ये है आइंस्टीन से भी ज्यादा आईक्यू वाली महनूर चीमा, महज 18 साल की उम्र में कर दिया कमाल
इंग्लैंड की रहने वाली 18 वर्षीय महनूर चीमा ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है. महनूर ने अब तक 23 ए-लेवल्स और 34 जीसीएसई पास किए हैं. उनका आईक्यू 162 बताया जाता है, जो अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग से भी ज्यादा है. इतनी कम उम्र में ऐसी उपलब्धि हासिल कर महनूर ने दुनिया को चौंका दिया है. महनूर कहती हैं कि पढ़ाई उनके लिए कभी बोझ नहीं बनी. औसत छात्र की तुलना में उन्होंने कम समय पढ़ाई में लगाया और फिर भी शानदार नतीजे हासिल किए. उनका मानना है कि उन्हें किस्मत का साथ मिला और उनकी याददाश्त काफी तेज है, जिसकी वजह से वे चीज़ों को आसानी से समझ लेती हैं. वह यह भी कहती हैं कि अगर पढ़ाई में मजा न आता तो शायद वह इतने विषयों की परीक्षाएं देने की हिम्मत भी न कर पातीं. यह सफर तब शुरू हुआ जब महनूर कक्षा आठ में थीं. उस समय उन्होंने लगभग 50 विषयों की एक सूची बनाकर स्कूल को दी, लेकिन स्कूल प्रशासन ने साफ कहा कि वे सिर्फ 10 विषयों की अनुमति देंगे. उस दिन से ही महनूर ने ठान लिया कि वह और ज्यादा एग्जाम्स देंगी. यही जुनून धीरे-धीरे बढ़ता गया और देखते-ही-देखते 23 ए-लेवल्स तक पहुंच गया. माता-पिता ने दिया साथ महनूर के माता-पिता भी इस सफर में उनके साथ हमेशा खड़े रहे. कई बार लोग मानते हैं कि इस तरह की उपलब्धियों के पीछे माता-पिता का दबाव होता है, लेकिन महनूर ने साफ कहा कि उनके केस में उल्टा हुआ. उनके माता-पिता हमेशा कहते थे कि इतने ज्यादा एग्जाम्स देने की जरूरत नहीं है. लेकिन महनूर की लगन देखकर वे हर बार उनका साथ देते रहे. चाहे परीक्षा के लिए नामांकन कराना हो या कहीं ले जाना, माता-पिता हमेशा तैयार रहते. महनूर के अनुसार, यही उनका सबसे बड़ा सहारा रहा. पढ़ाई के अलावा भी महनूर का जीवन संतुलित और खुशहाल है. वह कहती हैं कि लोग सोचते हैं कि वह दिन-रात किताबों में डूबी रहती होंगी, लेकिन असलियत इससे बिल्कुल अलग है. उनका कहना है कि वह खेल-कूद, अतिरिक्त गतिविधियों और दोस्तों के साथ मज़े करने में भी उतनी ही सक्रिय हैं. वह खुद को पूरी तरह संतुलित जीवन जीने वाला इंसान मानती हैं. इसमें सबसे ज्यादा रूचि अब महनूर का सपना है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई करना. बचपन से ही उनकी ख्वाहिश थी कि वह ऑक्सफोर्ड जाएं. जबसे उन्होंने होश संभाला, उनके दिमाग में सिर्फ यही सपना रहा. अब जब यह सपना पूरा होने जा रहा है तो उनके लिए खुशी शब्दों से परे है. वह कहती हैं कि उन्हें हमेशा से यह जानने में दिलचस्पी रही है कि दिमाग कैसे काम करता है और यही कारण है कि वह न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में जाना चाहती हैं.यह भी पढ़ें : महज 10वीं तक पढ़ी हैं मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन, बोल लेती हैं इतनी सारी भाषाएं

इंग्लैंड की रहने वाली 18 वर्षीय महनूर चीमा ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है. महनूर ने अब तक 23 ए-लेवल्स और 34 जीसीएसई पास किए हैं. उनका आईक्यू 162 बताया जाता है, जो अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग से भी ज्यादा है. इतनी कम उम्र में ऐसी उपलब्धि हासिल कर महनूर ने दुनिया को चौंका दिया है.
महनूर कहती हैं कि पढ़ाई उनके लिए कभी बोझ नहीं बनी. औसत छात्र की तुलना में उन्होंने कम समय पढ़ाई में लगाया और फिर भी शानदार नतीजे हासिल किए. उनका मानना है कि उन्हें किस्मत का साथ मिला और उनकी याददाश्त काफी तेज है, जिसकी वजह से वे चीज़ों को आसानी से समझ लेती हैं. वह यह भी कहती हैं कि अगर पढ़ाई में मजा न आता तो शायद वह इतने विषयों की परीक्षाएं देने की हिम्मत भी न कर पातीं.
यह सफर तब शुरू हुआ जब महनूर कक्षा आठ में थीं. उस समय उन्होंने लगभग 50 विषयों की एक सूची बनाकर स्कूल को दी, लेकिन स्कूल प्रशासन ने साफ कहा कि वे सिर्फ 10 विषयों की अनुमति देंगे. उस दिन से ही महनूर ने ठान लिया कि वह और ज्यादा एग्जाम्स देंगी. यही जुनून धीरे-धीरे बढ़ता गया और देखते-ही-देखते 23 ए-लेवल्स तक पहुंच गया.
माता-पिता ने दिया साथ
महनूर के माता-पिता भी इस सफर में उनके साथ हमेशा खड़े रहे. कई बार लोग मानते हैं कि इस तरह की उपलब्धियों के पीछे माता-पिता का दबाव होता है, लेकिन महनूर ने साफ कहा कि उनके केस में उल्टा हुआ. उनके माता-पिता हमेशा कहते थे कि इतने ज्यादा एग्जाम्स देने की जरूरत नहीं है. लेकिन महनूर की लगन देखकर वे हर बार उनका साथ देते रहे. चाहे परीक्षा के लिए नामांकन कराना हो या कहीं ले जाना, माता-पिता हमेशा तैयार रहते. महनूर के अनुसार, यही उनका सबसे बड़ा सहारा रहा.
पढ़ाई के अलावा भी महनूर का जीवन संतुलित और खुशहाल है. वह कहती हैं कि लोग सोचते हैं कि वह दिन-रात किताबों में डूबी रहती होंगी, लेकिन असलियत इससे बिल्कुल अलग है. उनका कहना है कि वह खेल-कूद, अतिरिक्त गतिविधियों और दोस्तों के साथ मज़े करने में भी उतनी ही सक्रिय हैं. वह खुद को पूरी तरह संतुलित जीवन जीने वाला इंसान मानती हैं.
इसमें सबसे ज्यादा रूचि
अब महनूर का सपना है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई करना. बचपन से ही उनकी ख्वाहिश थी कि वह ऑक्सफोर्ड जाएं. जबसे उन्होंने होश संभाला, उनके दिमाग में सिर्फ यही सपना रहा. अब जब यह सपना पूरा होने जा रहा है तो उनके लिए खुशी शब्दों से परे है. वह कहती हैं कि उन्हें हमेशा से यह जानने में दिलचस्पी रही है कि दिमाग कैसे काम करता है और यही कारण है कि वह न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में जाना चाहती हैं.
यह भी पढ़ें : महज 10वीं तक पढ़ी हैं मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन, बोल लेती हैं इतनी सारी भाषाएं
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