मुंबई में कबूतरखानों को बंद करने के खिलाफ सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया, याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट में अपनी बात रखने को कहा
मुंबई कबूतरखाना मामले में दखल से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बॉम्बे हाई कोर्ट मामला सुन रहा है. 2 अलग-अलग कोर्ट में समानांतर कार्रवाई नहीं चल सकती. याचिकाकर्ता को जो भी कहना है, हाई कोर्ट में कहे. मामला कबूतरों को दाना डालने पर बीएमसी (बृहन्नमुम्बई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन) की रोक से जुड़ा है. बीएमसी ने कबूतरों के चलते मानव स्वास्थ्य को नुकसान के चलते कबूतरखानों को बंद करने का आदेश दिया है. बीएमसी के इस कदम के खिलाफ कई कबूतर प्रेमी बॉम्बे हाई कोर्ट गए हैं. 24 जुलाई को हाई कोर्ट ने रोक का आदेश देने से मना किया था. हाई कोर्ट के जस्टिस जी एस कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने लोगों के स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण कहा था. मामला अभी हाई कोर्ट में लंबित है. बीएमसी की कार्रवाई और हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुंबई की रहने वाली पल्लवी सचिन पाटिल सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. उन्होंने कबूतरों को दाना डालने वालों पर केस दर्ज करने समेत कई आदेशों को चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई ने याचिका सुनने से मना कर दिया. जजों ने कहा कि याचिकाकर्ता को जो भी बात कहनी है, वह हाई कोर्ट में कहे.

मुंबई कबूतरखाना मामले में दखल से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बॉम्बे हाई कोर्ट मामला सुन रहा है. 2 अलग-अलग कोर्ट में समानांतर कार्रवाई नहीं चल सकती. याचिकाकर्ता को जो भी कहना है, हाई कोर्ट में कहे. मामला कबूतरों को दाना डालने पर बीएमसी (बृहन्नमुम्बई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन) की रोक से जुड़ा है. बीएमसी ने कबूतरों के चलते मानव स्वास्थ्य को नुकसान के चलते कबूतरखानों को बंद करने का आदेश दिया है.
बीएमसी के इस कदम के खिलाफ कई कबूतर प्रेमी बॉम्बे हाई कोर्ट गए हैं. 24 जुलाई को हाई कोर्ट ने रोक का आदेश देने से मना किया था. हाई कोर्ट के जस्टिस जी एस कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने लोगों के स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण कहा था. मामला अभी हाई कोर्ट में लंबित है.
बीएमसी की कार्रवाई और हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुंबई की रहने वाली पल्लवी सचिन पाटिल सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. उन्होंने कबूतरों को दाना डालने वालों पर केस दर्ज करने समेत कई आदेशों को चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई ने याचिका सुनने से मना कर दिया. जजों ने कहा कि याचिकाकर्ता को जो भी बात कहनी है, वह हाई कोर्ट में कहे.
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