डोनाल्ड ट्रंप के शपथ से पहले अपशकुन और दुर्योधन के जन्म के समय की स्थिति...क्या इन दोनों में कोई समानता है?

इतिहास जब स्वयं को दोहराता है, तो वह सीधे तथ्य नहीं लाता, वह प्रतीकों, अपशकुनों और घटनाओं की छायाओं में अपनी गूंज सुनाता है. महाभारत में दुर्योधन का जन्म जिस प्रकार महायुद्ध का शंखनाद बन गया था, उसी प्रकार ट्रंप की शपथ से पहले लगी जंगल की आग और आज भारत-पाक को लेकर दिए जा रहे उनके बयान एक ही पंक्ति में खड़े दिखाई देते हैं, क्या ये सब मात्र संयोग हैं या सत्ता की वही पुरानी नियति? दुर्योधन जन्म का भयावह आरंभ महाभारत में वर्णन है, कि जब दुर्योधन का जन्म हुआ तो आकाश से उल्का-पिंड बरसे. गिद्ध, कौवे और गीदड़ अशुभ ध्वनि करने लगे. धरती कांप उठी और नगर में भय फैल गया. उस समय इन स्थितियों को देखते हुए महर्षि व्यास और ब्राह्मणों ने धृतराष्ट्र से कहा था कि- त्याग दीजिए इस बालक को, अन्यथा यह युद्ध की ज्वाला में समस्त वंश को भस्म कर देगा. लेकिन मोह ने निर्णय पर पर्दा डाल दिया. नतीजा वही हुआ, महाभारत का युद्ध. यह प्रसंग हमें बताता है कि जब सत्ता की शुरुआत अपशकुनों से होती है, तो अंत में समाज महाविनाश की ओर धकेल दिया जाता है. इसे पढ़ें- 'डोनाल्ड ट्रंप' की शपथ से पहले अमेरिका में लगी आग किसी अपशकुन का संकेत तो नहीं? इसे लेकर शास्त्र क्या कहता है? शकुनाः स्युर्विनाशाय, शुभाय च शुभाशुभाःयानी शकुन-अपशकुन कभी व्यर्थ नहीं होते; वे आने वाले समय की दिशा बताते हैं. महाभारत (आदि पर्व, अध्याय 115–116) “जज्ञे तु तस्मिन्नेव दिने कुरुपुंगवः, तदा चापि महाभागा विनाशं जगतः स्मृतम्दुर्योधन का जन्म होते ही विद्वानों ने इसे विश्व-विनाश का कारण बताया. ट्रंप की शपथ और आधुनिक अपशकुन 20 जनवरी 2017 को डोनाल्ड ट्रंप का शपथग्रहण था. लेकिन यह कोई सामान्य सत्ता परिवर्तन नहीं था. लेकिन इससे पूर्व कैलिफ़ोर्निया और लॉस एंजेलिस में लगी भयंकर जंगल की आग ने लाखों पक्षियों और पशुओं की जान ले ली. वॉशिंगटन डी.सी. में शपथ से पहले ही दंगे और आगजनी हुई, मानो लोकतंत्र का उत्सव एक युद्धभूमि में बदल गया हो. मौसम ने भी संकेत दिया, अचानक बारिश और बादलों की स्थिति में अजीब सी हलचल देखी गई, जो अमूमन कम ही देखने को मिलती है. ज्योतिषीय दृष्टि से भी शनि संधिकाल, राहु-केतु दोष और मंगल-सूर्य तनाव जैसे योग उस क्षण को घेरे हुए थे. यह सब एक ही बात की ओर इशारा कर रहे थे, सत्ता का यह आरंभ शांति का नहीं, विभाजन का दूत होगा. भारत-पाक पर ट्रंप के बयान: कूटनीति या अशुभ हस्तक्षेप? आज, आठ वर्ष बाद, ट्रंप जब भारत-पाक संबंधों पर दावा करते हैं कि उन्होंने युद्ध रोका, विमान गिराए जाने की स्थिति को शांत किया और ट्रेड को हथियार की तरह इस्तेमाल किया, तो भारतीय जनमानस में यह कथन किसी अपशकुन की पुनरावृत्ति सा प्रतीत होता