सहारा ग्रुप पर ED की बड़ी कार्रवाई, 4 शहरों में 9 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी, मिले कई अहम सबूत

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कोलकाता जोनल कार्यालय की टीम ने सोमवार (11 अगस्त, 2025) को सहारा ग्रुप से जुड़े नौ ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. ये छापेमारी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, लखनऊ, श्रीगंगानगर जिले में और महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में की गई. यह कार्रवाई PMLA के तहत दर्ज केस में हुई, जिसमें सहारा ग्रुप पर जमीन और शेयर डीलिंग के जरिए बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने का आरोप हैं. ED ने ये जांच दर्ज तीन एफआईआर के आधार पर शुरू की थी, जो उड़ीसा, बिहार और राजस्थान पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 और 120B के तहत हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड (Humara India Credit Cooperative Society Ltd.) और अन्य पर दर्ज की थी. सहारा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों के खिलाफ अब तक 500 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी है, जिनमें 300 से ज्यादा ऐसे केस हैं जो PMLA के तहत आते हैं. आरोप है कि इन कंपनियों ने जमाकर्ताओं को मजबूरी में दोबारा पैसे जमा करवाए और मैच्योरिटी पर पैसे लौटाने से मना कर दिया. अब तक ईडी की जांच में क्या हुआ खुलासा जांच में सामने आया कि सहारा ग्रुप HICCSL, SCCSL, SUMCS, SMCSL, SICCL, SIRECL, SHICL जैसी कंपनियों के जरिए एक तरह का पोंजी स्कीम चला रहा था. लोगों और एजेंट्स को हाई रिटर्न और मोटा कमीशन देने का लालच देकर पैसे जुटाए जाते थे. इन पैसों को बिना किसी रेगुलेशन और पारदर्शिता के मैनेज किया जाता था. जिनका मैच्योरिटी टाइम आ चुका था. उन्हें पैसे देने की बजाय झूठे बहाने और दबाव डालकर फिर से इंवेस्ट करा दिया जाता था. कंपनी के अकाउंट्स में भी हेराफेरी कर गैर-भुगतान को छुपाया जाता था. रिपोर्ट के मुताबिक, सहारा ग्रुप की आर्थिक हालत खराब होने के बावजूद नए डिपॉजिट लिए जाते रहे, जिनमें से कुछ पैसे संदिग्ध शेयर डील, बेनामी संपत्तियों और निजी खर्चों में उड़ाए गए. कई प्रॉपर्टी को आंशिक कैश पेमेंट लेकर बेचा गया, जिससे असली जमाकर्ताओं को उनका पैसा नहीं मिला. छापेमारी में ईडी के हाथ लगे कई अहम दस्तावेज और सबूत इस छापेमारी में ईडी को कई अहम दस्तावेज और रिकॉर्ड मिले है. साथ ही ग्रुप से जुड़े बड़े लोगों के बयान भी दर्ज किए गए है. इससे पहले, इस केस में ईडी ने तीन प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी किए थे, जिनमें- अंबी वैली की 707 एकड़ जमीन (मार्केट वैल्यू करीब 1460 करोड़) सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड की 1023 एकड़ जमीन (कीमत करीब 1538 करोड़) श्रीमती चंदनी रॉय (पत्नी सीमांत रॉय) की मूवेबल प्रॉपर्टी (75 करोड़) जब्त की गई थी. सहारा ग्रुप से संबंधित दो बड़े अधिकारियों फिलहाल न्यायिक हिरासत में ईडी ने पहले ही सहारा ग्रुप के चेयरमैन कोर मैनेजमेंट ऑफिस के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनिल वेलापरमपिल अब्राहम और लंबे समय से जुड़े प्रॉपर्टी ब्रोकर जितेंद्र प्रसाद वर्मा को गिरफ्तार किया हुआ है. दोनों फिलहाल ज्यूडिशियल कस्टडी में है. इस मामले में ईडी की जांच लगातार जारी है. आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं. यह भी पढ़ेंः तमिलनाडु में 550 करोड़ की लागत से बने पंबन ब्रिज में आई तकनीकी खराबी, 3 घंटे से फंसी हैं दो ट्रेनें

Aug 13, 2025 - 00:30
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सहारा ग्रुप पर ED की बड़ी कार्रवाई, 4 शहरों में 9 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी, मिले कई अहम सबूत

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कोलकाता जोनल कार्यालय की टीम ने सोमवार (11 अगस्त, 2025) को सहारा ग्रुप से जुड़े नौ ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. ये छापेमारी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, लखनऊ, श्रीगंगानगर जिले में और महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में की गई. यह कार्रवाई PMLA के तहत दर्ज केस में हुई, जिसमें सहारा ग्रुप पर जमीन और शेयर डीलिंग के जरिए बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने का आरोप हैं.

