रटने का जमाना खत्म! अब 9वीं में CBSE कराएगा ओपन बुक एग्जाम, इन देशों में पहले से चल रहा है ये सिस्टम

बीते कुछ दिनों में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा पैटर्न में काफी बदलाव देखने को मिले हैं. अब बोर्ड की ओर से NCFSE 2023 के तहत क्लास 9 में ओपन बुक असेसमेंट को लागू करने की मंजूरी दी है. यह बदलाव शैक्षणिक सत्र 2026-27 से शुरू हो जाएगा. स्टूडेंट्स के लिए यह कॉन्सेप्ट बिलकुल नया है और उन्हें इसके बारे में कुछ भी नहीं पता है. कई देशों में ये कई सालों से चला आ रहा है. ओपन बुक एग्जाम कोई नया प्रयोग नहीं है. यूरोप के लॉ कॉलेजों में इसकी शुरुआत कई सौ साल पहले ही हो चुकी थी. जिसके कई सालों बाद यह धीरे-धीरे अन्य कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में फैल गया. आज के समय में यूनाइटेड किंगडम के A-level एग्जाम, नीदरलैंड की ज्यादातर यूनिवर्सिटीज, अमेरिका के कुछ कॉलेज, सिंगापुर और हांगकांग के कई संस्थान, और कनाडा के कुछ राज्यों में हाईस्कूल स्तर तक यह सिस्टम अपनाया जाता है. यह भी पढ़ें- संभल हिंसा से सुर्खियों में आए CO अनुज चौधरी को बड़ा तोहफा, बने ASP; अब मिलेगी इतनी सैलरी क्या होता है ओपन बुक एग्जाम? इस सिस्टम में छात्र परीक्षा के दौरान किताबें, नोट्स और अन्य स्टडी मटीरियल का इस्तेमाल कर सकते हैं. सुनने में यह बेहद आसान लगता है. जैसे, सवाल आया और किताब पलटकर जवाब ढूंढ लिया. लेकिन असली चुनौती यहीं से शुरू होती है. यहां सिर्फ किताब में से लाइन कॉपी कर देना काम नहीं आता. नंबर तभी मिलेंगे जब छात्र जवाब को समझकर, अपनी भाषा में लिखेगा. स्टूडेंट्स को पता होना चाहिए कि सवाल किस टॉपिक से जुड़ा है, उसका कॉन्सेप्ट क्या है और आप उसे अपने शब्दों में किस तरह समझा सकते हैं. इस तरह की परीक्षा छात्रों की गहरी समझ, विश्लेषण क्षमता और प्रैक्टिकल नॉलेज को परखती है. रटने से ज्यादा समझ पर फोकस रिपोर्ट्स के अनुसार देश के ज्यादातर छात्र रट्टा मारकर परीक्षा देते हैं. लेकिन ओपन बुक सिस्टम में यह तरीका बेकार साबित होता है. यहां टॉपिक को अच्छे से समझना और उसका सही अर्थ निकालना होता है.  यही कारण है कि यह सिस्टम छात्रों को रटने की आदत से बाहर निकाल सकता है. यह भी पढ़ें- UPSC में पास होकर भी फाइनल लिस्ट से बाहर हुए उम्मीदवारों को मिलेगा नया मौका, इस योजना से खुलेगा रास्ता क्या हैं इसके फायदे रटने की आदत कम होगी छात्र समझ के साथ पढ़ाई करेंगे. सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता बढ़ेगी. हर सवाल को हल करने के लिए दिमाग का इस्तेमाल जरूरी होगा. असल दुनिया में भी हम समस्या सुलझाने के लिए रेफरेंस लेते हैं, यही चीज यहां सिखाई जाती है. किताब साथ होने से मन में यह डर कम रहता है कि कहीं कुछ भूल न जाएं. ये हो सकते हैं नुकसान बिना तैयारी के किताब साथ होने का कोई फायदा नहीं. किताब से जवाब ढूंढना और फिर समझकर लिखना समय ले सकता है. अलग-अलग छात्रों की भाषा और प्रस्तुति अलग होगी, जिससे मार्किंग में चुनौती आ सकती है. यह भी पढ़ें- सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा की कहानियां पढ़ेंगे स्टूडेंट्स, NCERT के सिलेबस में बड़ा बदलाव

