डिजिटल ट्रांजैक्शन से गंदे नोटों पर लगाम, चार महीने में इतने अरब करेंसी हुई चलन से बाहर, RBI ने जारी किए आंकड़े

Digital Transactions: देश में डिजिटल क्रांति और यूपीआई लेन-देन में आई तेज़ी ने न केवल नकद लेन-देन को कम किया है, बल्कि गंदे और क्षतिग्रस्त नोटों की संख्या पर भी लगाम लगाई है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक साल में ऐसे नोटों की संख्या में करीब 41 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. नोटों की बर्बादी पर लगी ब्रेक पहले अक्सर देखा जाता था कि लोग नोटों पर अनावश्यक चीजें लिख देते थे, उन्हें मोड़कर रखते थे या सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते थे. इन वजहों से नोट जल्दी खराब हो जाते थे. लेकिन अब डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ते रुझान, लोगों की जागरूकता और केंद्रीय बैंक की सख़्ती ने इस समस्या को काफी हद तक कम कर दिया है. चार महीने में कितने नोट चलन से बाहर आरबीआई हर साल क्षतिग्रस्त नोटों को बाजार से बाहर करता है. अप्रैल से जुलाई 2024 के बीच कुल 8.43 अरब नोट वापस लिए गए थे, जबकि इसी अवधि में 2025 में यह संख्या घटकर 5.96 अरब रह गई. यदि अलग-अलग मूल्य वर्ग की बात करें तो साल 2024 में अप्रैल से जुलाई के बीच 500 रुपये के 3.10 अरब, 200 रुपये के 85.63 करोड़, 100 रुपये के 2.27 अरब और 50 रुपये के 70 करोड़ नोट चलन से बाहर किए गए थे. इसी अवधि के दौरान 2025 में 500 रुपये के 1.81 अरब, 200 रुपये के 56.27 करोड़, 100 रुपये के 1.07 अरब और 50 रुपये के 65 करोड़ रुपये चलन से बार किए गए. इन आँकड़ों से साफ है कि डिजिटल लेन-देन के चलते नकद का इस्तेमाल घट रहा है. इससे न केवल गंदे और पुराने नोटों की संख्या कम हुई है, बल्कि अर्थव्यवस्था में नकदी पर निर्भरता भी लगातार घट रही है. आने वाले समय में यह रुझान और तेज़ हो सकता है. ये भी पढ़ें: Next Gen GST Reforms: 'तुरुप का पत्ता' साबित हो सकता है जीएसटी रिफॉर्म्स, 2024 तक सिंगल टैक्स का खुलेगा रास्ता

Aug 17, 2025 - 17:30
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डिजिटल ट्रांजैक्शन से गंदे नोटों पर लगाम, चार महीने में इतने अरब करेंसी हुई चलन से बाहर, RBI ने जारी किए आंकड़े

Digital Transactions: देश में डिजिटल क्रांति और यूपीआई लेन-देन में आई तेज़ी ने न केवल नकद लेन-देन को कम किया है, बल्कि गंदे और क्षतिग्रस्त नोटों की संख्या पर भी लगाम लगाई है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक साल में ऐसे नोटों की संख्या में करीब 41 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

नोटों की बर्बादी पर लगी ब्रेक

पहले अक्सर देखा जाता था कि लोग नोटों पर अनावश्यक चीजें लिख देते थे, उन्हें मोड़कर रखते थे या सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते थे. इन वजहों से नोट जल्दी खराब हो जाते थे. लेकिन अब डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ते रुझान, लोगों की जागरूकता और केंद्रीय बैंक की सख़्ती ने इस समस्या को काफी हद तक कम कर दिया है.

चार महीने में कितने नोट चलन से बाहर

आरबीआई हर साल क्षतिग्रस्त नोटों को बाजार से बाहर करता है. अप्रैल से जुलाई 2024 के बीच कुल 8.43 अरब नोट वापस लिए गए थे, जबकि इसी अवधि में 2025 में यह संख्या घटकर 5.96 अरब रह गई. यदि अलग-अलग मूल्य वर्ग की बात करें तो साल 2024 में अप्रैल से जुलाई के बीच 500 रुपये के 3.10 अरब, 200 रुपये के 85.63 करोड़, 100 रुपये के 2.27 अरब और 50 रुपये के 70 करोड़ नोट चलन से बाहर किए गए थे.

इसी अवधि के दौरान 2025 में 500 रुपये के 1.81 अरब, 200 रुपये के 56.27 करोड़, 100 रुपये के 1.07 अरब और 50 रुपये के 65 करोड़ रुपये चलन से बार किए गए. इन आँकड़ों से साफ है कि डिजिटल लेन-देन के चलते नकद का इस्तेमाल घट रहा है. इससे न केवल गंदे और पुराने नोटों की संख्या कम हुई है, बल्कि अर्थव्यवस्था में नकदी पर निर्भरता भी लगातार घट रही है. आने वाले समय में यह रुझान और तेज़ हो सकता है.

ये भी पढ़ें: Next Gen GST Reforms: 'तुरुप का पत्ता' साबित हो सकता है जीएसटी रिफॉर्म्स, 2024 तक सिंगल टैक्स का खुलेगा रास्ता

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