ED ने ये जांच दर्ज तीन एफआईआर के आधार पर शुरू की थी, जो उड़ीसा, बिहार और राजस्थान पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 और 120B के तहत हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड (Humara India Credit Cooperative Society Ltd.) और अन्य पर दर्ज की थी. सहारा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों के खिलाफ अब तक 500 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी है, जिनमें 300 से ज्यादा ऐसे केस हैं जो PMLA के तहत आते हैं. आरोप है कि इन कंपनियों ने जमाकर्ताओं को मजबूरी में दोबारा पैसे जमा करवाए और मैच्योरिटी पर पैसे लौटाने से मना कर दिया.

अब तक ईडी की जांच में क्या हुआ खुलासा

जांच में सामने आया कि सहारा ग्रुप HICCSL, SCCSL, SUMCS, SMCSL, SICCL, SIRECL, SHICL जैसी कंपनियों के जरिए एक तरह का पोंजी स्कीम चला रहा था. लोगों और एजेंट्स को हाई रिटर्न और मोटा कमीशन देने का लालच देकर पैसे जुटाए जाते थे. इन पैसों को बिना किसी रेगुलेशन और पारदर्शिता के मैनेज किया जाता था. जिनका मैच्योरिटी टाइम आ चुका था. उन्हें पैसे देने की बजाय झूठे बहाने और दबाव डालकर फिर से इंवेस्ट करा दिया जाता था. कंपनी के अकाउंट्स में भी हेराफेरी कर गैर-भुगतान को छुपाया जाता था.

रिपोर्ट के मुताबिक, सहारा ग्रुप की आर्थिक हालत खराब होने के बावजूद नए डिपॉजिट लिए जाते रहे, जिनमें से कुछ पैसे संदिग्ध शेयर डील, बेनामी संपत्तियों और निजी खर्चों में उड़ाए गए. कई प्रॉपर्टी को आंशिक कैश पेमेंट लेकर बेचा गया, जिससे असली जमाकर्ताओं को उनका पैसा नहीं मिला.

छापेमारी में ईडी के हाथ लगे कई अहम दस्तावेज और सबूत

इस छापेमारी में ईडी को कई अहम दस्तावेज और रिकॉर्ड मिले है. साथ ही ग्रुप से जुड़े बड़े लोगों के बयान भी दर्ज किए गए है. इससे पहले, इस केस में ईडी ने तीन प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी किए थे, जिनमें-

  • अंबी वैली की 707 एकड़ जमीन (मार्केट वैल्यू करीब 1460 करोड़)
  • सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड की 1023 एकड़ जमीन (कीमत करीब 1538 करोड़)
  • श्रीमती चंदनी रॉय (पत्नी सीमांत रॉय) की मूवेबल प्रॉपर्टी (75 करोड़) जब्त की गई थी.

सहारा ग्रुप से संबंधित दो बड़े अधिकारियों फिलहाल न्यायिक हिरासत में

ईडी ने पहले ही सहारा ग्रुप के चेयरमैन कोर मैनेजमेंट ऑफिस के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनिल वेलापरमपिल अब्राहम और लंबे समय से जुड़े प्रॉपर्टी ब्रोकर जितेंद्र प्रसाद वर्मा को गिरफ्तार किया हुआ है. दोनों फिलहाल ज्यूडिशियल कस्टडी में है. इस मामले में ईडी की जांच लगातार जारी है. आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः तमिलनाडु में 550 करोड़ की लागत से बने पंबन ब्रिज में आई तकनीकी खराबी, 3 घंटे से फंसी हैं दो ट्रेनें

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