वोट चोरी से लेकर हाउस नंबर जीरो तक... चुनाव आयोग ने दिया विपक्ष के हर आरोप का जवाब
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार (17 अगस्त, 2025) को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के विवाद को लेकर विपक्ष की ओर से 'वोट चोरी' के आरोपों का खंडन किया. मतदाता सूची प्रक्रिया को लेकर पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि आयोग के सामने ना कोई पक्ष है और ना विपक्ष, सारे राजनीतिक दल समान हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ने दी खास जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ज्ञानेश कुमार ने कुछ अहम मुद्दों को लेकर खास जानकारी दी. 1. आयोग ने कहा, 'इस बात का खंडन नहीं किया जा सकता कि हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण के जरिए ही होता है. फिर चुनाव आयोग उन्हीं दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है? आयोग के लिए सभी राजनीतिक दल एक जैसे हैं. 2. पिछले दो दशकों से चुनाव प्रक्रिया में बदलाव को लेकर चर्चा चल रही थी, इसी को देखते हुए आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण को मंजूरी दी. 3. एसआईआर प्रक्रिया में, सभी मतदाताओं ने विभिन्न दलों की ओर से नामित 1.6 लाख बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) के साथ मिलकर संयुक्त रूप से इस प्रस्ताव को तैयार किया है. 4. ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, राजनीतिक दल और बीएलओ मिलकर ईमानदारी से काम कर रहे हैं. वे ना सिर्फ प्रमाणीकरण कर रहे हैं, बल्कि सिग्नेचर करके और वीडियो प्रशंसापत्र भी दे रहे हैं. आयोग प्रमुख ने कहा कि इतनी पारदर्शिता के बाद भी गंभीर चिंता की बात है कि प्रमाणित दस्तावेज और पार्टी की ओर से मनोनीत बीएलए की बात उनके ही राज्य या राष्ट्रीय स्तर तक नहीं पहुंच पा रही है और जानबूझकर हकीकत को नजरअंदाज किया जा रहा है. 5. आयोग ने कहा कि जब देश के 7 करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव आयोग के साथ खड़े हैं तो न तो चुनाव आयोग और न ही मतदाताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा सकता है. 6. मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा, 'हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं. उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया. क्या चुनाव आयोग को मतदाताओं, उनकी माताओं, बहुओं या बेटियों के सीसीटीवी फुटेज साझा करने चाहिए? मतदाता सूची में जिनके नाम होते हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं.' 7. उन्होंने कहा, 'लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में एक करोड़ से भी अधिक कर्मचारी, 10 लाख से भी अधिक बूथ लेवल एजेंट्स, 20 लाख से भी अधिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट्स चुनाव के लिए कार्य करते हैं. इतने सारे लोगों के समक्ष इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई मतदाता वोट की चोरी कर सकता है? 8. ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'कुछ मतदाताओं की ओर से दोहरे मतदान के आरोप लगाए गए, सबूत मांगने पर जवाब नहीं मिला. ऐसे गलत आरोपों से न तो चुनाव आयोग डरता है न ही कोई मतदाता डरता है. जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है.' उन्होंने कहा कि ऐसे में चुनाव आयोग आज सबको स्पष्ट करना चाहता है कि हम निडरता के साथ सभी गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला और युवा समेत सभी वर्गों और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा.' 9. आयोग ने कहा, 'मशीन द्वारा पढ़े जाने वाली मतदाता सूची पर प्रतिबंध है. चुनाव आयोग का यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद है और 2019 से है, 10. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सवाल खड़े करते हुए कहा, 'क्या आप जानते हैं कि इस देश में करोड़ों लोगों के पते के आगे जीरो नंबर लगा है, क्यों? दरअसल पंचायत या नगरपालिका ने उनके घर को कोई नंबर नहीं दिया है.' ये भी पढ़ें:- नेपाल दौरे पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी, पीएम ओली और राष्ट्रपति पौडेल से मुलाकात, द्विपक्षीय सम्बन्धों पर चर्चा

देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार (17 अगस्त, 2025) को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के विवाद को लेकर विपक्ष की ओर से 'वोट चोरी' के आरोपों का खंडन किया. मतदाता सूची प्रक्रिया को लेकर पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि आयोग के सामने ना कोई पक्ष है और ना विपक्ष, सारे राजनीतिक दल समान हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ने दी खास जानकारी
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ज्ञानेश कुमार ने कुछ अहम मुद्दों को लेकर खास जानकारी दी.
1. आयोग ने कहा, 'इस बात का खंडन नहीं किया जा सकता कि हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण के जरिए ही होता है. फिर चुनाव आयोग उन्हीं दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है? आयोग के लिए सभी राजनीतिक दल एक जैसे हैं.
2. पिछले दो दशकों से चुनाव प्रक्रिया में बदलाव को लेकर चर्चा चल रही थी, इसी को देखते हुए आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण को मंजूरी दी.
3. एसआईआर प्रक्रिया में, सभी मतदाताओं ने विभिन्न दलों की ओर से नामित 1.6 लाख बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) के साथ मिलकर संयुक्त रूप से इस प्रस्ताव को तैयार किया है.
4. ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, राजनीतिक दल और बीएलओ मिलकर ईमानदारी से काम कर रहे हैं. वे ना सिर्फ प्रमाणीकरण कर रहे हैं, बल्कि सिग्नेचर करके और वीडियो प्रशंसापत्र भी दे रहे हैं. आयोग प्रमुख ने कहा कि इतनी पारदर्शिता के बाद भी गंभीर चिंता की बात है कि प्रमाणित दस्तावेज और पार्टी की ओर से मनोनीत बीएलए की बात उनके ही राज्य या राष्ट्रीय स्तर तक नहीं पहुंच पा रही है और जानबूझकर हकीकत को नजरअंदाज किया जा रहा है.
5. आयोग ने कहा कि जब देश के 7 करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव आयोग के साथ खड़े हैं तो न तो चुनाव आयोग और न ही मतदाताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा सकता है.
6. मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा, 'हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं. उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया. क्या चुनाव आयोग को मतदाताओं, उनकी माताओं, बहुओं या बेटियों के सीसीटीवी फुटेज साझा करने चाहिए? मतदाता सूची में जिनके नाम होते हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं.'
7. उन्होंने कहा, 'लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में एक करोड़ से भी अधिक कर्मचारी, 10 लाख से भी अधिक बूथ लेवल एजेंट्स, 20 लाख से भी अधिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट्स चुनाव के लिए कार्य करते हैं. इतने सारे लोगों के समक्ष इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई मतदाता वोट की चोरी कर सकता है?
8. ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'कुछ मतदाताओं की ओर से दोहरे मतदान के आरोप लगाए गए, सबूत मांगने पर जवाब नहीं मिला. ऐसे गलत आरोपों से न तो चुनाव आयोग डरता है न ही कोई मतदाता डरता है. जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है.'
उन्होंने कहा कि ऐसे में चुनाव आयोग आज सबको स्पष्ट करना चाहता है कि हम निडरता के साथ सभी गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला और युवा समेत सभी वर्गों और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा.'
9. आयोग ने कहा, 'मशीन द्वारा पढ़े जाने वाली मतदाता सूची पर प्रतिबंध है. चुनाव आयोग का यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद है और 2019 से है,
10. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सवाल खड़े करते हुए कहा, 'क्या आप जानते हैं कि इस देश में करोड़ों लोगों के पते के आगे जीरो नंबर लगा है, क्यों? दरअसल पंचायत या नगरपालिका ने उनके घर को कोई नंबर नहीं दिया है.'
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