता है. दिन-रात और हर मौसम में यह काम करने में सक्षम है. इसमें ऑटोमेटिक ट्रैकिंग सिस्टम लगा है, जो रडार की मदद से लक्ष्य लॉक करके सीधे फायर कर देता है. 

शिल्का इतनी स्पीड से फायरिंग करता है कि उसकी आवाज सुनाई नहीं पड़ती है. किसी के कान कितने भी तेज हों, लेकिन पता ही नहीं चलेगा, जैसे पानी बह रहा है, उस तरह से इससे गोलियां चलती हैं. इसका 6-8 इंच जितना लंबा एक राउंड होता है, जो कार की एल्युमिनियम या लोहे से बनी हुई बॉडी को भी फाड़कर बाहर निकल जाएगा. ये लॉ फ्लाइंग हेलीकॉप्टर और ड्रोन को तबाह करने में सक्षम है.

 

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Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना प्रमुख पहुंचे लौंगेवाला! जानें क्यों कोणार्क कोर को दी शाबाशी 

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