डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन पर जोर क्यों देते हैं डॉक्टर, इससे महिलाओं और उनके बच्चे को कितना होता है नुकसान?

C-section Delivery Risks: पहले के समय में ज्यादातर डिलीवरी सामान्य तरीके से होती थी, लेकिन आज के दौर में सी-सेक्शन यानी सर्जरी के जरिए बच्चे का जन्म बहुत आम हो गया है. कई बार यह स्थिति डॉक्टर की मजबूरी होती है, लेकिन कई बार बिना जरूरत भी महिलाओं को सी-सेक्शन डिलीवरी की सलाह दी जाती है. दरअसल, अब भारत में सी-सेक्शन के मामले 8 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत तक पहुंच चुके हैं. जो की बहुत ज्यादा चिंता का विषय है. वहीं डॉ. सुप्रिया पुराणिक के अनुसार ये आगे चलकर और भी बढ़ सकती है. अब सवाल यह है कि डॉक्टर सी-सेक्शन पर इतना जोर क्यों देते हैं और इससे मां और बच्चे दोनों को क्या नुकसान हो सकता है? आइए जानते हैं. ये भी पढ़े- कान के मैल को साफ करने के लिए अपनाएं ये 5 असरदार हैक्स, 10 सेकंड में निकल जाएगा सारा मैल डॉक्टर सी-सेक्शन पर क्यों देते हैं जोर? सी-सेक्शन डिलीवरी अक्सर तब की जाती है जब मां या बच्चे की जान खतरे में हो, जैसे- बच्चे की धड़कन कम होना, उलझी हुई नाल, बच्चा उल्टी पोजिशन में होना या महिला को किसी गंभीर बीमारी का होना. हालांकि कई बार अस्पताल और डॉक्टर बिज़नेस माइंडसेट के कारण भी सी-सेक्शन की सलाह दे देते हैं, क्योंकि यह नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में ज्यादा महंगा और समय बचाने वाला होता है. महिलाओं के लिए सी-सेक्शन के नुकसान लंबा रिकवरी टाइम: सी-सेक्शन के बाद महिला को सामान्य डिलीवरी की तुलना में अधिक समय तक आराम और देखभाल की जरूरत होती है. इंफेक्शन का खतरा: सर्जरी होने की वजह से टांकों में इंफेक्शन और ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है. अगली प्रेग्नेंसी पर असर: बार-बार सी-सेक्शन कराने से गर्भाशय कमजोर हो सकता है, जिससे भविष्य की प्रेग्नेंसी रिस्की हो सकती है. मानसिक तनाव: कई महिलाएं सी-सेक्शन के बाद डिप्रेशन या थकान महसूस करती हैं, जिससे मां और बच्चे के बीच बॉन्डिंग प्रभावित हो सकती है. बच्चे के लिए सी-सेक्शन के नुकसान सांस लेने की समस्या: नॉर्मल डिलीवरी के दौरान बच्चा नैचुरली सांस लेना सीखता है, जबकि सी-सेक्शन से जन्मे बच्चों को शुरुआती दिनों में सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. कमजोर इम्यूनिटी: कई स्टडीज़ बताती हैं कि सी-सेक्शन बेबीज़ की इम्यूनिटी नॉर्मल डिलीवरी वाले बच्चों की तुलना में कमजोर हो सकती है. बॉन्डिंग में कमी: सी-सेक्शन के बाद मां और बच्चे को तुरंत स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट नहीं मिल पाता, जिससे शुरुआती बॉन्डिंग प्रभावित हो सकती है. क्या हमेशा सी-सेक्शन गलत है? यह समझना जरूरी है कि सी-सेक्शन हमेशा नुकसानदायक नहीं होता. कई मामलों में यह मां और बच्चे की जान बचाने के लिए जरूरी हो सकता है. समस्या तब होती है जब इसे बिना किसी मेडिकल जरूरत के सिर्फ सुविधा या आर्थिक कारणों से कराया जाता है. इसे भी पढ़ें- किस कैंसर से हुआ पवित्र रिश्ता की एक्ट्रेस प्रिया मराठे का निधन? जान लें इसके लक्षण Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Sep 2, 2025 - 15:30
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डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन पर जोर क्यों देते हैं डॉक्टर, इससे महिलाओं और उनके बच्चे को कितना होता है नुकसान?