है. व्हाइट हाउस और ट्रंप का दावा कि हमने भारत-पाक युद्ध रोका, भारत ने सख्ती से इसे खारिज किया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि संघर्ष को विराम भारत की सैन्य कार्रवाई (ऑपरेशन सिंदूर) से मिला, किसी तीसरे की दखल से नहीं. शशि थरूर ने तीखी टिप्पणी की थी कि शांति का कारण ट्रंप नहीं, बल्कि भारत की सफल स्ट्राइक्स थीं. यहां भी वही प्रतीक दोहराया जाता है, दूसरे की सत्ता अपने अहंकार में अपशकुन को नज़रअंदाज़ कर देती है, और असल कारण को छिपाने का प्रयास करती है. भारतीय धारणा: मित्रता का अंत? 2014–19 के बीच मोदी और ट्रंप की तस्वीरें हाउडी मोदी से लेकर नमस्ते ट्रंप तक मित्रता का प्रतीक बनीं. लेकिन 2025 में यह संबंध तीव्र असंतोष और अविश्वास में बदल चुका है. कैसे समझते हैं- टैरिफ और आर्थिक नीतियां, भारत के लिए संकट. रूस से तेल आयात पर अमेरिकी आपत्ति, भारत की संप्रभुता पर सवाल. ट्रंप के लगातार बयान, भारतीय समाज में आक्रोश और असंतोष. The Washington Post ने हाल में इसे the worst crisis in two decades कहा. भारतीयों में अब यह धारणा बन रही है कि ट्रंप मित्र नहीं, बल्कि एक अशुभ संकेतक हैं, जैसे दुर्योधन का जन्म कुरु वंश के लिए था. 2025 में फिर वही संकेत दिखाई दे रहे हैं, शनि मीन राशि में प्रवेश कर जल-सुरक्षा, समुद्री संघर्ष और वैश्विक आपूर्ति-शृंखला पर संकट का इशारा कर रहा है. राहु कुंभ और केतु सिंह से जनआन्दोलन, ऑनलाइन असंतोष और नेतृत्व की छवि पर दबाव है. गुरु मिथुन और अर्द्रा नक्षत्र में रहते हुए सूचना-युद्ध, मीडिया-नैरेटिव और कूटनीतिक तनाव को तीव्र कर रहा है, जबकि मंगल सिंह में प्रवेश कर सीमा-पार सैन्य तनाव का सूचक है. इसका अर्थ यह है कि आने वाले महीनों में भारत-अमेरिका संबंधों में दरार गहरी हो सकती है, भारत-पाक सीमा पर झड़पें या हवाई संघर्ष की स्थिति बन सकती है और आर्थिक-सामाजिक स्तर पर अस्थिरता का दौर तेज हो सकता है. यानी महाभारत काल के अपशकुन और आज के ग्रहयोग दोनों एक ही दिशा में संकेत करते हैं, जब सत्ता अहंकार और विभाजन से घिरी हो, तो भविष्य शांति का नहीं बल्कि संघर्ष का दूत बनता है. शकुन और अपशकुन केवल घटनाएं नहीं होते, वे भविष्य की छाया होते हैं.दुर्योधन का जन्म एक युद्ध का सूचक था. डोनाल्ड ट्रंप का शपथग्रहण और अब उनके बयान, भारत-पाक युद्ध और कूटनीतिक संकट के बीच, वही संदेश दोहरा रहे हैं, सत्ता जब अहंकार और असत्य पर टिकी हो, तो उसके आरंभ के अशुभ संकेत समाज को महाविनाश की ओर ले जाते हैं. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. ----समाप्त------

Aug 20, 2025 - 21:30
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डोनाल्ड ट्रंप के शपथ से पहले अपशकुन और दुर्योधन के जन्म के समय की स्थिति...क्या इन दोनों में कोई समानता है?

