प्रेतश्राप योग: जब राहु-केतु की छाया बन जाए जीवन का अंधकार, जानें उपाय और ज्योतिषीय रहस्य

प्रेतश्राप योग या पिशाच योग एक विशेष ग्रह स्थिति है जो किसी जातक को मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से प्रभावित कर सकती है. यह तब बनता है जब लग्न, चंद्रमा, शनि, राहु-केतु या बृहस्पति आपस में विशेष युति या दृष्टि में हों. विज्ञान इसे मनोवैज्ञानिक बीमारी मानता है, जबकि ज्योतिष इसे ग्रहों की दशा से उत्पन्न प्रभाव बताता है, जिसका समाधान भी उन्हीं में निहित होता है. एस्ट्रोलॉजर निखिल कुमार का इस विषय पर क्या कहना है, जानते हैं- किन ग्रह स्थितियों से बनता है प्रेतश्राप योग? जानिए 5 प्रमुख ज्योतिषीय संकेत लग्न या लग्नेश के साथ राहु या केतु की युति चंद्रमा पर राहु/केतु/शनि की युति या दृष्टि बृहस्पति की राहु या केतु के साथ युति नवम भाव या नवमेश की पीड़ा नीच का चंद्रमा या अष्टम/द्वादश में राहु-केतु ग्रहों का रहस्यमय प्रभाव, किसका क्या योगदान होता है? ग्रह भूमिका प्रेतयोग में योगदान चंद्रमा मन और स्मृति राहु-शनि के प्रभाव से भ्रम, भय शनि कर्म और मृत्यु अशुभ दृष्टि से पिशाच बाधा राहु-केतु छाया और भ्रम तामसिक ऊर्जा, भूत-प्रेत से संबंध बृहस्पति ज्ञान और धर्म राहु-केतु से युति होने पर साधक योग प्रेत बाधा के स्पष्ट लक्षण, क्या आपके जीवन में दिख रहे हैं ये संकेत? लगातार अनजाना डर या छाया देखना डॉक्टर से इलाज के बावजूद न ठीक होने वाली बीमारी सामाजिक रिश्तों में असामान्यता, अलगाव रात को विचित्र अनुभव, सपनों में डरावने दृश्य मानसिक संतुलन में गिरावट, अत्यधिक क्रोध या अवसाद प्रेत बाधित बनाम प्रेत साधक...कौन है अधिक शक्तिशाली? प्रकार योग संभावित परिणाम प्रेत बाधित चंद्र, शनि, राहु, केतु की पीड़ादायक युति पीड़ा, भ्रम, रोग प्रेत साधक बृहस्पति और राहु/केतु युति आध्यात्मिक शक्ति, लेकिन निजी जीवन में अभाव       क्या यह बाधा स्थायी रहती है? जानिए दशा आधारित ज्योतिषीय सत्यये योग जन्मकुंडली में हो सकते हैं लेकिन प्रभाव तब सक्रिय होता है जब दशा-अंतर्दशा में संबंधित ग्रह सक्रिय हों. उपचार तभी सफल होता है जब ग्रहों की दशा अनुकूल हो जाए, फिर माध्यम चाहे डॉक्टर हो, मंदिर हो या तांत्रिक. प्रेतश्राप योग के प्रभाव को शांत करने के उपाय, सरल लेकिन शक्तिशाली उपायों की सूची चंद्रमा: महामृत्युंजय जाप, शिव चालीसा, रूद्राभिषेक राहु-केतु: राहु बीज मंत्र, राहुकाल में शिव पूजन, नवग्रह शांति शनि: शनि स्तोत्र, शनिदेव पर तेल-तिल चढ़ाना, शनिवार को दान बृहस्पति: पीली वस्तुओं का दान, गुरु मंत्र जाप, बृहस्पतिवार व्रत सामूहिक उपाय: हनुमान चालीसा, तुलसी पूजन, नियमित ध्यान विज्ञान बनाम ज्योतिष, क्या दोनों साथ चल सकते हैं? दृष्टिकोण व्याख्या विज्ञान इसे मानसिक रोग मानता है – ट्रीटमेंट संभव ज्योतिष यह प्रभाव दशा आधारित है – सही उपाय से मुक्ति संभव दोनों में संघर्ष नहीं, पूरकता है. जब मानसिक रोग चिकित्सा से ठीक न हो, तब ज्योतिष में समाधान खोजा जाता है. हर योग का समाधान होता है लेकिन इसके लिए डर नहीं, दिशा जरूरी है. प्रेत बाधा हो या अन्य योग, सही समय पर चिकित्सा, पूजा और आध्यात्मिक संतुलन से समाधान संभव है. ध्यान रखें कि ग्रहों की दशा स्थायी नहीं होती, ना ही कोई बाधा जीवनभर रहती है. ज्ञान, विवेक और आस्था से हर अंधकार को दूर किया जा सकता है. FAQQ1. क्या प्रेतश्राप योग हमेशा जीवनभर असर करता है?नहीं, यह दशा आधारित होता है और दशा बदलने पर प्रभाव समाप्त हो सकता है. Q2. क्या इसका इलाज सिर्फ मंदिर में ही संभव है?नहीं, डॉक्टर, पूजा या साधना, जो भी माध्यम हो, असर तब ही होता है जब ग्रह दशा में परिवर्तन होता है. Q3. क्या प्रेत साधना करना उचित है?केवल गुरु मार्गदर्शन में और विशेष योग के साथ ही यह उपयुक्त हो सकता है, अन्यथा हानिकारक हो सकता है. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Jul 24, 2025 - 19:30
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प्रेतश्राप योग: जब राहु-केतु की छाया बन जाए जीवन का अंधकार, जानें उपाय और ज्योतिषीय रहस्य

