पश्चिम बंगाल में NEET UG काउंसलिंग 2025 अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, अधर में हजारों छात्रों का भविष्य

पश्चिम बंगाल में मेडिकल पढ़ाई का सपना देखने वाले छात्रों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. नीट यूजी (NEET UG 2025) काउंसलिंग को राज्य सरकार ने अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है. इस फैसले से एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में एडमिशन की प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो गई है. लगभग 11 हजार से ज्यादा छात्र जो लंबे समय से काउंसलिंग शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, अब असमंजस की स्थिति में हैं. क्यों रोकी गई काउंसलिंग? रिपोर्ट्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार ने मेडिकल एडमिशन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सीटों के बंटवारे को लेकर उठ रहे सवालों के कारण यह बड़ा कदम उठाया है. बताया जा रहा है कि काउंसलिंग से जुड़े कुछ तकनीकी और प्रशासनिक मुद्दे सामने आए हैं, जिनका हल निकाले बिना सरकार आगे बढ़ने के मूड में नहीं है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसके पीछे के पूरे कारण साफ नहीं किए गए हैं, जिससे छात्रों और अभिभावकों में बेचैनी और बढ़ गई है. छात्रों की परेशानी बढ़ी काउंसलिंग स्थगित होने से हजारों छात्र चिंता में हैं. मेडिकल पढ़ाई की तैयारी में सालों मेहनत करने वाले ये छात्र अब नहीं जानते कि उनका दाखिला कब और कैसे होगा. कई छात्र ऐसे भी हैं जिन्होंने पहले से अन्य राज्यों या प्राइवेट कॉलेजों में विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं. लेकिन हर किसी के पास ये सुविधा या आर्थिक क्षमता नहीं है, इसलिए राज्य की काउंसलिंग ही उनका सहारा है. करियर पर असर एमबीबीएस और बीडीएस जैसी प्रोफेशनल डिग्री की पढ़ाई में देरी का असर सीधे छात्रों के करियर पर पड़ता है. एडमिशन लेट होने पर पढ़ाई का पूरा शेड्यूल बिगड़ जाता है. इससे न केवल छात्रों का समय बर्बाद होता है, बल्कि मेडिकल कॉलेजों का नया शैक्षणिक सत्र भी प्रभावित होता है. छात्रों को अब चिंता है कि कहीं इस देरी की वजह से उनका एक साल खराब न हो जाए. कोर्ट में जा सकते हैं छात्र मामला अब कानूनी पेंच में भी फंस सकता है. कई छात्रों और अभिभावकों ने संकेत दिए हैं कि अगर सरकार जल्द समाधान नहीं निकालती तो वे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. पहले भी कई राज्यों में मेडिकल एडमिशन प्रक्रिया को लेकर विवाद कोर्ट तक पहुंच चुके हैं. छात्रों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द पारदर्शी तरीके से काउंसलिंग शुरू करे ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे. राष्ट्रीय स्तर पर असर पश्चिम बंगाल में काउंसलिंग रुकी तो इसका असर राष्ट्रीय स्तर पर भी दिख सकता है. दरअसल, ऑल इंडिया कोटा (AIQ) और स्टेट कोटा की सीटों का आपस में तालमेल होता है. अगर राज्य काउंसलिंग में देरी होती है तो AIQ की कुछ सीटें भी समय पर फाइनल नहीं हो पाएंगी. इससे देशभर में मेडिकल एडमिशन का पूरा शेड्यूल प्रभावित हो सकता है. अभिभावकों की नाराजगी छात्रों के साथ-साथ अभिभावक भी सरकार के इस फैसले से नाराज हैं. उनका कहना है कि बच्चों का भविष्य दांव पर लगाकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती. अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे भी बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे. यह भी पढ़ें: ​कितने साल की नौकरी के बाद मिलेगा DSP मोहम्मद सिराज को प्रमोशन, जान लीजिए सर्विस रूल

Aug 19, 2025 - 15:30
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पश्चिम बंगाल में NEET UG काउंसलिंग 2025 अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, अधर में हजारों छात्रों का भविष्य

पश्चिम बंगाल में मेडिकल पढ़ाई का सपना देखने वाले छात्रों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. नीट यूजी (NEET UG 2025) काउंसलिंग को राज्य सरकार ने अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है. इस फैसले से एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में एडमिशन की प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो गई है. लगभग 11 हजार से ज्यादा छात्र जो लंबे समय से काउंसलिंग शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, अब असमंजस की स्थिति में हैं.

क्यों रोकी गई काउंसलिंग?

रिपोर्ट्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार ने मेडिकल एडमिशन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सीटों के बंटवारे को लेकर उठ रहे सवालों के कारण यह बड़ा कदम उठाया है. बताया जा रहा है कि काउंसलिंग से जुड़े कुछ तकनीकी और प्रशासनिक मुद्दे सामने आए हैं, जिनका हल निकाले बिना सरकार आगे बढ़ने के मूड में नहीं है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसके पीछे के पूरे कारण साफ नहीं किए गए हैं, जिससे छात्रों और अभिभावकों में बेचैनी और बढ़ गई है.

छात्रों की परेशानी बढ़ी

काउंसलिंग स्थगित होने से हजारों छात्र चिंता में हैं. मेडिकल पढ़ाई की तैयारी में सालों मेहनत करने वाले ये छात्र अब नहीं जानते कि उनका दाखिला कब और कैसे होगा. कई छात्र ऐसे भी हैं जिन्होंने पहले से अन्य राज्यों या प्राइवेट कॉलेजों में विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं. लेकिन हर किसी के पास ये सुविधा या आर्थिक क्षमता नहीं है, इसलिए राज्य की काउंसलिंग ही उनका सहारा है.

करियर पर असर

एमबीबीएस और बीडीएस जैसी प्रोफेशनल डिग्री की पढ़ाई में देरी का असर सीधे छात्रों के करियर पर पड़ता है. एडमिशन लेट होने पर पढ़ाई का पूरा शेड्यूल बिगड़ जाता है. इससे न केवल छात्रों का समय बर्बाद होता है, बल्कि मेडिकल कॉलेजों का नया शैक्षणिक सत्र भी प्रभावित होता है. छात्रों को अब चिंता है कि कहीं इस देरी की वजह से उनका एक साल खराब न हो जाए.

कोर्ट में जा सकते हैं छात्र

मामला अब कानूनी पेंच में भी फंस सकता है. कई छात्रों और अभिभावकों ने संकेत दिए हैं कि अगर सरकार जल्द समाधान नहीं निकालती तो वे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. पहले भी कई राज्यों में मेडिकल एडमिशन प्रक्रिया को लेकर विवाद कोर्ट तक पहुंच चुके हैं. छात्रों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द पारदर्शी तरीके से काउंसलिंग शुरू करे ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे.

राष्ट्रीय स्तर पर असर

पश्चिम बंगाल में काउंसलिंग रुकी तो इसका असर राष्ट्रीय स्तर पर भी दिख सकता है. दरअसल, ऑल इंडिया कोटा (AIQ) और स्टेट कोटा की सीटों का आपस में तालमेल होता है. अगर राज्य काउंसलिंग में देरी होती है तो AIQ की कुछ सीटें भी समय पर फाइनल नहीं हो पाएंगी. इससे देशभर में मेडिकल एडमिशन का पूरा शेड्यूल प्रभावित हो सकता है.

अभिभावकों की नाराजगी

छात्रों के साथ-साथ अभिभावक भी सरकार के इस फैसले से नाराज हैं. उनका कहना है कि बच्चों का भविष्य दांव पर लगाकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती. अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे भी बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे.

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