इतिहास जब स्वयं को दोहराता है, तो वह सीधे तथ्य नहीं लाता, वह प्रतीकों, अपशकुनों और घटनाओं की छायाओं में अपनी गूंज सुनाता है. महाभारत में दुर्योधन का जन्म जिस प्रकार महायुद्ध का शंखनाद बन गया था, उसी प्रकार ट्रंप की शपथ से पहले लगी जंगल की आग और आज भारत-पाक को लेकर दिए जा रहे उनके बयान एक ही पंक्ति में खड़े दिखाई देते हैं, क्या ये सब मात्र संयोग हैं या सत्ता की वही पुरानी नियति?

दुर्योधन जन्म का भयावह आरंभ

महाभारत में वर्णन है, कि जब दुर्योधन का जन्म हुआ तो आकाश से उल्का-पिंड बरसे. गिद्ध, कौवे और गीदड़ अशुभ ध्वनि करने लगे. धरती कांप उठी और नगर में भय फैल गया.

उस समय इन स्थितियों को देखते हुए महर्षि व्यास और ब्राह्मणों ने धृतराष्ट्र से कहा था कि- त्याग दीजिए इस बालक को, अन्यथा यह युद्ध की ज्वाला में समस्त वंश को भस्म कर देगा.

लेकिन मोह ने निर्णय पर पर्दा डाल दिया. नतीजा वही हुआ, महाभारत का युद्ध. यह प्रसंग हमें बताता है कि जब सत्ता की शुरुआत अपशकुनों से होती है, तो अंत में समाज महाविनाश की ओर धकेल दिया जाता है. इसे पढ़ें- 'डोनाल्ड ट्रंप' की शपथ से पहले अमेरिका में लगी आग किसी अपशकुन का संकेत तो नहीं?

इसे लेकर शास्त्र क्या कहता है?

शकुनाः स्युर्विनाशाय, शुभाय च शुभाशुभाः
यानी शकुन-अपशकुन कभी व्यर्थ नहीं होते; वे आने वाले समय की दिशा बताते हैं.

महाभारत (आदि पर्व, अध्याय 115–116)

“जज्ञे तु तस्मिन्नेव दिने कुरुपुंगवः, तदा चापि महाभागा विनाशं जगतः स्मृतम्
दुर्योधन का जन्म होते ही विद्वानों ने इसे विश्व-विनाश का कारण बताया.

ट्रंप की शपथ और आधुनिक अपशकुन

20 जनवरी 2017 को डोनाल्ड ट्रंप का शपथग्रहण था. लेकिन यह कोई सामान्य सत्ता परिवर्तन नहीं था. लेकिन इससे पूर्व कैलिफ़ोर्निया और लॉस एंजेलिस में लगी भयंकर जंगल की आग ने लाखों पक्षियों और पशुओं की जान ले ली.

वॉशिंगटन डी.सी. में शपथ से पहले ही दंगे और आगजनी हुई, मानो लोकतंत्र का उत्सव एक युद्धभूमि में बदल गया हो. मौसम ने भी संकेत दिया, अचानक बारिश और बादलों की स्थिति में अजीब सी हलचल देखी गई, जो अमूमन कम ही देखने को मिलती है.

ज्योतिषीय दृष्टि से भी शनि संधिकाल, राहु-केतु दोष और मंगल-सूर्य तनाव जैसे योग उस क्षण को घेरे हुए थे. यह सब एक ही बात की ओर इशारा कर रहे थे, सत्ता का यह आरंभ शांति का नहीं, विभाजन का दूत होगा.

भारत-पाक पर ट्रंप के बयान: कूटनीति या अशुभ हस्तक्षेप?

