ये नए दौर का इश्क है...Gen Z कैसे फरमाती है इश्क? जानें सिचुएशनशिप से लेकर ब्रेडक्रंबिंग जैसे टर्म्स का मतलब
प्यार हर दौर में रहा है, लेकिन वक्त के साथ इसके रंग-ढंग बदलते रहे. कभी चिट्ठियों और फोन कॉल्स का जमाना था, तो अब सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स का दौर है. खासकर Gen Z (1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी) के लिए इश्क के मायने काफी अलग हैं. ये पीढ़ी रिश्तों को नए नाम देती है और अक्सर अंग्रेजी टर्म्स का इस्तेमाल करती है. आइए आसान भाषा में समझते हैं, Gen Z किस तरह मुहब्बत बयां करती है और कौन-से नए शब्द इस्तेमाल करती है. चलिए जानते हैं इनके बारे में. 1. सिचुएशनशिप (Situationship) ये सबसे ज्यादा सुनने को मिलने वाला शब्द है. इसका मतलब है, ऐसा रिश्ता जो दोस्ती और रिलेशनशिप के बीच में हो. इसमें दोनों लोग साथ रहते हैं, बातें करते हैं, डेट पर जाते हैं, लेकिन इसे "ऑफिशियल" नाम नहीं देते. यानी न तो सिर्फ दोस्त हैं और न ही पूरी तरह कपल. ये रिश्ता तब तक चलता है, जब तक दोनों को सुविधा हो. 2. ब्रेडक्रंबिंग (Breadcrumbing) ब्रेडक्रंबिंग का मतलब है, किसी को बस छोटे-छोटे इशारों से उम्मीदों पर टिकाए रखना, पर असली कमिटमेंट न करना. जैसे कभी "हाय" मैसेज कर देना, स्टोरी लाइक कर देना, पर मिलने या रिश्ते को आगे बढ़ाने से बचना. इससे सामने वाला कंफ्यूजन में रहता है कि रिश्ता बनेगा या नहीं. 3. घोस्टिंग (Ghosting) घोस्टिंग का मतलब है, अचानक किसी की जिंदगी से गायब हो जाना. यानी बात करना, चैटिंग करना सब बंद कर देना, बिना बताए. Gen Z में ये ट्रेंड काफी आम है. लोग सोचते हैं कि अगर मन न लगे तो सीधे गायब हो जाना आसान है. 4. बेन्चिंग (Benching) जैसे क्रिकेट में खिलाड़ी को "बेंच" पर बैठा दिया जाता है, वैसे ही प्यार में भी होता है. बेन्चिंग का मतलब है, किसी को रिज़र्व में रखना. यानी रिश्ता पूरी तरह तोड़ना नहीं, लेकिन उसे प्राथमिकता भी न देना. जब तक कोई बेहतर ऑप्शन न मिल जाए, तब तक सामने वाले को इंतजार में रखना. 5. डबल टेक्स्टिंग (Double Texting) जब कोई जवाब नहीं देता और आप बार-बार मैसेज करते रहते हैं, उसे डबल टेक्स्टिंग कहते हैं. यह प्यार में बेसब्री और बेचैनी का संकेत है. Gen Z में इसे थोड़ा नेगेटिव माना जाता है, क्योंकि यह "ओवर अटेंशन" जैसा लगता है. 6. हार्ड लॉन्च और सॉफ्ट लॉन्च (Hard & Soft Launch) सोशल मीडिया के इस दौर में रिलेशनशिप को भी लॉन्च किया जाता है. सॉफ्ट लॉन्च- सिर्फ किसी की तस्वीर का हाथ दिखाना, साथ में कॉफी कप पोस्ट करना, यानी रिश्ते का हल्का-सा इशारा. हार्ड लॉन्च- सीधे अपने पार्टनर की पूरी फोटो शेयर करना और सबको बता देना "हां, यही है मेरा प्यार." क्यों बदल रही है मुहब्बत की भाषा? Gen Z खुलकर अपनी भावनाएं जताती है, लेकिन कमिटमेंट को लेकर सावधान रहती है. सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स ने रिश्तों को तेज और अस्थिर बना दिया है. अब प्यार सिर्फ मुलाकातों और फोन कॉल्स तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इमोजी, चैट और इंस्टा स्टोरीज में भी जिंदा है. ये नए दौर का इश्क है, जहां मुहब्बत के साथ-साथ "कंफ्यूजन" भी चलता है. सिचुएशनशिप, ब्रेडक्रंबिंग या घोस्टिंग, ये सब शब्द बताते हैं कि आज का प्यार आसान भी है और पेचीदा भी. शायद यही वजह है कि Gen Z के लिए इश्क एक "रिलेशनशिप स्टेटस" से ज्यादा एक "रियल-टाइम एक्सपीरियंस" बन गया है. इसे भी पढ़ें- क्या होती है कॉन्ट्रा डेटिंग, आजकल क्यों बढ़ रहा इसका क्रेज?

प्यार हर दौर में रहा है, लेकिन वक्त के साथ इसके रंग-ढंग बदलते रहे. कभी चिट्ठियों और फोन कॉल्स का जमाना था, तो अब सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स का दौर है. खासकर Gen Z (1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी) के लिए इश्क के मायने काफी अलग हैं. ये पीढ़ी रिश्तों को नए नाम देती है और अक्सर अंग्रेजी टर्म्स का इस्तेमाल करती है. आइए आसान भाषा में समझते हैं, Gen Z किस तरह मुहब्बत बयां करती है और कौन-से नए शब्द इस्तेमाल करती है. चलिए जानते हैं इनके बारे में.
1. सिचुएशनशिप (Situationship)
ये सबसे ज्यादा सुनने को मिलने वाला शब्द है. इसका मतलब है, ऐसा रिश्ता जो दोस्ती और रिलेशनशिप के बीच में हो. इसमें दोनों लोग साथ रहते हैं, बातें करते हैं, डेट पर जाते हैं, लेकिन इसे "ऑफिशियल" नाम नहीं देते. यानी न तो सिर्फ दोस्त हैं और न ही पूरी तरह कपल. ये रिश्ता तब तक चलता है, जब तक दोनों को सुविधा हो.
2. ब्रेडक्रंबिंग (Breadcrumbing)
ब्रेडक्रंबिंग का मतलब है, किसी को बस छोटे-छोटे इशारों से उम्मीदों पर टिकाए रखना, पर असली कमिटमेंट न करना. जैसे कभी "हाय" मैसेज कर देना, स्टोरी लाइक कर देना, पर मिलने या रिश्ते को आगे बढ़ाने से बचना. इससे सामने वाला कंफ्यूजन में रहता है कि रिश्ता बनेगा या नहीं.
3. घोस्टिंग (Ghosting)
घोस्टिंग का मतलब है, अचानक किसी की जिंदगी से गायब हो जाना. यानी बात करना, चैटिंग करना सब बंद कर देना, बिना बताए. Gen Z में ये ट्रेंड काफी आम है. लोग सोचते हैं कि अगर मन न लगे तो सीधे गायब हो जाना आसान है.
4. बेन्चिंग (Benching)
जैसे क्रिकेट में खिलाड़ी को "बेंच" पर बैठा दिया जाता है, वैसे ही प्यार में भी होता है. बेन्चिंग का मतलब है, किसी को रिज़र्व में रखना. यानी रिश्ता पूरी तरह तोड़ना नहीं, लेकिन उसे प्राथमिकता भी न देना. जब तक कोई बेहतर ऑप्शन न मिल जाए, तब तक सामने वाले को इंतजार में रखना.
5. डबल टेक्स्टिंग (Double Texting)
जब कोई जवाब नहीं देता और आप बार-बार मैसेज करते रहते हैं, उसे डबल टेक्स्टिंग कहते हैं. यह प्यार में बेसब्री और बेचैनी का संकेत है. Gen Z में इसे थोड़ा नेगेटिव माना जाता है, क्योंकि यह "ओवर अटेंशन" जैसा लगता है.
6. हार्ड लॉन्च और सॉफ्ट लॉन्च (Hard & Soft Launch)
- सोशल मीडिया के इस दौर में रिलेशनशिप को भी लॉन्च किया जाता है.
- सॉफ्ट लॉन्च- सिर्फ किसी की तस्वीर का हाथ दिखाना, साथ में कॉफी कप पोस्ट करना, यानी रिश्ते का हल्का-सा इशारा.
- हार्ड लॉन्च- सीधे अपने पार्टनर की पूरी फोटो शेयर करना और सबको बता देना "हां, यही है मेरा प्यार."
क्यों बदल रही है मुहब्बत की भाषा?
Gen Z खुलकर अपनी भावनाएं जताती है, लेकिन कमिटमेंट को लेकर सावधान रहती है. सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स ने रिश्तों को तेज और अस्थिर बना दिया है. अब प्यार सिर्फ मुलाकातों और फोन कॉल्स तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इमोजी, चैट और इंस्टा स्टोरीज में भी जिंदा है. ये नए दौर का इश्क है, जहां मुहब्बत के साथ-साथ "कंफ्यूजन" भी चलता है. सिचुएशनशिप, ब्रेडक्रंबिंग या घोस्टिंग, ये सब शब्द बताते हैं कि आज का प्यार आसान भी है और पेचीदा भी. शायद यही वजह है कि Gen Z के लिए इश्क एक "रिलेशनशिप स्टेटस" से ज्यादा एक "रियल-टाइम एक्सपीरियंस" बन गया है.
इसे भी पढ़ें- क्या होती है कॉन्ट्रा डेटिंग, आजकल क्यों बढ़ रहा इसका क्रेज?
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