‘चुनाव आयोग को नहीं दे सकते बेलगाम ताकत’, एक देश एक चुनाव पर JPC से बोले पूर्व CJI
‘एक देश एक चुनाव’ पर भाजपा सांसद पीपी चौधरी के नेतृत्व वाली जेपीसी की बैठक शुक्रवार (11 जुलाई, 2025) को हुई है. जेपीसी की बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर ने अपने प्रस्तुतीकरण में कहा कि यह विधेयक सिद्धांततः संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है. पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका गहन जांच के दायरे में आ गई है क्योंकि उसे अत्यधिक शक्तियां प्रदान करने के प्रस्ताव पर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं और इस धारा के पुनर्मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय बहस की आवश्यकता है. भारत के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने कानून में संशोधन के लिए दिए सुझाव वहीं, दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने जेपीसी को यह सुझाव दिया कि चुनाव आयोग के इतनी बेलगाम ताकत नहीं दी जानी चाहिए, जितनी की संशोधन बिल में प्रस्तावित की गई है. उन्होंने कहा कि इसके लिए नियंत्रण और संतुलन बनाए रखने के लिए एक सिस्टम होना चाहिए. इसके अलावा, पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और जे. एस. खेहर ने संसदीय समिति को सुझाव देते हुए कहा कि चुनावों के संचालन के लिए एक निगरानी तंत्र होना चाहिए. जेपीसी चेयनमैन पीपी चौधरी ने दी जानकारी इस बैठक में जेपीसी के चेयरमैन और भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि आज शुक्रवार (11 जुलाई, 2025) को जेपीसी की बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे. एस. खेहर और न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ शामिल हुए. उनसे हमनें वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर जो संवैधानिक सवाल हैं, उनको लेकर उनकी राय जानी. उन्होंने कहा कि हमने अब तक महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश , हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और चंडीगढ़ में वहां की सरकार और अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ बातचीत की है. हम पक्ष और विपक्ष सबके सुझाव लेना चाहते हैं, जिससे सबके बारे में जानकारी हो सके. पिछले साल ही संसद में पास हो चुका है बिल उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर महीने के दौरान ही ‘एक देश एक चुनाव’ का बिल संसद में पास हो गया था. जानकारों की मानें, तो सरकार इसे 2029 से लागू करने की तैयारी कर रही है. ये संविधान का 129वां संशोधन था. यह भी पढ़ेंः 'संविधान को बदलना है बीजेपी का मिशन', मल्लिकार्जुन खरगे ने PM मोदी पर साधा निशाना

‘एक देश एक चुनाव’ पर भाजपा सांसद पीपी चौधरी के नेतृत्व वाली जेपीसी की बैठक शुक्रवार (11 जुलाई, 2025) को हुई है. जेपीसी की बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर ने अपने प्रस्तुतीकरण में कहा कि यह विधेयक सिद्धांततः संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है.
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका गहन जांच के दायरे में आ गई है क्योंकि उसे अत्यधिक शक्तियां प्रदान करने के प्रस्ताव पर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं और इस धारा के पुनर्मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय बहस की आवश्यकता है.
भारत के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने कानून में संशोधन के लिए दिए सुझाव
वहीं, दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने जेपीसी को यह सुझाव दिया कि चुनाव आयोग के इतनी बेलगाम ताकत नहीं दी जानी चाहिए, जितनी की संशोधन बिल में प्रस्तावित की गई है. उन्होंने कहा कि इसके लिए नियंत्रण और संतुलन बनाए रखने के लिए एक सिस्टम होना चाहिए.
इसके अलावा, पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और जे. एस. खेहर ने संसदीय समिति को सुझाव देते हुए कहा कि चुनावों के संचालन के लिए एक निगरानी तंत्र होना चाहिए.
जेपीसी चेयनमैन पीपी चौधरी ने दी जानकारी
इस बैठक में जेपीसी के चेयरमैन और भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि आज शुक्रवार (11 जुलाई, 2025) को जेपीसी की बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे. एस. खेहर और न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ शामिल हुए. उनसे हमनें वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर जो संवैधानिक सवाल हैं, उनको लेकर उनकी राय जानी.
उन्होंने कहा कि हमने अब तक महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश , हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और चंडीगढ़ में वहां की सरकार और अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ बातचीत की है. हम पक्ष और विपक्ष सबके सुझाव लेना चाहते हैं, जिससे सबके बारे में जानकारी हो सके.
पिछले साल ही संसद में पास हो चुका है बिल
उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर महीने के दौरान ही ‘एक देश एक चुनाव’ का बिल संसद में पास हो गया था. जानकारों की मानें, तो सरकार इसे 2029 से लागू करने की तैयारी कर रही है. ये संविधान का 129वां संशोधन था.
यह भी पढ़ेंः 'संविधान को बदलना है बीजेपी का मिशन', मल्लिकार्जुन खरगे ने PM मोदी पर साधा निशाना
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