ईरान की इस मिसाइल ने इज़राइल में मचाई थी तबाही! जानें कौन-सी तकनीक बनाती है इसे दुश्मनों के लिए खौफनाक हथियार

Iran’s Missile Technology: ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने पहली बार अपने तीसरी पीढ़ी के बैलिस्टिक मिसाइल 'खैबर शिकन' का उपयोग करते हुए इज़राइल पर सीधा हमला किया है. यह कदम अमेरिका और इज़राइल द्वारा हाल ही में ईरानी परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में उठाया गया है. ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-III के तहत 40 मिसाइलें दागी गईं IRGC की जनसंपर्क इकाई द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह हमला ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस-III’ के 20वें चरण में किया गया. इसमें ठोस और तरल ईंधन वाली कुल 40 बैलिस्टिक मिसाइलें इज़राइल के प्रमुख सैन्य और रणनीतिक ठिकानों पर दागी गईं. लक्ष्य में बेन गुरियन एयरपोर्ट, एक जैविक अनुसंधान केंद्र और वैकल्पिक कमांड और नियंत्रण केंद्र शामिल थे. पहली बार युद्ध में इस्तेमाल हुई खैबर शिकन मेहर न्यूज एजेंसी ने बताया कि 'खैबर शिकन' मिसाइल को 2022 में प्रदर्शित किया गया था लेकिन अब तक इसे किसी वास्तविक सैन्य कार्रवाई में प्रयोग नहीं किया गया था. इस मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 1,450 किलोमीटर है जिससे इज़राइल का अधिकांश क्षेत्र इसकी जद में आ जाता है. क्या है तकनीकी क्षमता और रणनीतिक ताकत सड़क से चलने वाली मीडियम-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल खैबर शिकन एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM) है जिसे सड़क मार्ग से ले जाकर कहीं भी तैनात किया जा सकता है. इसमें एकल चरण वाला ठोस ईंधन इंजन होता है और इसका वारहेड ट्राइ-कॉनिक डिजाइन का है जो अंतिम चरण में एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने की क्षमता रखता है. अदृश्य वारहेड और हाई मोबिलिटी ईरानी रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह मिसाइल देश की सैन्य शक्ति के एक नए युग की शुरुआत को दर्शाती है. इसका वारहेड वायुमंडल में प्रवेश करते समय कोई एग्जॉस्ट सिग्नेचर नहीं छोड़ता जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है. इसे 10 पहियों वाले लॉन्चर से दागा जाता है जिसे आम वाहन की तरह छिपाया जा सकता है जिससे इसकी रणनीतिक लचीलापन और बचाव क्षमता बढ़ जाती है. IRGC ने दी चेतावनी  IRGC का कहना है कि यह हमला बेहद सटीक तरीके से किया गया था ताकि इज़राइली डिफेंस सिस्टम को भ्रमित किया जा सके. सायरन तब बजे जब मिसाइल पहले ही अपने लक्ष्य पर गिर चुकी थीं। इसे उन्होंने "भ्रम की रणनीति" बताया है. साथ ही, ईरान ने यह भी कहा है कि यह उसकी सैन्य शक्ति का केवल एक छोटा हिस्सा है और अभी कई बड़े हथियार सक्रिय नहीं किए गए हैं. यह भी पढ़ें: ईरान की रहस्यमयी हाइपरसोनिक 'Fattah' मिसाइल ने इंटरनेट पर मचाया तहलका, इस तकनीक से डरेगी दुनिया  

Jul 11, 2025 - 10:30
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ईरान की इस मिसाइल ने इज़राइल में मचाई थी तबाही! जानें कौन-सी तकनीक बनाती है इसे दुश्मनों के लिए खौफनाक हथियार

Iran’s Missile Technology: ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने पहली बार अपने तीसरी पीढ़ी के बैलिस्टिक मिसाइल 'खैबर शिकन' का उपयोग करते हुए इज़राइल पर सीधा हमला किया है. यह कदम अमेरिका और इज़राइल द्वारा हाल ही में ईरानी परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में उठाया गया है.

ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-III के तहत 40 मिसाइलें दागी गईं

IRGC की जनसंपर्क इकाई द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह हमला ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस-III’ के 20वें चरण में किया गया. इसमें ठोस और तरल ईंधन वाली कुल 40 बैलिस्टिक मिसाइलें इज़राइल के प्रमुख सैन्य और रणनीतिक ठिकानों पर दागी गईं. लक्ष्य में बेन गुरियन एयरपोर्ट, एक जैविक अनुसंधान केंद्र और वैकल्पिक कमांड और नियंत्रण केंद्र शामिल थे.

पहली बार युद्ध में इस्तेमाल हुई खैबर शिकन

मेहर न्यूज एजेंसी ने बताया कि 'खैबर शिकन' मिसाइल को 2022 में प्रदर्शित किया गया था लेकिन अब तक इसे किसी वास्तविक सैन्य कार्रवाई में प्रयोग नहीं किया गया था. इस मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 1,450 किलोमीटर है जिससे इज़राइल का अधिकांश क्षेत्र इसकी जद में आ जाता है.

क्या है तकनीकी क्षमता और रणनीतिक ताकत

सड़क से चलने वाली मीडियम-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल

खैबर शिकन एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM) है जिसे सड़क मार्ग से ले जाकर कहीं भी तैनात किया जा सकता है. इसमें एकल चरण वाला ठोस ईंधन इंजन होता है और इसका वारहेड ट्राइ-कॉनिक डिजाइन का है जो अंतिम चरण में एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने की क्षमता रखता है.

अदृश्य वारहेड और हाई मोबिलिटी

ईरानी रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह मिसाइल देश की सैन्य शक्ति के एक नए युग की शुरुआत को दर्शाती है. इसका वारहेड वायुमंडल में प्रवेश करते समय कोई एग्जॉस्ट सिग्नेचर नहीं छोड़ता जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है. इसे 10 पहियों वाले लॉन्चर से दागा जाता है जिसे आम वाहन की तरह छिपाया जा सकता है जिससे इसकी रणनीतिक लचीलापन और बचाव क्षमता बढ़ जाती है.

IRGC ने दी चेतावनी 

IRGC का कहना है कि यह हमला बेहद सटीक तरीके से किया गया था ताकि इज़राइली डिफेंस सिस्टम को भ्रमित किया जा सके. सायरन तब बजे जब मिसाइल पहले ही अपने लक्ष्य पर गिर चुकी थीं। इसे उन्होंने "भ्रम की रणनीति" बताया है. साथ ही, ईरान ने यह भी कहा है कि यह उसकी सैन्य शक्ति का केवल एक छोटा हिस्सा है और अभी कई बड़े हथियार सक्रिय नहीं किए गए हैं.

यह भी पढ़ें:

ईरान की रहस्यमयी हाइपरसोनिक 'Fattah' मिसाइल ने इंटरनेट पर मचाया तहलका, इस तकनीक से डरेगी दुनिया

 

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