बार-बार क्यों रिजेक्ट हो जाता है एजुकेशन लोन, कहीं आप तो नहीं कर रहे ये गलती

अगर आप किसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं और आप ये पढ़ाई एजुकेशन लोन की मदद से करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. दरअसल, कई बार ऐसा देखा जाता है कि एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट के पास अचानक खबर आती है कि उसका लोन रिजेक्ट हो गया है. उस दौरान स्टूडेंट को अपने भविष्य मानों समझौता करना पड़ जाता है.   लेकिन क्या आप जानते हैं एजुकेशन लोन के रिजेक्ट होने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? आइए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप इस समस्या से बच सकते हैं.... किन वजहों  से रिजेक्ट होता है एजुकेशन लोन? अक्सर स्टूडेंट्स सोचते हैं कि रिजेक्शन उनकी गलती है, लेकिन सच यह है कि कई बार बैंक की नीतियां भी इसकी वजह बनती हैं. सबसे पहले बात करते हैं डॉक्यूमेंट्स की. बहुत से छात्र अधूरे कागजात जमा करते हैं या फिर एडमिशन लेटर और फीस स्ट्रक्चर में गड़बड़ी रह जाती है. ऐसे मामलों में बैंक तुरंत फाइल रोक देता है. एक बड़ी वजह क्रेडिट हिस्ट्री यानी CIBIL स्कोर भी है. अगर स्टूडेंट या उनके गारंटर ने पहले कोई लोन लिया हो और उसे समय पर चुकाया न हो, या EMI में देरी की हो, तो बैंक का भरोसा डगमगा जाता है. कमजोर क्रेडिट स्कोर का असर सीधे एजुकेशन लोन पर पड़ता है. गारंटर की प्रोफाइल कभी-कभी कोर्स और यूनिवर्सिटी भी लोन रिजेक्ट होने की वजह बन जाते हैं. बैंक उन कोर्सेज को प्राथमिकता देते हैं जिनकी मार्केट में अच्छी वैल्यू हो और जिनसे बाद में स्टूडेंट की जॉब मिलने की संभावना ज्यादा हो. अगर कोर्स कम लोकप्रिय है या उसकी प्लेसमेंट दर कमजोर है तो बैंक उसे रिस्क मानते हैं. गारंटर की प्रोफाइल भी अहम है. बैंक चाहता है कि अगर किसी वजह से छात्र लोन न चुका पाए तो गारंटर वित्तीय रूप से सक्षम हो. लेकिन यदि गारंटर की आय कम है या नौकरी स्थिर नहीं है तो बैंक आवेदन खारिज कर देता है. अगर बार-बार लोन रिजेक्ट हो तो क्या करें? रिजेक्शन मिलने के बाद छात्र अक्सर हताश हो जाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रास्ते बंद हो गए. सबसे पहला कदम है अलग-अलग बैंकों और NBFCs में अप्लाई करना. हर संस्था की अपनी शर्तें होती हैं, इसलिए एक जगह असफलता का मतलब यह नहीं कि हर जगह नाकामी होगी. इसके अलावा सरकार और विभिन्न संस्थाओं की स्कीमें भी काफी मददगार हो सकती हैं. SIDBI, NSDL या राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का फायदा उठाकर भी एजुकेशन लोन लिया जा सकता है. यदि पेरेंट्स की आय सीमित है तो किसी अन्य सक्षम रिश्तेदार को को-एप्लिकेंट बनाया जा सकता है. इससे बैंक को यह भरोसा मिलेगा कि लोन चुका दिया जाएगा. एक और अहम बात है CIBIL स्कोर. अगर पहले से छोटे-मोटे कर्ज हैं तो उन्हें समय पर चुका दें. EMI में नियमितता दिखाने से बैंक को यह संकेत मिलता है कि आप जिम्मेदार उधारकर्ता हैं. साथ ही अपने कोर्स और यूनिवर्सिटी की वैल्यू बैंक को अच्छे से समझाएं. प्लेसमेंट रिपोर्ट्स, कॉलेज की रैंकिंग और भविष्य की संभावनाओं से जुड़े दस्तावेज बैंक अफसर को दिखाएं. इससे उनके मन में भरोसा बढ़ेगा. लोन रिजेक्शन से बचने के लिए ये बात रखें ध्यान एजुकेशन लोन की तैयारी सिर्फ कागजात जुटाने तक सीमित नहीं है. आवेदन करने से पहले हर डॉक्यूमेंट को अच्छी तरह से जांच लें. कोर्स का ROI व आगे के मौकों के बारे में बैंक अधिकारी को स्पष्ट रूप से बताएं. अगर परिवार की इनकम कम है तो को-एप्लिकेंट रखना बहुत जरूरी है. इससे बैंक को यह सुरक्षा मिलती है कि रीपेमेंट किसी न किसी तरह होगा. इसके अलावा, स्कॉलरशिप या किसी अन्य फंडिंग का जिक्र करना भी मददगार होता है. यह भी पढ़ें :इरफान पठान या यूसुफ पठान...दोनों भाईयों में कौन है ज्यादा पढ़ा-लिखा?

