क्या गाय के दूध से हो जाती है टाइप-1 डायबिटीज, क्या कहते हैं डॉक्टर्स
गाय का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और ज़्यादातर लोग इसे हेल्दी मानते हैं. लेकिन कई सालों से एक सवाल उठता रहा है. क्या गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन छोटे बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है? कुछ रिसर्च में यह संभावना जताई गई है, जबकि कई स्टडी में कोई ठोस सबूत नहीं मिला. KIMS हॉस्पिटल, ठाणे की चीफ डाइटिशियन डॉ. गुलनाज शेख ने मीडिया से बातचीत में बताया कि , “कुछ शोध बताते हैं कि गाय के दूध का प्रोटीन कुछ बच्चों में इम्यून सिस्टम को इस तरह सक्रिय कर सकता है कि वह गलती से शरीर की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर अटैक कर दे. लेकिन अभी तक रिसर्च पूरी तरह साफ नहीं है.” गाय के दूध का प्रोटीन शरीर को कैसे प्रभावित कर सकता है? गाय के दूध में मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रोटीन होते हैं. कैसीन और व्हे. ये ज़्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित हैं. लेकिन जिन लोगों में खास जेनेटिक प्रवृत्ति (genetic traits) होती है या जिनका इम्यून सिस्टम ज्यादा संवेदनशील होता है, उनमें ये प्रोटीन इम्यून रिएक्शन (immune reaction) का कारण बन सकते हैं. टाइप-1 डायबिटीज में शरीर का इम्यून सिस्टम पैनक्रियास की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. इसके कई कारण हो सकते हैं. जैसे पा रिवारिक इतिहास, पर्यावरण, या वायरल संक्रमण. कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि बहुत छोटे बच्चों को जल्दी गाय का दूध या उसका प्रोटीन देना, कुछ बच्चों में ट्रिगर का काम कर सकता है. किस बात का ध्यान रखना चाहिए? यह खतरा खासकर उन बच्चों के लिए ज्यादा मायने रखता है जिन्हें पेट और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित होने से पहले ही गाय का दूध या दूध-आधारित फॉर्मूला दिया जाता है. डॉ. शेख के अनुसार, "इसी कारण पहले छह महीने तक मां का दूध ही देने की सलाह दी जाती है. यह कई स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को कम कर सकता है और बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को मजबूत करता है." बड़े बच्चों और बड़ों के लिए बड़े बच्चों और वयस्कों में, अगर दूध का सेवन संतुलित मात्रा में किया जाए, तो इससे टाइप-1 डायबिटीज होने का खतरा नहीं है. जब तक कि उन्हें दूध से एलर्जी या लैक्टोज इंटॉलरेंस न हो. कितना दूध ज्यादा हो सकता है? गाय के दूध के प्रोटीन की कोई तय सीमा नहीं है. यह हर व्यक्ति पर निर्भर करता है. सेहतमंद वयस्कों के लिए दिन में एक या दो गिलास दूध (या उतनी ही मात्रा दही या पनीर में) लेना सामान्यत: सुरक्षित है. बहुत ज्यादा दूध पीना जैसे रोज कई बड़े गिलास डायबिटीज तो नहीं करेगा, लेकिन वजन बढ़ने, पेट में दिक्कत, या डाइट में ज्यादा सैचुरेटेड फैट जैसे दूसरे नुकसान कर सकता है. गाय का दूध अब भी ज्यादातर बच्चों और बड़ों के लिए हेल्दी है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन और अन्य पोषक तत्व होते हैं. लेकिन हर चीज की तरह, इसे भी संतुलित मात्रा में लेना सही है. माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को दूध कब और कैसे दिया जा रहा है, खासकर जीवन के शुरुआती महीनों में. इसे भी पढ़ें- बिना छिला बादाम खाना कितना सेफ, कहीं आप भी तो नहीं करते हैं यह गलती? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

गाय का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और ज़्यादातर लोग इसे हेल्दी मानते हैं. लेकिन कई सालों से एक सवाल उठता रहा है. क्या गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन छोटे बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है? कुछ रिसर्च में यह संभावना जताई गई है, जबकि कई स्टडी में कोई ठोस सबूत नहीं मिला.
KIMS हॉस्पिटल, ठाणे की चीफ डाइटिशियन डॉ. गुलनाज शेख ने मीडिया से बातचीत में बताया कि , “कुछ शोध बताते हैं कि गाय के दूध का प्रोटीन कुछ बच्चों में इम्यून सिस्टम को इस तरह सक्रिय कर सकता है कि वह गलती से शरीर की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर अटैक कर दे. लेकिन अभी तक रिसर्च पूरी तरह साफ नहीं है.”
गाय के दूध का प्रोटीन शरीर को कैसे प्रभावित कर सकता है?
गाय के दूध में मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रोटीन होते हैं. कैसीन और व्हे. ये ज़्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित हैं. लेकिन जिन लोगों में खास जेनेटिक प्रवृत्ति (genetic traits) होती है या जिनका इम्यून सिस्टम ज्यादा संवेदनशील होता है, उनमें ये प्रोटीन इम्यून रिएक्शन (immune reaction) का कारण बन सकते हैं. टाइप-1 डायबिटीज में शरीर का इम्यून सिस्टम पैनक्रियास की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. इसके कई कारण हो सकते हैं. जैसे पा रिवारिक इतिहास, पर्यावरण, या वायरल संक्रमण. कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि बहुत छोटे बच्चों को जल्दी गाय का दूध या उसका प्रोटीन देना, कुछ बच्चों में ट्रिगर का काम कर सकता है.
किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
यह खतरा खासकर उन बच्चों के लिए ज्यादा मायने रखता है जिन्हें पेट और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित होने से पहले ही गाय का दूध या दूध-आधारित फॉर्मूला दिया जाता है. डॉ. शेख के अनुसार, "इसी कारण पहले छह महीने तक मां का दूध ही देने की सलाह दी जाती है. यह कई स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को कम कर सकता है और बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को मजबूत करता है."
बड़े बच्चों और बड़ों के लिए
बड़े बच्चों और वयस्कों में, अगर दूध का सेवन संतुलित मात्रा में किया जाए, तो इससे टाइप-1 डायबिटीज होने का खतरा नहीं है. जब तक कि उन्हें दूध से एलर्जी या लैक्टोज इंटॉलरेंस न हो.
कितना दूध ज्यादा हो सकता है?
गाय के दूध के प्रोटीन की कोई तय सीमा नहीं है. यह हर व्यक्ति पर निर्भर करता है. सेहतमंद वयस्कों के लिए दिन में एक या दो गिलास दूध (या उतनी ही मात्रा दही या पनीर में) लेना सामान्यत: सुरक्षित है. बहुत ज्यादा दूध पीना जैसे रोज कई बड़े गिलास डायबिटीज तो नहीं करेगा, लेकिन वजन बढ़ने, पेट में दिक्कत, या डाइट में ज्यादा सैचुरेटेड फैट जैसे दूसरे नुकसान कर सकता है. गाय का दूध अब भी ज्यादातर बच्चों और बड़ों के लिए हेल्दी है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन और अन्य पोषक तत्व होते हैं. लेकिन हर चीज की तरह, इसे भी संतुलित मात्रा में लेना सही है. माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को दूध कब और कैसे दिया जा रहा है, खासकर जीवन के शुरुआती महीनों में.
इसे भी पढ़ें- बिना छिला बादाम खाना कितना सेफ, कहीं आप भी तो नहीं करते हैं यह गलती?
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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