हरियाली अमावस्या 2025: दुर्लभ योगों में पितृ दोष मुक्ति, सुख-समृद्धि और कालसर्प दोष से राहत!

हरियाली अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, पुष्य नक्षत्र के साथ कई शुभ योग सावन माह में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है, जो पितरों के श्राद्ध के लिए अत्यंत शुभ है. इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से सौभाग्य, सुख-शांति और पितृशांति की प्राप्ति होती है. हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण करना भी अति शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है. भगवान शिव इस दिन विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इस वर्ष 2025 में यह पर्व कई दुर्लभ और शुभ योगों के साथ आ रहा है, जो इसे और भी खास बनाते हैं. 23 जुलाई की रात 2:29 बजे से शुरू होकर 24 जुलाई को रात 12:41 बजे तक चलने वाली इस अमावस्या पर गुरु पुष्य नक्षत्र योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शिववास योग, हर्षण योग, तथा सर्वा अमृत योग बन रहे हैं. इन योगों में किए गए शिव पूजा, तर्पण और दान से पितृदोष से मुक्ति, आर्थिक उन्नति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है. जन्मों-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और देवता, ऋषि-मुनि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इन उपायों से मिलेगा भाग्य का साथ, आर्थिक स्थिति में होगा सुधार हरियाली अमावस्या के दिन स्नान, दान और पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त इस प्रकार हैं: सुबह 5:38 से 7:20 तक चर मुहूर्त सुबह 10:35 से दोपहर 12:27 तक लाभ मुहूर्त दोपहर 12:27 से 2:10 तक इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों के लिए पिंडदान और दान-पुण्य करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. यदि नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी उत्तम फलदायक है. पितृसूक्त, गीता, गरुड़ पुराण या पितृ कवच का पाठ करें या विद्वान पंडित से करवाएं. पितरों की शांति हेतु ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा दें. इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है. आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए घर के ईशान कोण में लाल रंग के धागे से बनी बत्ती में घी का दीपक जलाएं. ध्यान रखें कि बत्ती रूई की न हो और दीपक में केसर की कुछ बूँदें जरूर डालें. इसके बाद कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक समृद्धि मिलती है. हरियाली अमावस्या की रात पूजा घर की थाली में ‘ऊँ’ अक्षर बनाकर महालक्ष्मी यंत्र रखें और विधिपूर्वक उसकी पूजा-अर्चना करें. इससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और लक्ष्मी का वास होता है. कालसर्प दोष, पितृ दोष तथा साढ़ेसाती से राहत पाने का दुर्लभ समय कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति जीवन में अनेक समस्याओं से जूझता है. हरियाली अमावस्या का यह शुभ दिन कालसर्प दोष से मुक्ति का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है. इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और तर्पण करने से कालसर्प दोष, पितृ दोष और साढ़ेसाती के प्रभाव कम होते हैं. वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए पति-पत्नी भगवान शिव एवं मां पार्वती का पंचामृत से स्नान करवाएं, गंगाजल से शुद्ध करें, बेलपत्र अर्पित करें. पूजा के बाद ‘ऊँ उमामहेश्वराय नमः’ मंत्र की एक माला जाप अवश्य करें. यह उपाय पितृ दोष व कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने में अत्यंत प्रभावशाली है. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Jul 23, 2025 - 06:30
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हरियाली अमावस्या 2025: दुर्लभ योगों में पितृ दोष मुक्ति, सुख-समृद्धि और कालसर्प दोष से राहत!

हरियाली अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, पुष्य नक्षत्र के साथ कई शुभ योग

सावन माह में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है, जो पितरों के श्राद्ध के लिए अत्यंत शुभ है. इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से सौभाग्य, सुख-शांति और पितृशांति की प्राप्ति होती है. हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण करना भी अति शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है. भगवान शिव इस दिन विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है.

इस वर्ष 2025 में यह पर्व कई दुर्लभ और शुभ योगों के साथ आ रहा है, जो इसे और भी खास बनाते हैं. 23 जुलाई की रात 2:29 बजे से शुरू होकर 24 जुलाई को रात 12:41 बजे तक चलने वाली इस अमावस्या पर गुरु पुष्य नक्षत्र योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शिववास योग, हर्षण योग, तथा सर्वा अमृत योग बन रहे हैं. इन योगों में किए गए शिव पूजा, तर्पण और दान से पितृदोष से मुक्ति, आर्थिक उन्नति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है. जन्मों-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और देवता, ऋषि-मुनि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

इन उपायों से मिलेगा भाग्य का साथ, आर्थिक स्थिति में होगा सुधार हरियाली अमावस्या के दिन स्नान, दान और पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • सुबह 5:38 से 7:20 तक

  • चर मुहूर्त सुबह 10:35 से दोपहर 12:27 तक

  • लाभ मुहूर्त दोपहर 12:27 से 2:10 तक

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों के लिए पिंडदान और दान-पुण्य करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. यदि नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी उत्तम फलदायक है.

पितृसूक्त, गीता, गरुड़ पुराण या पितृ कवच का पाठ करें या विद्वान पंडित से करवाएं. पितरों की शांति हेतु ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा दें. इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है.

आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए घर के ईशान कोण में लाल रंग के धागे से बनी बत्ती में घी का दीपक जलाएं. ध्यान रखें कि बत्ती रूई की न हो और दीपक में केसर की कुछ बूँदें जरूर डालें. इसके बाद कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक समृद्धि मिलती है.

हरियाली अमावस्या की रात पूजा घर की थाली में ‘ऊँ’ अक्षर बनाकर महालक्ष्मी यंत्र रखें और विधिपूर्वक उसकी पूजा-अर्चना करें. इससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और लक्ष्मी का वास होता है.

कालसर्प दोष, पितृ दोष तथा साढ़ेसाती से राहत पाने का दुर्लभ समय

कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति जीवन में अनेक समस्याओं से जूझता है. हरियाली अमावस्या का यह शुभ दिन कालसर्प दोष से मुक्ति का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है. इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और तर्पण करने से कालसर्प दोष, पितृ दोष और साढ़ेसाती के प्रभाव कम होते हैं.

वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए पति-पत्नी भगवान शिव एवं मां पार्वती का पंचामृत से स्नान करवाएं, गंगाजल से शुद्ध करें, बेलपत्र अर्पित करें. पूजा के बाद ‘ऊँ उमामहेश्वराय नमः’ मंत्र की एक माला जाप अवश्य करें. यह उपाय पितृ दोष व कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने में अत्यंत प्रभावशाली है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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