टैरिफ के सदमे से उबर नहीं पा रहा रुपया, ऐतिहासिक निचले स्तर के बाद और आई गिरावट

Dollar vs Rupee: ट्रंप के भारत पर हाई टैरिफ लगाने के बाद हाल के दिनों में भारतीय रुपये में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे हालात में अब रुपये को सहारा देने की उम्मीद केवल आरबीआई के कदमों से की जा रही है. विदेशी पूंजी की लगातार निकासी की वजह से निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा है. नतीजतन, हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 17 पैसे टूटकर 88.26 के स्तर पर आ गया. अब तक का सबसे निचला स्तर पिछले हफ्ते शुक्रवार को रुपया 88 का स्तर पार करते हुए 88.09 पर बंद हुआ था. वहीं, छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 97.70 पर रहा. रुपया टूटा, बाजार चढ़ा रुपये में ऐतिहासिक गिरावट के बावजूद सोमवार को शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 343.46 अंक चढ़कर 80,153.11 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 105.8 अंक की बढ़त के साथ 24,532.65 पर कारोबार कर रहा था. अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड भी 0.41 प्रतिशत बढ़कर 67.20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) शुक्रवार को शुद्ध रूप से 8,312.66 करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके थे. क्यों आई उथल-पुथल? रुपये की गिरावट और बाजार में उथल-पुथल की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हाई टैरिफ है. रूस से तेल खरीदने के चलते ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कुल टैरिफ दरें 50 प्रतिशत तक पहुंच गई हैं. ट्रंप की यह रणनीति रूस पर दबाव बनाने की कोशिश का हिस्सा है, लेकिन अभी तक उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली है. भारत इस झटके को झेलने के लिए दो मोर्चों पर काम कर रहा है—एक तरफ सरकार ने जीएसटी सुधारों का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर रूस और चीन के साथ संबंधों को मजबूत करके वैकल्पिक व्यापारिक रास्ते तलाशने की कोशिशें तेज कर दी हैं. ये भी पढ़ें: वैश्विक तनाव के बीच सोना सस्ता हुआ या महंगा? आज 1 सितंबर 2025 को आपके शहर का भाव

Sep 1, 2025 - 14:30
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टैरिफ के सदमे से उबर नहीं पा रहा रुपया, ऐतिहासिक निचले स्तर के बाद और आई गिरावट

Dollar vs Rupee: ट्रंप के भारत पर हाई टैरिफ लगाने के बाद हाल के दिनों में भारतीय रुपये में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे हालात में अब रुपये को सहारा देने की उम्मीद केवल आरबीआई के कदमों से की जा रही है. विदेशी पूंजी की लगातार निकासी की वजह से निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा है. नतीजतन, हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 17 पैसे टूटकर 88.26 के स्तर पर आ गया.

अब तक का सबसे निचला स्तर

पिछले हफ्ते शुक्रवार को रुपया 88 का स्तर पार करते हुए 88.09 पर बंद हुआ था. वहीं, छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 97.70 पर रहा.

रुपया टूटा, बाजार चढ़ा

रुपये में ऐतिहासिक गिरावट के बावजूद सोमवार को शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 343.46 अंक चढ़कर 80,153.11 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 105.8 अंक की बढ़त के साथ 24,532.65 पर कारोबार कर रहा था. अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड भी 0.41 प्रतिशत बढ़कर 67.20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) शुक्रवार को शुद्ध रूप से 8,312.66 करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके थे.

क्यों आई उथल-पुथल?

रुपये की गिरावट और बाजार में उथल-पुथल की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हाई टैरिफ है. रूस से तेल खरीदने के चलते ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कुल टैरिफ दरें 50 प्रतिशत तक पहुंच गई हैं. ट्रंप की यह रणनीति रूस पर दबाव बनाने की कोशिश का हिस्सा है, लेकिन अभी तक उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली है.

भारत इस झटके को झेलने के लिए दो मोर्चों पर काम कर रहा है—एक तरफ सरकार ने जीएसटी सुधारों का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर रूस और चीन के साथ संबंधों को मजबूत करके वैकल्पिक व्यापारिक रास्ते तलाशने की कोशिशें तेज कर दी हैं.

ये भी पढ़ें: वैश्विक तनाव के बीच सोना सस्ता हुआ या महंगा? आज 1 सितंबर 2025 को आपके शहर का भाव

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