डेंगू होने पर कब पड़ती है प्लेटलेट्स की जरूरत, कब तक कर सकते हैं इंतजार?
Dengue Platelet Count: बरसात का मौसम आते ही डेंगू का खतरा तेजी से बढ़ जाता है. मच्छरों से फैलने वाली यह बीमारी कई बार सामान्य बुखार जैसी लगती है, लेकिन सही समय पर ध्यान न देने पर यह गंभीर रूप ले सकती है. डेंगू के मरीजों में सबसे ज्यादा चिंता का कारण प्लेटलेट्स की गिरती संख्या होती है. अक्सर लोग यह सवाल पूछते हैं कि आखिर प्लेटलेट्स कब चढ़ाने चाहिए और कब तक इंतजार किया जा सकता है? डॉ. अविनाश कुमार का कहना है कि, डेंगू वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स को प्रभावित करता है. प्लेटलेट्स खून को जमाने का काम करते हैं. जब इनकी संख्या सामान्य से कम हो जाती है तो मरीज में खून बहने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि हर स्थिति में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती. ये भी पढ़े- साइलेंट किलर डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है, जानिए लक्षण, कारण और बचाव कब होती है प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत? अगर प्लेटलेट्स की संख्या 10,000 से 20,000 तक गिर जाए और मरीज में ब्लीडिंग के लक्षण दिखने लगें (जैसे नाक से खून आना, मसूड़ों से खून बहना या शरीर पर लाल चकत्ते दिखना) तो तुरंत प्लेटलेट्स चढ़ाना जरूरी होता है. अगर प्लेटलेट्स की संख्या 20,000 से अधिक है और मरीज में कोई ब्लीडिंग नहीं है, तो आमतौर पर प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती. सिर्फ प्लेटलेट्स की संख्या कम होने से डरने की बजाय, मरीज की स्थिति और लक्षणों को देखकर ही फैसला लेना चाहिए. कब तक किया जा सकता है इंतजार? डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या धीरे-धीरे गिरती है और फिर कुछ दिनों बाद अपने आप बढ़ने लगती है. यदि प्लेटलेट्स 50,000 या उससे अधिक हैं और मरीज स्थिर है, तो इंतजार करना बिल्कुल सुरक्षित है. जरूरत से ज्यादा जल्दी प्लेटलेट्स चढ़ाना भी सही नहीं है, क्योंकि यह हमेशा शरीर के लिए फायदेमंद नहीं होता. मरीज की देखभाल पर ध्यान दें डेंगू के मरीज को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ (पानी, नारियल पानी, सूप, जूस) देना चाहिए ताकि शरीर डिहाइड्रेट न हो. आराम करना और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लेना बेहद जरूरी है. खुद से दवाइयां या स्टेरॉयड लेना खतरनाक हो सकता है. नियमित रूप से ब्लड टेस्ट कराते रहें ताकि प्लेटलेट्स की गिरावट पर नजर रखी जा सके. ये भी पढ़ें: बदल रहा है पेशाब का रंग, कहीं पित्त की थैली में पथरी तो नहीं? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Dengue Platelet Count: बरसात का मौसम आते ही डेंगू का खतरा तेजी से बढ़ जाता है. मच्छरों से फैलने वाली यह बीमारी कई बार सामान्य बुखार जैसी लगती है, लेकिन सही समय पर ध्यान न देने पर यह गंभीर रूप ले सकती है. डेंगू के मरीजों में सबसे ज्यादा चिंता का कारण प्लेटलेट्स की गिरती संख्या होती है. अक्सर लोग यह सवाल पूछते हैं कि आखिर प्लेटलेट्स कब चढ़ाने चाहिए और कब तक इंतजार किया जा सकता है?
डॉ. अविनाश कुमार का कहना है कि, डेंगू वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स को प्रभावित करता है. प्लेटलेट्स खून को जमाने का काम करते हैं. जब इनकी संख्या सामान्य से कम हो जाती है तो मरीज में खून बहने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि हर स्थिति में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती.
ये भी पढ़े- साइलेंट किलर डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है, जानिए लक्षण, कारण और बचाव
कब होती है प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत?
अगर प्लेटलेट्स की संख्या 10,000 से 20,000 तक गिर जाए और मरीज में ब्लीडिंग के लक्षण दिखने लगें (जैसे नाक से खून आना, मसूड़ों से खून बहना या शरीर पर लाल चकत्ते दिखना) तो तुरंत प्लेटलेट्स चढ़ाना जरूरी होता है.
- अगर प्लेटलेट्स की संख्या 20,000 से अधिक है और मरीज में कोई ब्लीडिंग नहीं है, तो आमतौर पर प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती.
- सिर्फ प्लेटलेट्स की संख्या कम होने से डरने की बजाय, मरीज की स्थिति और लक्षणों को देखकर ही फैसला लेना चाहिए.
कब तक किया जा सकता है इंतजार?
- डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या धीरे-धीरे गिरती है और फिर कुछ दिनों बाद अपने आप बढ़ने लगती है.
- यदि प्लेटलेट्स 50,000 या उससे अधिक हैं और मरीज स्थिर है, तो इंतजार करना बिल्कुल सुरक्षित है.
- जरूरत से ज्यादा जल्दी प्लेटलेट्स चढ़ाना भी सही नहीं है, क्योंकि यह हमेशा शरीर के लिए फायदेमंद नहीं होता.
मरीज की देखभाल पर ध्यान दें
- डेंगू के मरीज को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ (पानी, नारियल पानी, सूप, जूस) देना चाहिए ताकि शरीर डिहाइड्रेट न हो.
- आराम करना और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लेना बेहद जरूरी है.
- खुद से दवाइयां या स्टेरॉयड लेना खतरनाक हो सकता है.
- नियमित रूप से ब्लड टेस्ट कराते रहें ताकि प्लेटलेट्स की गिरावट पर नजर रखी जा सके.
ये भी पढ़ें: बदल रहा है पेशाब का रंग, कहीं पित्त की थैली में पथरी तो नहीं?
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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