फास्टिंग अब सिर्फ खाने पर नहीं, स्क्रीन पर भी! तेजी से पॉपुलर हो रही डिजिटल फास्टिंग
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्मार्टफोन और स्क्रीन का इस्तेमाल हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है. काम हो या मनोरंजन, हर चीज डिजिटल डिवाइस पर निर्भर है. लेकिन लगातार स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने से आंखों और दिमाग पर गंभीर असर पड़ रहा है. इसी बीच जब एक नया कॉन्सेप्ट तेजी से पॉपुलर हो रहा है यह कॉन्‍सेप्‍ट डिजिटल फास्टिंग है. क्या है डिजिटल फास्टिंग डिजिटल फास्टिंग का मतलब है मोबाइल, लैपटॉप, टीवी और टैबलेट जैसे गैजेट्स से कुछ समय के लिए दूरी बनाना. इसका उद्देश्य आंखों को आराम देना, मानसिक थकान कम करना और शरीर को रिलैक्स करना है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस डिजिटल आई स्‍ट्रेन यानी कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचने का एक बेहतर उपाय माना जा रहा है. क्यों जरूरी है स्क्रीन से ब्रेक लेना हाइब्रिड वर्क मॉडल और ऑनलाइन पढ़ाई के चलते लोग दिनभर में 8 से 10 घंटे तक स्क्रीन पर समय बिताते हैं. यह आदत कई समस्याओं को जन्म देती है. इसमें आंखों में जलन, सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी दिक्कतें शामिल है. लंबे समय तक स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों में नजदीक की न दिखाई देने वाली बीमारी मायोपिया को बढ़ा सकता है. साथ ही ब्लू लाइट की वजह से नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है जिससे स्वास्थ्य पर और भी असर पड़ता है. क्या है डिजिटल फास्टिंग के फायदे स्क्रीन से समय-समय पर ब्रेक लेने से न सिर्फ आंखों को आराम मिलता है, बल्कि मानसिक थकान भी कम होती है. नींद की क्वालिटी बेहतर होती है और काम के दौरान फोकस भी बढ़ता है. कैसे करें डिजिटल फास्टिंग एक्सपर्ट्स बताते हैं कि डिजिटल फास्टिंग के लिए आपको 20-20-20 का रूल अपनाना चाहिए. 20-20-20 के इस रूल का मतलब है कि हर 20 मिनट बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूरी दूर किसी चीज को देखना होगा. इसके अलावा पर्याप्त रोशनी में काम करना, पानी ज्यादा पीना और स्क्रीन टाइम को स्ट्रक्चर करना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. ये भी पढ़ें- अंबानी-अडानी या कोई और... ट्रंप के टैरिफ का सबसे ज्यादा असर भारत के किस रईस पर?

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्मार्टफोन और स्क्रीन का इस्तेमाल हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है. काम हो या मनोरंजन, हर चीज डिजिटल डिवाइस पर निर्भर है. लेकिन लगातार स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने से आंखों और दिमाग पर गंभीर असर पड़ रहा है. इसी बीच जब एक नया कॉन्सेप्ट तेजी से पॉपुलर हो रहा है यह कॉन्सेप्ट डिजिटल फास्टिंग है.
क्या है डिजिटल फास्टिंग
डिजिटल फास्टिंग का मतलब है मोबाइल, लैपटॉप, टीवी और टैबलेट जैसे गैजेट्स से कुछ समय के लिए दूरी बनाना. इसका उद्देश्य आंखों को आराम देना, मानसिक थकान कम करना और शरीर को रिलैक्स करना है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस डिजिटल आई स्ट्रेन यानी कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचने का एक बेहतर उपाय माना जा रहा है.
क्यों जरूरी है स्क्रीन से ब्रेक लेना
हाइब्रिड वर्क मॉडल और ऑनलाइन पढ़ाई के चलते लोग दिनभर में 8 से 10 घंटे तक स्क्रीन पर समय बिताते हैं. यह आदत कई समस्याओं को जन्म देती है. इसमें आंखों में जलन, सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी दिक्कतें शामिल है. लंबे समय तक स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों में नजदीक की न दिखाई देने वाली बीमारी मायोपिया को बढ़ा सकता है. साथ ही ब्लू लाइट की वजह से नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है जिससे स्वास्थ्य पर और भी असर पड़ता है.
क्या है डिजिटल फास्टिंग के फायदे
स्क्रीन से समय-समय पर ब्रेक लेने से न सिर्फ आंखों को आराम मिलता है, बल्कि मानसिक थकान भी कम होती है. नींद की क्वालिटी बेहतर होती है और काम के दौरान फोकस भी बढ़ता है.
कैसे करें डिजिटल फास्टिंग
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि डिजिटल फास्टिंग के लिए आपको 20-20-20 का रूल अपनाना चाहिए. 20-20-20 के इस रूल का मतलब है कि हर 20 मिनट बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूरी दूर किसी चीज को देखना होगा. इसके अलावा पर्याप्त रोशनी में काम करना, पानी ज्यादा पीना और स्क्रीन टाइम को स्ट्रक्चर करना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है.
ये भी पढ़ें- अंबानी-अडानी या कोई और... ट्रंप के टैरिफ का सबसे ज्यादा असर भारत के किस रईस पर?
What's Your Reaction?






