स्टेथेस्कोप में भी हो गई AI की एंट्री, सिर्फ 15 सेकेंड में पता लगेंगी इतनी बीमारियां

टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर का तालमेल अब पहले से कहीं ज्यादा तेज हो गया है. अब स्टेथेस्कोप में भी Artificial Intelligence (AI) की एंट्री हो गई है. यह नई तकनीक डॉक्टरों को मरीजों की सेहत को सही से दिखने में बेहद मददगार साबित हो रही है. खास बात यह है कि अब सिर्फ 15 सेकेंड में कई बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.  AI वाला स्टेथेस्कोप कैसे काम करता है? इस स्मार्ट स्टेथेस्कोप में सेंसर और AI एल्गोरिदम लगे होते हैं. जब डॉक्टर इसे मरीज के सीने या पीठ पर रखते हैं और सांस सुनते हैं, तो यह आवाज को रिकॉर्ड करता है. AI उस आवाज़ काअनालाइज करता है और कुछ सेकेंड में बताता है कि मरीज को हार्ट, लंग्स या अन्य अंगों की बीमारी होने का खतरा है. कौन-कौन सी बीमारियों का पता चल सकता है? AI स्टेथेस्कोप से कुछ प्रमुख बीमारियों का पता तेजी से लगाया जा सकता है: हार्ट की बीमारियां – जैसे हार्ट मुरमुर, एंजाइना, हार्ट फेल्योर. सांस से जुड़ी बीमारियां – जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में पानी. ब्लड सर्कुलेशन की समस्याएं – हाई ब्लड प्रेशर या ब्लॉकेज. इन्फेक्शन और सूजन – जैसे न्यूमोनिया या अन्य फेफड़ों की सूजन. 15 सेकेंड में जांच का फायदा पहले डॉक्टरों को मरीज की सांस सुनकर या सीने की जांच करके बीमारी का अंदाजा लगाने में कई मिनट या घंटे लगते थे. AI स्टेथेस्कोप से यह प्रोसेस सिर्फ 15 सेकेंड में पूरा हो जाता है, जिससे समय और मेहनत दोनों बचती हैं. इसके अलावा, शुरुआती स्टेज में बीमारियों का पता चलने पर इलाज जल्दी और आसान हो जाता है. डॉक्टरों के अनुसार डॉ. सोन्या बाबू-नारायण, जो ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की क्लिनिकल डायरेक्टर और कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट हैं, ने हाल ही में एक वीडियो में AI-पावर्ड स्टेथेस्कोप के बारे में बताया, AI स्टेथेस्कोप डॉक्टरों की मदद बढ़ाता है, लेकिन यह उनकी जगह नहीं ले सकता. यह तकनीक खासकर रिमोट एरिया और ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा मददगार है, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर आसानी से नहीं पहुंच पाते. भविष्य में संभावनाएं AI के इस इस्तेमाल से हेल्थकेयर में रियल-टाइम मॉनिटरिंग और बेहतर प्रेडिक्शन संभव है. भविष्य में यह तकनीक और स्मार्ट होकर ऑटोमेटिक रिपोर्टिंग और डाटा एनालिसिस भी करेगी. स्टेथेस्कोप में AI की एंट्री हेल्थकेयर के लिए क्रांतिकारी बदलाव है. यह डॉक्टरों को तेज, सही और शुरुआती स्टेज में बीमारी पहचानने में मदद करता है. अब सिर्फ 15 सेकेंड में मरीज की सेहत का आंकलन संभव है, जिससे इलाज की शुरुआत जल्दी हो सकती है और मरीजों की जान भी बचाई जा सकती है. इसे भी पढ़ें- किस कैंसर से हुआ पवित्र रिश्ता की एक्ट्रेस प्रिया मराठे का निधन? जान लें इसके लक्षण Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Sep 1, 2025 - 11:30
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स्टेथेस्कोप में भी हो गई AI की एंट्री, सिर्फ 15 सेकेंड में पता लगेंगी इतनी बीमारियां

टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर का तालमेल अब पहले से कहीं ज्यादा तेज हो गया है. अब स्टेथेस्कोप में भी Artificial Intelligence (AI) की एंट्री हो गई है. यह नई तकनीक डॉक्टरों को मरीजों की सेहत को सही से दिखने में बेहद मददगार साबित हो रही है. खास बात यह है कि अब सिर्फ 15 सेकेंड में कई बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं. 

AI वाला स्टेथेस्कोप कैसे काम करता है?

इस स्मार्ट स्टेथेस्कोप में सेंसर और AI एल्गोरिदम लगे होते हैं. जब डॉक्टर इसे मरीज के सीने या पीठ पर रखते हैं और सांस सुनते हैं, तो यह आवाज को रिकॉर्ड करता है. AI उस आवाज़ काअनालाइज करता है और कुछ सेकेंड में बताता है कि मरीज को हार्ट, लंग्स या अन्य अंगों की बीमारी होने का खतरा है.

कौन-कौन सी बीमारियों का पता चल सकता है?

  • AI स्टेथेस्कोप से कुछ प्रमुख बीमारियों का पता तेजी से लगाया जा सकता है:
  • हार्ट की बीमारियां – जैसे हार्ट मुरमुर, एंजाइना, हार्ट फेल्योर.
  • सांस से जुड़ी बीमारियां – जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में पानी.
  • ब्लड सर्कुलेशन की समस्याएं – हाई ब्लड प्रेशर या ब्लॉकेज.
  • इन्फेक्शन और सूजन – जैसे न्यूमोनिया या अन्य फेफड़ों की सूजन.

15 सेकेंड में जांच का फायदा

पहले डॉक्टरों को मरीज की सांस सुनकर या सीने की जांच करके बीमारी का अंदाजा लगाने में कई मिनट या घंटे लगते थे. AI स्टेथेस्कोप से यह प्रोसेस सिर्फ 15 सेकेंड में पूरा हो जाता है, जिससे समय और मेहनत दोनों बचती हैं. इसके अलावा, शुरुआती स्टेज में बीमारियों का पता चलने पर इलाज जल्दी और आसान हो जाता है.

डॉक्टरों के अनुसार

डॉ. सोन्या बाबू-नारायण, जो ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की क्लिनिकल डायरेक्टर और कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट हैं, ने हाल ही में एक वीडियो में AI-पावर्ड स्टेथेस्कोप के बारे में बताया, AI स्टेथेस्कोप डॉक्टरों की मदद बढ़ाता है, लेकिन यह उनकी जगह नहीं ले सकता. यह तकनीक खासकर रिमोट एरिया और ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा मददगार है, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर आसानी से नहीं पहुंच पाते.

भविष्य में संभावनाएं

AI के इस इस्तेमाल से हेल्थकेयर में रियल-टाइम मॉनिटरिंग और बेहतर प्रेडिक्शन संभव है. भविष्य में यह तकनीक और स्मार्ट होकर ऑटोमेटिक रिपोर्टिंग और डाटा एनालिसिस भी करेगी. स्टेथेस्कोप में AI की एंट्री हेल्थकेयर के लिए क्रांतिकारी बदलाव है. यह डॉक्टरों को तेज, सही और शुरुआती स्टेज में बीमारी पहचानने में मदद करता है. अब सिर्फ 15 सेकेंड में मरीज की सेहत का आंकलन संभव है, जिससे इलाज की शुरुआत जल्दी हो सकती है और मरीजों की जान भी बचाई जा सकती है.

इसे भी पढ़ें- किस कैंसर से हुआ पवित्र रिश्ता की एक्ट्रेस प्रिया मराठे का निधन? जान लें इसके लक्षण

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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