ट्रंप का 50% टैरिफ भारत के लिए बन सकता है बड़ा मौका, आनंद महिंद्रा ने पोस्ट कर समझाया

Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है. बुधवार को इस नए टैरिफ का ऐलान किया गया और यह 7 अगस्त से 21 दिन बाद, यानी 27 अगस्त से लागू होगा. ट्रंप के इस कदम के कारण कई भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत तक हो जाएगा. टैरिफ में यह भारी वृद्धि ऐसे समय में की गई है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक बातचीत लगभग बंद हो चुकी है. हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या इसी तरह की कार्रवाई चीन समेत उन अन्य देशों पर भी की जाएगी, जो रूस से तेल का आयात करते हैं. भारत इस स्थिति से कैसे फायदा उठा सकता है? जहां एक ओर भारत इस स्थिति में काफी दबाव का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय व्यावसायिक समुदाय से कुछ अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए इसे देश के लिए लंबी अवधि के अवसर के रूप में देखने की सलाह दी है. उन्होंने इस पोस्ट में “अनपेक्षित परिणामों” का उदाहरण देते हुए बताया कि ये बदलाव भारत के लिए भविष्य में लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने अपने रक्षा खर्च में वृद्धि की है. जर्मनी ने अपनी सख्त वित्तीय नीतियों में नरमी लाई है, जिससे यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में पुनरुत्थान संभव है और यह क्षेत्र वैश्विक विकास का नया इंजन बन सकता है. कनाडा के संदर्भ में उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से अपने प्रांतों के बीच आंतरिक व्यापार बाधाओं से जूझ रहा था. लेकिन अब, वैश्विक आर्थिक बदलावों के कारण, वह इन बाधाओं को दूर करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था और अधिक मजबूत व एकीकृत बन सकती है. भारत के लिए सुझाव: आनंद महिंद्रा ने सवाल उठाया कि क्या भारत इस वैश्विक ‘मंथन’ से ‘अमृत’ निकाल सकता है, जैसा कि 1991 के विदेशी मुद्रा संकट ने आर्थिक उदारीकरण की राह खोली थी? उन्होंने दो प्रमुख क्षेत्रों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता बताई: ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (व्यापार करने में सुगमता) पर्यटन को बढ़ावा देना उनका कहना है कि भारत को अब धीरे-धीरे सुधारों की बजाय, एक सच्ची ‘सिंगल विंडो प्रणाली’ स्थापित करनी चाहिए, जिससे सभी निवेश अनुमतियाँ एक ही मंच पर मिल सकें. उन्होंने सुझाव दिया कि कुछ राज्य मिलकर एक साझा मंच बना सकते हैं, जिससे निवेशकों को गति, पारदर्शिता और भरोसेमंद माहौल मिल सके. पर्यटन को उन्होंने भारत की सबसे कम उपयोग की गई विदेशी मुद्रा अर्जन और रोजगार सृजन की संभावना बताया. इसके अतिरिक्त, उन्होंने कुछ और ज़रूरी कदमों की भी बात की: MSME सेक्टर को तरलता और सहायता प्रदान करना, इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाना और PLI योजनाओं से मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देना है. ये भी पढ़ें: टाटा ग्रुप की एक और कंपनी बाजार में धमाल मचाने को तैयार, आ रहा इस साल का सबसे बड़ा IPO

Aug 7, 2025 - 08:30
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ट्रंप का 50% टैरिफ भारत के लिए बन सकता है बड़ा मौका, आनंद महिंद्रा ने पोस्ट कर समझाया

Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है. बुधवार को इस नए टैरिफ का ऐलान किया गया और यह 7 अगस्त से 21 दिन बाद, यानी 27 अगस्त से लागू होगा. ट्रंप के इस कदम के कारण कई भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत तक हो जाएगा.

टैरिफ में यह भारी वृद्धि ऐसे समय में की गई है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक बातचीत लगभग बंद हो चुकी है. हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या इसी तरह की कार्रवाई चीन समेत उन अन्य देशों पर भी की जाएगी, जो रूस से तेल का आयात करते हैं.

भारत इस स्थिति से कैसे फायदा उठा सकता है?

जहां एक ओर भारत इस स्थिति में काफी दबाव का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय व्यावसायिक समुदाय से कुछ अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए इसे देश के लिए लंबी अवधि के अवसर के रूप में देखने की सलाह दी है. उन्होंने इस पोस्ट में “अनपेक्षित परिणामों” का उदाहरण देते हुए बताया कि ये बदलाव भारत के लिए भविष्य में लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं.


उन्होंने कहा कि फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने अपने रक्षा खर्च में वृद्धि की है. जर्मनी ने अपनी सख्त वित्तीय नीतियों में नरमी लाई है, जिससे यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में पुनरुत्थान संभव है और यह क्षेत्र वैश्विक विकास का नया इंजन बन सकता है.

कनाडा के संदर्भ में उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से अपने प्रांतों के बीच आंतरिक व्यापार बाधाओं से जूझ रहा था. लेकिन अब, वैश्विक आर्थिक बदलावों के कारण, वह इन बाधाओं को दूर करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था और अधिक मजबूत व एकीकृत बन सकती है.

भारत के लिए सुझाव:

आनंद महिंद्रा ने सवाल उठाया कि क्या भारत इस वैश्विक ‘मंथन’ से ‘अमृत’ निकाल सकता है, जैसा कि 1991 के विदेशी मुद्रा संकट ने आर्थिक उदारीकरण की राह खोली थी? उन्होंने दो प्रमुख क्षेत्रों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता बताई:

ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (व्यापार करने में सुगमता)

पर्यटन को बढ़ावा देना

उनका कहना है कि भारत को अब धीरे-धीरे सुधारों की बजाय, एक सच्ची ‘सिंगल विंडो प्रणाली’ स्थापित करनी चाहिए, जिससे सभी निवेश अनुमतियाँ एक ही मंच पर मिल सकें. उन्होंने सुझाव दिया कि कुछ राज्य मिलकर एक साझा मंच बना सकते हैं, जिससे निवेशकों को गति, पारदर्शिता और भरोसेमंद माहौल मिल सके. पर्यटन को उन्होंने भारत की सबसे कम उपयोग की गई विदेशी मुद्रा अर्जन और रोजगार सृजन की संभावना बताया. इसके अतिरिक्त, उन्होंने कुछ और ज़रूरी कदमों की भी बात की: MSME सेक्टर को तरलता और सहायता प्रदान करना, इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाना और PLI योजनाओं से मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देना है.

ये भी पढ़ें: टाटा ग्रुप की एक और कंपनी बाजार में धमाल मचाने को तैयार, आ रहा इस साल का सबसे बड़ा IPO

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