'इस्लाम की टकराहट हिंदुओं से नहीं, यहूदियों से...', ईरान पर इजरायल के हमले पर क्या बोले मौलाना शहाबुद्दीन रजवी?

Israel Iran War: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शनिवार को इजरायल और ईरान के बीच जारी तनाव पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इजरायल को इस पूरे संघर्ष का सबसे बड़ा ‘आतंक और हिंसा फैलाने वाला’ देश करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों से उसे ‘आतंकी राष्ट्र’ घोषित करने की मांग की. मौलाना रजवी ने कहा कि इजरायल का पूरा इतिहास मुसलमानों पर जुल्म और अत्याचार से भरा हुआ है. उन्होंने फिलिस्तीन पर लगातार हो रहे हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि यहूदी, जिन्हें कभी फिलिस्तीन के मुसलमानों ने हिटलर की यातनाओं से बचाकर पनाह दी थी, आज उन्हीं मुसलमानों के घरों को नेस्तनाबूद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की हत्याएं की जा रही हैं, लेकिन पूरी दुनिया इस बर्बरता को देखकर भी खामोश है. इस्लाम को कभी कोई मिटा नहीं सकाइतिहास का हवाला देते हुए रजवी ने कहा कि इस्लाम का संघर्ष कभी हिंदुओं, बौद्धों या किसी अन्य धर्म के अनुयायियों से नहीं रहा. इस्लाम ने हमेशा यहूदी और ईसाई सत्ता की दमनकारी ताकतों के खिलाफ मोर्चा लिया है और आज भी वही टकराव जारी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम न तो कभी दबा था, न आज दबेगा. उन्होंने कहा, “इस्लाम उस दौर में भी कायम था जब इजरायल का कोई अस्तित्व ही नहीं था. चंगेज खान जैसे लुटेरे भी इस्लाम को मिटा नहीं सके.” भारत की भूमिका पर बात करते हुए मौलाना ने कहा कि भारत के ईरान, इजरायल और फिलिस्तीन  तीनों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. ऐसे में भारत को किसी एक पक्ष के साथ खड़ा होने के बजाय, वैश्विक स्तर पर शांति की वकालत करनी चाहिए. उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह युद्ध की बजाय बातचीत और सुलह-सफाई के रास्ते को अपनाए. भविष्य में ईरान सऊदी अरब के साथ हो सकता है खड़ा!सऊदी अरब और ईरान के संबंधों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच एक दशक से अधिक समय से तनाव था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं. एक शिया धर्मगुरु की गिरफ्तारी से उपजा तनाव अब खत्म हो चुका है. सऊदी अरब द्वारा उस धर्मगुरु को रिहा किया गया और दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को फिर से बहाल किया है. उन्होंने बताया कि सऊदी और ईरानी मंत्रियों ने एक-दूसरे के देशों की यात्राएं की हैं और इस साल हज के दौरान ईरानी तीर्थयात्रियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं. यह इस बात का संकेत है कि भविष्य में सऊदी अरब ईरान के साथ खड़ा हो सकता है. इजरायल के खिलाफ वैश्विक स्तर पर कदम उठाए जाने की जरूरत बताते हुए रजवी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने कई प्रस्ताव पारित किए हैं और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि अब वैश्विक संस्थाओं की साख और प्रभाव खतरे में है. उन्होंने तीखा सवाल करते हुए कहा- “जब कानून, प्रस्ताव और न्यायिक आदेश भी नेतन्याहू को रोकने में विफल हैं, तो क्या दुनिया को चुप रहना चाहिए?”

Jun 15, 2025 - 11:30
 0
'इस्लाम की टकराहट हिंदुओं से नहीं, यहूदियों से...', ईरान पर इजरायल के हमले पर क्या बोले मौलाना शहाबुद्दीन रजवी?

Israel Iran War: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शनिवार को इजरायल और ईरान के बीच जारी तनाव पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इजरायल को इस पूरे संघर्ष का सबसे बड़ा ‘आतंक और हिंसा फैलाने वाला’ देश करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों से उसे ‘आतंकी राष्ट्र’ घोषित करने की मांग की.

मौलाना रजवी ने कहा कि इजरायल का पूरा इतिहास मुसलमानों पर जुल्म और अत्याचार से भरा हुआ है. उन्होंने फिलिस्तीन पर लगातार हो रहे हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि यहूदी, जिन्हें कभी फिलिस्तीन के मुसलमानों ने हिटलर की यातनाओं से बचाकर पनाह दी थी, आज उन्हीं मुसलमानों के घरों को नेस्तनाबूद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की हत्याएं की जा रही हैं, लेकिन पूरी दुनिया इस बर्बरता को देखकर भी खामोश है.

इस्लाम को कभी कोई मिटा नहीं सका
इतिहास का हवाला देते हुए रजवी ने कहा कि इस्लाम का संघर्ष कभी हिंदुओं, बौद्धों या किसी अन्य धर्म के अनुयायियों से नहीं रहा. इस्लाम ने हमेशा यहूदी और ईसाई सत्ता की दमनकारी ताकतों के खिलाफ मोर्चा लिया है और आज भी वही टकराव जारी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम न तो कभी दबा था, न आज दबेगा. उन्होंने कहा, “इस्लाम उस दौर में भी कायम था जब इजरायल का कोई अस्तित्व ही नहीं था. चंगेज खान जैसे लुटेरे भी इस्लाम को मिटा नहीं सके.”

भारत की भूमिका पर बात करते हुए मौलाना ने कहा कि भारत के ईरान, इजरायल और फिलिस्तीन  तीनों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. ऐसे में भारत को किसी एक पक्ष के साथ खड़ा होने के बजाय, वैश्विक स्तर पर शांति की वकालत करनी चाहिए. उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह युद्ध की बजाय बातचीत और सुलह-सफाई के रास्ते को अपनाए.

भविष्य में ईरान सऊदी अरब के साथ हो सकता है खड़ा!
सऊदी अरब और ईरान के संबंधों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच एक दशक से अधिक समय से तनाव था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं. एक शिया धर्मगुरु की गिरफ्तारी से उपजा तनाव अब खत्म हो चुका है. सऊदी अरब द्वारा उस धर्मगुरु को रिहा किया गया और दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को फिर से बहाल किया है. उन्होंने बताया कि सऊदी और ईरानी मंत्रियों ने एक-दूसरे के देशों की यात्राएं की हैं और इस साल हज के दौरान ईरानी तीर्थयात्रियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं. यह इस बात का संकेत है कि भविष्य में सऊदी अरब ईरान के साथ खड़ा हो सकता है.

इजरायल के खिलाफ वैश्विक स्तर पर कदम उठाए जाने की जरूरत बताते हुए रजवी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने कई प्रस्ताव पारित किए हैं और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि अब वैश्विक संस्थाओं की साख और प्रभाव खतरे में है. उन्होंने तीखा सवाल करते हुए कहा- “जब कानून, प्रस्ताव और न्यायिक आदेश भी नेतन्याहू को रोकने में विफल हैं, तो क्या दुनिया को चुप रहना चाहिए?”

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow