'भारत के झंडे को खड़ा करने के लिए मेरे मंत्रियों ने गोली खाईं', कश्मीरी पंडितों के सवाल पर भड़के फारूक अब्दुल्ला

Farooq Abdullah on Kashmiri Pandit: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीरी पंडितों पर हुई बर्बरता को लेकर कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन उन्होंने पंडितों को कश्मीर से नहीं निकाला. उन्होंने कहा कि पंडितों के लिए गाड़ियां उपलब्ध कराई गई थीं और इस घटना के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. न्यूज़ 18 को दिए एक इंटरव्यू में फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "क्या आपको पता है, इस घटना में मेरे कितने मंत्री मारे गए, कितने विधायक मारे गए, कितने वर्कर्स मारे गए? 1500 से ज्यादा लोग मारे गए, सिर्फ भारत का झंडा फहराने के लिए. उन्हें मस्जिद से निकलते ही गोली मार दी गई. विधानसभा पर हमला हुआ, जिसमें 40 लोग मारे गए और लोग कहते रहे- "फारूक अब्दुल्ला कहां है? फारूक अब्दुल्ला कहां है?" अपने इस्तीफे के बारे में क्या बोले फारूक अब्दुल्ला? उन्होंने आगे कहा कि जब कश्मीरी पंडितों पर नरसंहार हो रहा था, उस समय मैंने भारत सरकार से सेना की कुछ और कंपनियां भेजने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इनकार कर दिया. अगर वे 15 कंपनियां भेज देते तो यह स्थिति नहीं आती. अपने इस्तीफे के बारे में उन्होंने कहा, "अगर मुझे पता होता कि यह सब होने वाला है तो मैं कभी इस्तीफा नहीं देता. अगर मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं तो मुझे फांसी पर लटका दो." फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 का उठाया मुद्दा इसके साथ ही फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, "सरकार कहती रही कि अनुच्छेद 370 की वजह से आतंकवाद है और इसलिए उसे हटा दिया गया. मैं पूछता हूं- क्या इससे आतंकवाद खत्म हो गया? आप सरकार से पूछिए कि क्या इससे देश से आतंकवाद खत्म हो जाएगा?" पहलगाम हमले पर फारूक अब्दुल्ला ने कही ये बात पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार के लिए अपनी राय देने के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "मैं इस पर कोई बयान नहीं देना चाहता. प्रधानमंत्री और देश की सरकार खुद तय करें कि इस हमले का बदला कैसे लेना है और पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय कैसे दिलाना है. यह सरकार को तय करना है कि इस स्थिति से कैसे निपटना चाहिए." ये भी पढ़ें- मोदी सरकार का बड़ा फैसला, IMF से केवी सुब्रमण्यन को वापस बुलाया; कार्यकाल से 6 महीने पहले खत्म की सर्विस

May 4, 2025 - 10:30
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'भारत के झंडे को खड़ा करने के लिए मेरे मंत्रियों ने गोली खाईं', कश्मीरी पंडितों के सवाल पर भड़के फारूक अब्दुल्ला

Farooq Abdullah on Kashmiri Pandit: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीरी पंडितों पर हुई बर्बरता को लेकर कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन उन्होंने पंडितों को कश्मीर से नहीं निकाला. उन्होंने कहा कि पंडितों के लिए गाड़ियां उपलब्ध कराई गई थीं और इस घटना के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

न्यूज़ 18 को दिए एक इंटरव्यू में फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "क्या आपको पता है, इस घटना में मेरे कितने मंत्री मारे गए, कितने विधायक मारे गए, कितने वर्कर्स मारे गए? 1500 से ज्यादा लोग मारे गए, सिर्फ भारत का झंडा फहराने के लिए. उन्हें मस्जिद से निकलते ही गोली मार दी गई. विधानसभा पर हमला हुआ, जिसमें 40 लोग मारे गए और लोग कहते रहे- "फारूक अब्दुल्ला कहां है? फारूक अब्दुल्ला कहां है?"

अपने इस्तीफे के बारे में क्या बोले फारूक अब्दुल्ला?

उन्होंने आगे कहा कि जब कश्मीरी पंडितों पर नरसंहार हो रहा था, उस समय मैंने भारत सरकार से सेना की कुछ और कंपनियां भेजने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इनकार कर दिया. अगर वे 15 कंपनियां भेज देते तो यह स्थिति नहीं आती. अपने इस्तीफे के बारे में उन्होंने कहा, "अगर मुझे पता होता कि यह सब होने वाला है तो मैं कभी इस्तीफा नहीं देता. अगर मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं तो मुझे फांसी पर लटका दो."

फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 का उठाया मुद्दा

इसके साथ ही फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, "सरकार कहती रही कि अनुच्छेद 370 की वजह से आतंकवाद है और इसलिए उसे हटा दिया गया. मैं पूछता हूं- क्या इससे आतंकवाद खत्म हो गया? आप सरकार से पूछिए कि क्या इससे देश से आतंकवाद खत्म हो जाएगा?"

पहलगाम हमले पर फारूक अब्दुल्ला ने कही ये बात

पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार के लिए अपनी राय देने के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "मैं इस पर कोई बयान नहीं देना चाहता. प्रधानमंत्री और देश की सरकार खुद तय करें कि इस हमले का बदला कैसे लेना है और पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय कैसे दिलाना है. यह सरकार को तय करना है कि इस स्थिति से कैसे निपटना चाहिए."

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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, IMF से केवी सुब्रमण्यन को वापस बुलाया; कार्यकाल से 6 महीने पहले खत्म की सर्विस

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