Aug 11, 2025 - 15:30
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रटने का जमाना खत्म! अब 9वीं में CBSE कराएगा ओपन बुक एग्जाम, इन देशों में पहले से चल रहा है ये सिस्टम

बीते कुछ दिनों में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा पैटर्न में काफी बदलाव देखने को मिले हैं. अब बोर्ड की ओर से NCFSE 2023 के तहत क्लास 9 में ओपन बुक असेसमेंट को लागू करने की मंजूरी दी है. यह बदलाव शैक्षणिक सत्र 2026-27 से शुरू हो जाएगा. स्टूडेंट्स के लिए यह कॉन्सेप्ट बिलकुल नया है और उन्हें इसके बारे में कुछ भी नहीं पता है. कई देशों में ये कई सालों से चला आ रहा है.

ओपन बुक एग्जाम कोई नया प्रयोग नहीं है. यूरोप के लॉ कॉलेजों में इसकी शुरुआत कई सौ साल पहले ही हो चुकी थी. जिसके कई सालों बाद यह धीरे-धीरे अन्य कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में फैल गया. आज के समय में यूनाइटेड किंगडम के A-level एग्जाम, नीदरलैंड की ज्यादातर यूनिवर्सिटीज, अमेरिका के कुछ कॉलेज, सिंगापुर और हांगकांग के कई संस्थान, और कनाडा के कुछ राज्यों में हाईस्कूल स्तर तक यह सिस्टम अपनाया जाता है.

यह भी पढ़ें- संभल हिंसा से सुर्खियों में आए CO अनुज चौधरी को बड़ा तोहफा, बने ASP; अब मिलेगी इतनी सैलरी

क्या होता है ओपन बुक एग्जाम?

इस सिस्टम में छात्र परीक्षा के दौरान किताबें, नोट्स और अन्य स्टडी मटीरियल का इस्तेमाल कर सकते हैं. सुनने में यह बेहद आसान लगता है. जैसे, सवाल आया और किताब पलटकर जवाब ढूंढ लिया. लेकिन असली चुनौती यहीं से शुरू होती है. यहां सिर्फ किताब में से लाइन कॉपी कर देना काम नहीं आता. नंबर तभी मिलेंगे जब छात्र जवाब को समझकर, अपनी भाषा में लिखेगा.

स्टूडेंट्स को पता होना चाहिए कि सवाल किस टॉपिक से जुड़ा है, उसका कॉन्सेप्ट क्या है और आप उसे अपने शब्दों में किस तरह समझा सकते हैं. इस तरह की परीक्षा छात्रों की गहरी समझ, विश्लेषण क्षमता और प्रैक्टिकल नॉलेज को परखती है.

रटने से ज्यादा समझ पर फोकस

रिपोर्ट्स के अनुसार देश के ज्यादातर छात्र रट्टा मारकर परीक्षा देते हैं. लेकिन ओपन बुक सिस्टम में यह तरीका बेकार साबित होता है. यहां टॉपिक को अच्छे से समझना और उसका सही अर्थ निकालना होता है.  यही कारण है कि यह सिस्टम छात्रों को रटने की आदत से बाहर निकाल सकता है.

यह भी पढ़ें- UPSC में पास होकर भी फाइनल लिस्ट से बाहर हुए उम्मीदवारों को मिलेगा नया मौका, इस योजना से खुलेगा रास्ता

क्या हैं इसके फायदे

  • रटने की आदत कम होगी छात्र समझ के साथ पढ़ाई करेंगे.
  • सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता बढ़ेगी. हर सवाल को हल करने के लिए दिमाग का इस्तेमाल जरूरी होगा.
  • असल दुनिया में भी हम समस्या सुलझाने के लिए रेफरेंस लेते हैं, यही चीज यहां सिखाई जाती है.
  • किताब साथ होने से मन में यह डर कम रहता है कि कहीं कुछ भूल न जाएं.

ये हो सकते हैं नुकसान

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