आज, आठ वर्ष बाद, ट्रंप जब भारत-पाक संबंधों पर दावा करते हैं कि उन्होंने युद्ध रोका, विमान गिराए जाने की स्थिति को शांत किया और ट्रेड को हथियार की तरह इस्तेमाल किया, तो भारतीय जनमानस में यह कथन किसी अपशकुन की पुनरावृत्ति सा प्रतीत होता है.

व्हाइट हाउस और ट्रंप का दावा कि हमने भारत-पाक युद्ध रोका, भारत ने सख्ती से इसे खारिज किया.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि संघर्ष को विराम भारत की सैन्य कार्रवाई (ऑपरेशन सिंदूर) से मिला, किसी तीसरे की दखल से नहीं.

शशि थरूर ने तीखी टिप्पणी की थी कि शांति का कारण ट्रंप नहीं, बल्कि भारत की सफल स्ट्राइक्स थीं.

यहां भी वही प्रतीक दोहराया जाता है, दूसरे की सत्ता अपने अहंकार में अपशकुन को नज़रअंदाज़ कर देती है, और असल कारण को छिपाने का प्रयास करती है.

भारतीय धारणा: मित्रता का अंत?

2014–19 के बीच मोदी और ट्रंप की तस्वीरें हाउडी मोदी से लेकर नमस्ते ट्रंप तक मित्रता का प्रतीक बनीं. लेकिन 2025 में यह संबंध तीव्र असंतोष और अविश्वास में बदल चुका है. कैसे समझते हैं-

  • टैरिफ और आर्थिक नीतियां, भारत के लिए संकट.
  • रूस से तेल आयात पर अमेरिकी आपत्ति, भारत की संप्रभुता पर सवाल.
  • ट्रंप के लगातार बयान, भारतीय समाज में आक्रोश और असंतोष.

The Washington Post ने हाल में इसे the worst crisis in two decades कहा. भारतीयों में अब यह धारणा बन रही है कि ट्रंप मित्र नहीं, बल्कि एक अशुभ संकेतक हैं, जैसे दुर्योधन का जन्म कुरु वंश के लिए था.

2025 में फिर वही संकेत दिखाई दे रहे हैं, शनि मीन राशि में प्रवेश कर जल-सुरक्षा, समुद्री संघर्ष और वैश्विक आपूर्ति-शृंखला पर संकट का इशारा कर रहा है.

राहु कुंभ और केतु सिंह से जनआन्दोलन, ऑनलाइन असंतोष और नेतृत्व की छवि पर दबाव है. गुरु मिथुन और अर्द्रा नक्षत्र में रहते हुए सूचना-युद्ध, मीडिया-नैरेटिव और कूटनीतिक तनाव को तीव्र कर रहा है, जबकि मंगल सिंह में प्रवेश कर सीमा-पार सैन्य तनाव का सूचक है.

इसका अर्थ यह है कि आने वाले महीनों में भारत-अमेरिका संबंधों में दरार गहरी हो सकती है, भारत-पाक सीमा पर झड़पें या हवाई संघर्ष की स्थिति बन सकती है और आर्थिक-सामाजिक स्तर पर अस्थिरता का दौर तेज हो सकता है.

यानी महाभारत काल के अपशकुन और आज के ग्रहयोग दोनों एक ही दिशा में संकेत करते हैं, जब सत्ता अहंकार और विभाजन से घिरी हो, तो भविष्य शांति का नहीं बल्कि संघर्ष का दूत बनता है.

शकुन और अपशकुन केवल घटनाएं नहीं होते, वे भविष्य की छाया होते हैं.
दुर्योधन का जन्म एक युद्ध का सूचक था. डोनाल्ड ट्रंप का शपथग्रहण और अब उनके बयान, भारत-पाक युद्ध और कूटनीतिक संकट के बीच, वही संदेश दोहरा रहे हैं, सत्ता जब अहंकार और असत्य पर टिकी हो, तो उसके आरंभ के अशुभ संकेत समाज को महाविनाश की ओर ले जाते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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