गुरु अतिचारी नहीं दे रहे शुभ संकेत! जानें क्या होगा जब शनि भी होंगे वक्री
ज्योतिष के अनुसार, गुरु का मिथुन राशि में प्रवेश और शनि का वक्री (Shani Vakri 2025) होना कई बदलाव लाएगा. इससे मौसम में परिवर्तन और राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है. सत्ता में बैठे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में कम वर्षा से किसानों को कष्ट होगा. केंद्र सरकार में बदलाव की संभावना है. गुरु का अतिचारी होना और इसके साथ शनि का वक्री होना हमेशा कष्टकारी साबित होता है. इससे बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों को भी मुसीबत का सामना करना पड़ता है. वहीं, इस साल यह स्थिति तब बनेगी जब गुरु गोचर करते हुए मिथुन राशि में 14 मई को प्रवेश करेंगे और अतिचारी गति से चलते हुए 5 महीने बाद कर्क राशि में 18 अक्तूबर को प्रवेश कर जाएंगे. वहीं, इस बीच शनि भी वक्री रहेंगे. इससे मौसम में कई बदलाव देखने को मिलेंगे और राजनीतिक उथल पुथल भी देखने को मिल सकती है. गुरु का अतिचारी गति में होना तथा शनि का वक्री होना राजाओं को भी कष्ट देता है. यानी सत्ता में बैठे लोगों को तकलीफ देता है. यही स्थिति इस वर्ष बनने जा रही है जब गुरु गोचर में 14 मई को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे और अतिचारी गति से चलते हुए कर्क राशि में केवल 5 महीने के समय में ही 18 अक्टूबर को प्रवेश कर जायेंगे. सामान्यता गुरु एक राशि को पार करने में 12 महीने का समय लेते हैं, जबकि इस वर्ष गुरु अतिचारी होकर मिथुन से अगली राशि कर्क में मात्र 5 महीने में पहुंच जाएंगे और फिर सूर्य से दूर होने के चलते वक्री होकर पुनः मिथुन राशि में वापस आ जाएंगे. गुरु के अतिचारी होने के समय 13 जुलाई से लेकर 28 नवंबर तक शनि वक्री रहेंगे. दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में पाप ग्रह शनि का वक्री होना और शुभ ग्रह गुरु का अतिचारी होना असामान्य वर्षा का योग बना रहा है. जून के महीने और जुलाई के मध्य तक मानसून सामान्य रहेगा किंतु बाद में कम वर्षा से देश के कई भागों विशेषकर दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में किसानों को कष्ट होगा. जून के महीने में हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने से जन-धन की हानि भी होने की आशंका है. कुल मिलकर इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के 4 महीनों में (जून से सितम्बर) के बीच 95% से कुछ कम वर्षा होगी. मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ भविष्य फल भास्कर के अनुसार जब क्रूर ग्रह वक्री हों तथा शुभ ग्रह अतिचारी हों तब असामान्य वर्षा और दुर्भिक्ष से जन-धन की हानि होती है. क्रूरा वक्रा यदा काले सोम्या: शीघ्रास्तु चागता:.. अनावृष्टि च दुर्भिक्षं नृपराष्ट्रभयन्करा :..

ज्योतिष के अनुसार, गुरु का मिथुन राशि में प्रवेश और शनि का वक्री (Shani Vakri 2025) होना कई बदलाव लाएगा. इससे मौसम में परिवर्तन और राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है. सत्ता में बैठे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में कम वर्षा से किसानों को कष्ट होगा. केंद्र सरकार में बदलाव की संभावना है.
गुरु का अतिचारी होना और इसके साथ शनि का वक्री होना हमेशा कष्टकारी साबित होता है. इससे बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों को भी मुसीबत का सामना करना पड़ता है. वहीं, इस साल यह स्थिति तब बनेगी जब गुरु गोचर करते हुए मिथुन राशि में 14 मई को प्रवेश करेंगे और अतिचारी गति से चलते हुए 5 महीने बाद कर्क राशि में 18 अक्तूबर को प्रवेश कर जाएंगे. वहीं, इस बीच शनि भी वक्री रहेंगे. इससे मौसम में कई बदलाव देखने को मिलेंगे और राजनीतिक उथल पुथल भी देखने को मिल सकती है.
गुरु का अतिचारी गति में होना तथा शनि का वक्री होना राजाओं को भी कष्ट देता है. यानी सत्ता में बैठे लोगों को तकलीफ देता है. यही स्थिति इस वर्ष बनने जा रही है जब गुरु गोचर में 14 मई को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे और अतिचारी गति से चलते हुए कर्क राशि में केवल 5 महीने के समय में ही 18 अक्टूबर को प्रवेश कर जायेंगे.
सामान्यता गुरु एक राशि को पार करने में 12 महीने का समय लेते हैं, जबकि इस वर्ष गुरु अतिचारी होकर मिथुन से अगली राशि कर्क में मात्र 5 महीने में पहुंच जाएंगे और फिर सूर्य से दूर होने के चलते वक्री होकर पुनः मिथुन राशि में वापस आ जाएंगे. गुरु के अतिचारी होने के समय 13 जुलाई से लेकर 28 नवंबर तक शनि वक्री रहेंगे.
दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में पाप ग्रह शनि का वक्री होना और शुभ ग्रह गुरु का अतिचारी होना असामान्य वर्षा का योग बना रहा है. जून के महीने और जुलाई के मध्य तक मानसून सामान्य रहेगा किंतु बाद में कम वर्षा से देश के कई भागों विशेषकर दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में किसानों को कष्ट होगा.
जून के महीने में हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने से जन-धन की हानि भी होने की आशंका है. कुल मिलकर इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के 4 महीनों में (जून से सितम्बर) के बीच 95% से कुछ कम वर्षा होगी.
मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ भविष्य फल भास्कर के अनुसार जब क्रूर ग्रह वक्री हों तथा शुभ ग्रह अतिचारी हों तब असामान्य वर्षा और दुर्भिक्ष से जन-धन की हानि होती है. क्रूरा वक्रा यदा काले सोम्या: शीघ्रास्तु चागता:.. अनावृष्टि च दुर्भिक्षं नृपराष्ट्रभयन्करा :..
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