C-section Delivery Risks: पहले के समय में ज्यादातर डिलीवरी सामान्य तरीके से होती थी, लेकिन आज के दौर में सी-सेक्शन यानी सर्जरी के जरिए बच्चे का जन्म बहुत आम हो गया है. कई बार यह स्थिति डॉक्टर की मजबूरी होती है, लेकिन कई बार बिना जरूरत भी महिलाओं को सी-सेक्शन डिलीवरी की सलाह दी जाती है.

दरअसल, अब भारत में सी-सेक्शन के मामले 8 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत तक पहुंच चुके हैं. जो की बहुत ज्यादा चिंता का विषय है. वहीं डॉ. सुप्रिया पुराणिक के अनुसार ये आगे चलकर और भी बढ़ सकती है. अब सवाल यह है कि डॉक्टर सी-सेक्शन पर इतना जोर क्यों देते हैं और इससे मां और बच्चे दोनों को क्या नुकसान हो सकता है? आइए जानते हैं.

ये भी पढ़े- कान के मैल को साफ करने के लिए अपनाएं ये 5 असरदार हैक्स, 10 सेकंड में निकल जाएगा सारा मैल

डॉक्टर सी-सेक्शन पर क्यों देते हैं जोर?

सी-सेक्शन डिलीवरी अक्सर तब की जाती है जब मां या बच्चे की जान खतरे में हो, जैसे- बच्चे की धड़कन कम होना, उलझी हुई नाल, बच्चा उल्टी पोजिशन में होना या महिला को किसी गंभीर बीमारी का होना. हालांकि कई बार अस्पताल और डॉक्टर बिज़नेस माइंडसेट के कारण भी सी-सेक्शन की सलाह दे देते हैं, क्योंकि यह नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में ज्यादा महंगा और समय बचाने वाला होता है.

महिलाओं के लिए सी-सेक्शन के नुकसान

  • लंबा रिकवरी टाइम: सी-सेक्शन के बाद महिला को सामान्य डिलीवरी की तुलना में अधिक समय तक आराम और देखभाल की जरूरत होती है.
  • इंफेक्शन का खतरा: सर्जरी होने की वजह से टांकों में इंफेक्शन और ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है.
  • अगली प्रेग्नेंसी पर असर: बार-बार सी-सेक्शन कराने से गर्भाशय कमजोर हो सकता है, जिससे भविष्य की प्रेग्नेंसी रिस्की हो सकती है.
  • मानसिक तनाव: कई महिलाएं सी-सेक्शन के बाद डिप्रेशन या थकान महसूस करती हैं, जिससे मां और बच्चे के बीच बॉन्डिंग प्रभावित हो सकती है.

बच्चे के लिए सी-सेक्शन के नुकसान

  • सांस लेने की समस्या: नॉर्मल डिलीवरी के दौरान बच्चा नैचुरली सांस लेना सीखता है, जबकि सी-सेक्शन से जन्मे बच्चों को शुरुआती दिनों में सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.
  • कमजोर इम्यूनिटी: कई स्टडीज़ बताती हैं कि सी-सेक्शन बेबीज़ की इम्यूनिटी नॉर्मल डिलीवरी वाले बच्चों की तुलना में कमजोर हो सकती है.
  • बॉन्डिंग में कमी: सी-सेक्शन के बाद मां और बच्चे को तुरंत स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट नहीं मिल पाता, जिससे शुरुआती बॉन्डिंग प्रभावित हो सकती है.

क्या हमेशा सी-सेक्शन गलत है?

यह समझना जरूरी है कि सी-सेक्शन हमेशा नुकसानदायक नहीं होता. कई मामलों में यह मां और बच्चे की जान बचाने के लिए जरूरी हो सकता है. समस्या तब होती है जब इसे बिना किसी मेडिकल जरूरत के सिर्फ सुविधा या आर्थिक कारणों से कराया जाता है.

इसे भी पढ़ें- किस कैंसर से हुआ पवित्र रिश्ता की एक्ट्रेस प्रिया मराठे का निधन? जान लें इसके लक्षण

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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