Aug 20, 2025 - 15:30
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बार-बार क्यों रिजेक्ट हो जाता है एजुकेशन लोन, कहीं आप तो नहीं कर रहे ये गलती

अगर आप किसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं और आप ये पढ़ाई एजुकेशन लोन की मदद से करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. दरअसल, कई बार ऐसा देखा जाता है कि एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट के पास अचानक खबर आती है कि उसका लोन रिजेक्ट हो गया है. उस दौरान स्टूडेंट को अपने भविष्य मानों समझौता करना पड़ जाता है.  

लेकिन क्या आप जानते हैं एजुकेशन लोन के रिजेक्ट होने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? आइए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप इस समस्या से बच सकते हैं....

किन वजहों  से रिजेक्ट होता है एजुकेशन लोन?

अक्सर स्टूडेंट्स सोचते हैं कि रिजेक्शन उनकी गलती है, लेकिन सच यह है कि कई बार बैंक की नीतियां भी इसकी वजह बनती हैं. सबसे पहले बात करते हैं डॉक्यूमेंट्स की. बहुत से छात्र अधूरे कागजात जमा करते हैं या फिर एडमिशन लेटर और फीस स्ट्रक्चर में गड़बड़ी रह जाती है. ऐसे मामलों में बैंक तुरंत फाइल रोक देता है. एक बड़ी वजह क्रेडिट हिस्ट्री यानी CIBIL स्कोर भी है. अगर स्टूडेंट या उनके गारंटर ने पहले कोई लोन लिया हो और उसे समय पर चुकाया न हो, या EMI में देरी की हो, तो बैंक का भरोसा डगमगा जाता है. कमजोर क्रेडिट स्कोर का असर सीधे एजुकेशन लोन पर पड़ता है.

गारंटर की प्रोफाइल

कभी-कभी कोर्स और यूनिवर्सिटी भी लोन रिजेक्ट होने की वजह बन जाते हैं. बैंक उन कोर्सेज को प्राथमिकता देते हैं जिनकी मार्केट में अच्छी वैल्यू हो और जिनसे बाद में स्टूडेंट की जॉब मिलने की संभावना ज्यादा हो. अगर कोर्स कम लोकप्रिय है या उसकी प्लेसमेंट दर कमजोर है तो बैंक उसे रिस्क मानते हैं. गारंटर की प्रोफाइल भी अहम है. बैंक चाहता है कि अगर किसी वजह से छात्र लोन न चुका पाए तो गारंटर वित्तीय रूप से सक्षम हो. लेकिन यदि गारंटर की आय कम है या नौकरी स्थिर नहीं है तो बैंक आवेदन खारिज कर देता है.

अगर बार-बार लोन रिजेक्ट हो तो क्या करें?

रिजेक्शन मिलने के बाद छात्र अक्सर हताश हो जाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रास्ते बंद हो गए. सबसे पहला कदम है अलग-अलग बैंकों और NBFCs में अप्लाई करना. हर संस्था की अपनी शर्तें होती हैं, इसलिए एक जगह असफलता का मतलब यह नहीं कि हर जगह नाकामी होगी. इसके अलावा सरकार और विभिन्न संस्थाओं की स्कीमें भी काफी मददगार हो सकती हैं. SIDBI, NSDL या राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का फायदा उठाकर भी एजुकेशन लोन लिया जा सकता है.

यदि पेरेंट्स की आय सीमित है तो किसी अन्य सक्षम रिश्तेदार को को-एप्लिकेंट बनाया जा सकता है. इससे बैंक को यह भरोसा मिलेगा कि लोन चुका दिया जाएगा. एक और अहम बात है CIBIL स्कोर. अगर पहले से छोटे-मोटे कर्ज हैं तो उन्हें समय पर चुका दें. EMI में नियमितता दिखाने से बैंक को यह संकेत मिलता है कि आप जिम्मेदार उधारकर्ता हैं. साथ ही अपने कोर्स और यूनिवर्सिटी की वैल्यू बैंक को अच्छे से समझाएं. प्लेसमेंट रिपोर्ट्स, कॉलेज की रैंकिंग और भविष्य की संभावनाओं से जुड़े दस्तावेज बैंक अफसर को दिखाएं. इससे उनके मन में भरोसा बढ़ेगा.

लोन रिजेक्शन से बचने के लिए ये बात रखें ध्यान

एजुकेशन लोन की तैयारी सिर्फ कागजात जुटाने तक सीमित नहीं है. आवेदन करने से पहले हर डॉक्यूमेंट को अच्छी तरह से जांच लें. कोर्स का ROI व आगे के मौकों के बारे में बैंक अधिकारी को स्पष्ट रूप से बताएं. अगर परिवार की इनकम कम है तो को-एप्लिकेंट रखना बहुत जरूरी है. इससे बैंक को यह सुरक्षा मिलती है कि रीपेमेंट किसी न किसी तरह होगा. इसके अलावा, स्कॉलरशिप या किसी अन्य फंडिंग का जिक्र करना भी मददगार होता है.

यह भी पढ़ें :इरफान पठान या यूसुफ पठान...दोनों भाईयों में कौन है ज्यादा पढ़ा-लिखा?

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