प्रेतश्राप योग या पिशाच योग एक विशेष ग्रह स्थिति है जो किसी जातक को मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से प्रभावित कर सकती है. यह तब बनता है जब लग्न, चंद्रमा, शनि, राहु-केतु या बृहस्पति आपस में विशेष युति या दृष्टि में हों. विज्ञान इसे मनोवैज्ञानिक बीमारी मानता है,

जबकि ज्योतिष इसे ग्रहों की दशा से उत्पन्न प्रभाव बताता है, जिसका समाधान भी उन्हीं में निहित होता है. एस्ट्रोलॉजर निखिल कुमार का इस विषय पर क्या कहना है, जानते हैं-

किन ग्रह स्थितियों से बनता है प्रेतश्राप योग? जानिए 5 प्रमुख ज्योतिषीय संकेत

  1. लग्न या लग्नेश के साथ राहु या केतु की युति
  2. चंद्रमा पर राहु/केतु/शनि की युति या दृष्टि
  3. बृहस्पति की राहु या केतु के साथ युति
  4. नवम भाव या नवमेश की पीड़ा
  5. नीच का चंद्रमा या अष्टम/द्वादश में राहु-केतु

ग्रहों का रहस्यमय प्रभाव, किसका क्या योगदान होता है?

ग्रह भूमिका प्रेतयोग में योगदान
चंद्रमा मन और स्मृति राहु-शनि के प्रभाव से भ्रम, भय
शनि कर्म और मृत्यु अशुभ दृष्टि से पिशाच बाधा
राहु-केतु छाया और भ्रम तामसिक ऊर्जा, भूत-प्रेत से संबंध
बृहस्पति ज्ञान और धर्म राहु-केतु से युति होने पर साधक योग

प्रेत बाधा के स्पष्ट लक्षण, क्या आपके जीवन में दिख रहे हैं ये संकेत?

  • लगातार अनजाना डर या छाया देखना
  • डॉक्टर से इलाज के बावजूद न ठीक होने वाली बीमारी
  • सामाजिक रिश्तों में असामान्यता, अलगाव
  • रात को विचित्र अनुभव, सपनों में डरावने दृश्य
  • मानसिक संतुलन में गिरावट, अत्यधिक क्रोध या अवसाद

प्रेत बाधित बनाम प्रेत साधक...कौन है अधिक शक्तिशाली?

प्रकार योग संभावित परिणाम
प्रेत बाधित चंद्र, शनि, राहु, केतु की पीड़ादायक युति पीड़ा, भ्रम, रोग
प्रेत साधक बृहस्पति और राहु/केतु युति आध्यात्मिक शक्ति, लेकिन निजी जीवन में अभाव
     

क्या यह बाधा स्थायी रहती है? जानिए दशा आधारित ज्योतिषीय सत्य
ये योग जन्मकुंडली में हो सकते हैं लेकिन प्रभाव तब सक्रिय होता है जब दशा-अंतर्दशा में संबंधित ग्रह सक्रिय हों. उपचार तभी सफल होता है जब ग्रहों की दशा अनुकूल हो जाए, फिर माध्यम चाहे डॉक्टर हो, मंदिर हो या तांत्रिक.

प्रेतश्राप योग के प्रभाव को शांत करने के उपाय, सरल लेकिन शक्तिशाली उपायों की सूची

  • चंद्रमा: महामृत्युंजय जाप, शिव चालीसा, रूद्राभिषेक
  • राहु-केतु: राहु बीज मंत्र, राहुकाल में शिव पूजन, नवग्रह शांति
  • शनि: शनि स्तोत्र, शनिदेव पर तेल-तिल चढ़ाना, शनिवार को दान
  • बृहस्पति: पीली वस्तुओं का दान, गुरु मंत्र जाप, बृहस्पतिवार व्रत
  • सामूहिक उपाय: हनुमान चालीसा, तुलसी पूजन, नियमित ध्यान

विज्ञान बनाम ज्योतिष, क्या दोनों साथ चल सकते हैं?

दृष्टिकोण व्याख्या
विज्ञान इसे मानसिक रोग मानता है – ट्रीटमेंट संभव
ज्योतिष यह प्रभाव दशा आधारित है – सही उपाय से मुक्ति संभव

दोनों में संघर्ष नहीं, पूरकता है. जब मानसिक रोग चिकित्सा से ठीक न हो, तब ज्योतिष में समाधान खोजा जाता है.

हर योग का समाधान होता है लेकिन इसके लिए डर नहीं, दिशा जरूरी है. प्रेत बाधा हो या अन्य योग, सही समय पर चिकित्सा, पूजा और आध्यात्मिक संतुलन से समाधान संभव है.

ध्यान रखें कि ग्रहों की दशा स्थायी नहीं होती, ना ही कोई बाधा जीवनभर रहती है. ज्ञान, विवेक और आस्था से हर अंधकार को दूर किया जा सकता है.

FAQ
Q1. क्या प्रेतश्राप योग हमेशा जीवनभर असर करता है?
नहीं, यह दशा आधारित होता है और दशा बदलने पर प्रभाव समाप्त हो सकता है.

Q2. क्या इसका इलाज सिर्फ मंदिर में ही संभव है?
नहीं, डॉक्टर, पूजा या साधना, जो भी माध्यम हो, असर तब ही होता है जब ग्रह दशा में परिवर्तन होता है.

Q3. क्या प्रेत साधना करना उचित है?
केवल गुरु मार्गदर्शन में और विशेष योग के साथ ही यह उपयुक्त हो सकता है, अन्यथा हानिकारक हो सकता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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