अब मनोविज्ञान और पोषण की पढ़ाई ऑनलाइन नहीं, UGC ने बदले नियम
उच्च शिक्षा की दुनिया से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने बड़ा फैसला लिया है कि आने वाले शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त 2025 से मनोविज्ञान, पोषण और अन्य स्वास्थ्य संबंधी विषयों की पढ़ाई अब ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा (ODL) मोड में नहीं होगी. यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को साफ निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे इन विषयों को अब केवल नियमित यानी ऑफलाइन मोड में ही पढ़ा सकेंगे. आयोग का कहना है कि जिन विषयों का सीधा संबंध स्वास्थ्य सेवा और व्यावहारिक प्रशिक्षण से है, उन्हें ऑनलाइन मोड में पढ़ाना छात्रों और समाज दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग (NCAHP) अधिनियम, 2021 के तहत लागू किया गया है. इस अधिनियम में शामिल विषय जैसे मनोविज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, खाद्य एवं पोषण विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, नैदानिक पोषण और आहार विज्ञान को अब दूरस्थ या ऑनलाइन माध्यम से पढ़ने की अनुमति नहीं होगी. क्या बोले UGC सचिव? यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा है कि जुलाई-अगस्त 2025 और उसके बाद से इन कोर्सों को ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा में पेश करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी. यहां तक कि अगर किसी संस्थान को पहले से इन विषयों की मान्यता मिली हुई है तो वह भी वापस ले ली जाएगी. साथ ही, किसी भी विश्वविद्यालय को इन कोर्सों में नए छात्रों को दाखिला देने की अनुमति नहीं होगी. इस निर्णय के पीछे सबसे बड़ा कारण शिक्षा की गुणवत्ता बताया जा रहा है. आयोग का मानना है कि मनोविज्ञान और पोषण जैसे विषय सिर्फ किताबों से नहीं सीखे जा सकते. इनमें व्यावहारिक ज्ञान, प्रयोगशाला कार्य और फील्ड ट्रेनिंग जरूरी होती है. हालांकि यह फैसला केवल उन्हीं विषयों पर लागू होगा जो NCAHP अधिनियम, 2021 के तहत आते हैं. गौरतलब है कि यूजीसी पहले से ही कई प्रैक्टिकल और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा में रोक लगा चुका है. इनमें इंजीनियरिंग, चिकित्सा, दंत चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, वास्तुकला, फिजियोथेरेपी, पैरामेडिकल, कृषि, बागवानी, होटल प्रबंधन, खानपान प्रौद्योगिकी, दृश्य कला और कानून जैसे विषय शामिल हैं. अब इस सूची में मनोविज्ञान और पोषण भी जोड़ दिए गए हैं. बैठक में लिया फैसला यह फैसला हाल ही में हुई यूजीसी बैठक में औपचारिक रूप से मंजूर किया गया. दरअसल, अप्रैल 2025 में आयोजित 24वीं दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो कार्य समूह की बैठक में इसकी सिफारिश की गई थी. उस बैठक में यह चिंता जताई गई थी कि प्रैक्टिकल और हेल्थ से जुड़े विषयों की ऑनलाइन पढ़ाई छात्रों की स्किल और ट्रेनिंग के स्तर को गिरा सकती है. इसी सिफारिश को आयोग ने स्वीकार कर इसे लागू कर दिया है. यह भी पढ़ें : सिंपल लाइफस्टाइल लेकिन आलीशान पसंद, ये है कोकिलाबेन की पहचान

उच्च शिक्षा की दुनिया से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने बड़ा फैसला लिया है कि आने वाले शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त 2025 से मनोविज्ञान, पोषण और अन्य स्वास्थ्य संबंधी विषयों की पढ़ाई अब ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा (ODL) मोड में नहीं होगी.
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को साफ निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे इन विषयों को अब केवल नियमित यानी ऑफलाइन मोड में ही पढ़ा सकेंगे. आयोग का कहना है कि जिन विषयों का सीधा संबंध स्वास्थ्य सेवा और व्यावहारिक प्रशिक्षण से है, उन्हें ऑनलाइन मोड में पढ़ाना छात्रों और समाज दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग (NCAHP) अधिनियम, 2021 के तहत लागू किया गया है. इस अधिनियम में शामिल विषय जैसे मनोविज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, खाद्य एवं पोषण विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, नैदानिक पोषण और आहार विज्ञान को अब दूरस्थ या ऑनलाइन माध्यम से पढ़ने की अनुमति नहीं होगी.
क्या बोले UGC सचिव?
यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा है कि जुलाई-अगस्त 2025 और उसके बाद से इन कोर्सों को ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा में पेश करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी. यहां तक कि अगर किसी संस्थान को पहले से इन विषयों की मान्यता मिली हुई है तो वह भी वापस ले ली जाएगी. साथ ही, किसी भी विश्वविद्यालय को इन कोर्सों में नए छात्रों को दाखिला देने की अनुमति नहीं होगी.
इस निर्णय के पीछे सबसे बड़ा कारण शिक्षा की गुणवत्ता बताया जा रहा है. आयोग का मानना है कि मनोविज्ञान और पोषण जैसे विषय सिर्फ किताबों से नहीं सीखे जा सकते. इनमें व्यावहारिक ज्ञान, प्रयोगशाला कार्य और फील्ड ट्रेनिंग जरूरी होती है.
हालांकि यह फैसला केवल उन्हीं विषयों पर लागू होगा जो NCAHP अधिनियम, 2021 के तहत आते हैं. गौरतलब है कि यूजीसी पहले से ही कई प्रैक्टिकल और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा में रोक लगा चुका है. इनमें इंजीनियरिंग, चिकित्सा, दंत चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, वास्तुकला, फिजियोथेरेपी, पैरामेडिकल, कृषि, बागवानी, होटल प्रबंधन, खानपान प्रौद्योगिकी, दृश्य कला और कानून जैसे विषय शामिल हैं. अब इस सूची में मनोविज्ञान और पोषण भी जोड़ दिए गए हैं.
बैठक में लिया फैसला
यह फैसला हाल ही में हुई यूजीसी बैठक में औपचारिक रूप से मंजूर किया गया. दरअसल, अप्रैल 2025 में आयोजित 24वीं दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो कार्य समूह की बैठक में इसकी सिफारिश की गई थी. उस बैठक में यह चिंता जताई गई थी कि प्रैक्टिकल और हेल्थ से जुड़े विषयों की ऑनलाइन पढ़ाई छात्रों की स्किल और ट्रेनिंग के स्तर को गिरा सकती है. इसी सिफारिश को आयोग ने स्वीकार कर इसे लागू कर दिया है.
यह भी पढ़ें : सिंपल लाइफस्टाइल लेकिन आलीशान पसंद, ये है कोकिलाबेन की पहचान
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