'क्लासेज अटेंड नहीं की फिर भी ले आया तीसरी रैंक', CJI गवई ने दिया सक्सेस का ऐसा मूलमंत्र जो हर किसी को जानना जरूरी
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) ने लॉ कॉलेज की यादें ताजा करते हुए सफलता का एक खास मूलमंत्र दिया है. उन्होंने जो बातें कहीं वो हर किसी को बहुत प्रेरित करेंगी. सीजेआई गवई ने कहा कि परीक्षा परिणाम से किसी की सफलता का स्तर तय नहीं हो सकता है इसलिए उसे बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए. उन्होंने बताया कि पांच साल में वह आधा दर्जन बार ही कॉलेज गए होंगे और फिर भी उन्होंने तीसरी रैंक हासिल की. गोवा के वीएम सालगावंकर कॉलेज ऑफ लॉ के स्वर्ण जयंती समारोह में सीजेआई बी आर गवई शामिल हुए, जहां उन्होंने सीनियर वकीलों के यहां प्रैक्टिस कर रहे जूनियर लॉर्यस को मिलने वाली कम सैलरी पर बात की और उस पर चिंता जताई. इसी दौरान उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों की भी बात की. सीजेआई बी आर गवई ने कहा कि जब वह मुंबई और अमरावती के गवर्मेंट लॉ कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे तो वह क्लास अटेंड नहीं करते थे और उनकी अटेंडेंस उनके क्लासमेट लगवाते थे. सीजेआई गवई ने उन दिनों को याद करते हुए कहा, 'जब मैं मुंबई के गवर्मेंट लॉ कॉलेज में पढ़ता था तो हम कॉलेज की दीवार पर बैठते थे और अपनी अटेंडेंस के लिए क्लासमेट पर डिपेंड रहते थे. इसके बाद जब अमरावती के लॉ कॉलेज में गए तो मैं आधा दर्जन भी क्लास में नहीं गया, मेरे दोस्त मेरी अटेंडेंस लगवाते थे, जो बाद में हाईकोर्ट के जज बने. जब रिजल्ट आया तो मेरिट लिस्ट में मेरी तीसरी रैंक थी, जबकि मैं कॉलेज लगभग गया ही नहीं. मैं बस पिछले पांच सालों के पुराने पेपर सोल्व करता था.' सीजेआई ने कहा कि किसी की क्षमता को जांचने के लिए परीक्षा के परिणामों को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि उनके कई साथियों ने अच्छी रैंक के बावजूद अलग रास्ता चुना. सीजेआई ने बताया कि जिन्हें पहली रैंक मिली, वह क्रिमिनल लॉयर बने और वह सिर्फ बेल करवाने के लिए विशेषज्ञता रखते हैं. दूसरी रैंक पाने वाले जस्टिस वीएल अचिल्या डिस्ट्रिक्ट जज बने और वह खुद जिनकी तीसरी रैंक आई थी वह पहले वकील और अब देश के मुख्य न्यायाधीश हैं. सीजेआई गवई ने कहा कि परीक्षा में आपकी क्या रैंक आई है, उसको बहुत ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए, परीक्षा परिणाम तय नहीं करते कि आपके करियर का लेवल क्या होगा, बल्कि आपका डेडिकेशन, हार्डवर्क और प्रतिबद्धता यह तय करती है.

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) ने लॉ कॉलेज की यादें ताजा करते हुए सफलता का एक खास मूलमंत्र दिया है. उन्होंने जो बातें कहीं वो हर किसी को बहुत प्रेरित करेंगी. सीजेआई गवई ने कहा कि परीक्षा परिणाम से किसी की सफलता का स्तर तय नहीं हो सकता है इसलिए उसे बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए. उन्होंने बताया कि पांच साल में वह आधा दर्जन बार ही कॉलेज गए होंगे और फिर भी उन्होंने तीसरी रैंक हासिल की.
गोवा के वीएम सालगावंकर कॉलेज ऑफ लॉ के स्वर्ण जयंती समारोह में सीजेआई बी आर गवई शामिल हुए, जहां उन्होंने सीनियर वकीलों के यहां प्रैक्टिस कर रहे जूनियर लॉर्यस को मिलने वाली कम सैलरी पर बात की और उस पर चिंता जताई. इसी दौरान उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों की भी बात की.
सीजेआई बी आर गवई ने कहा कि जब वह मुंबई और अमरावती के गवर्मेंट लॉ कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे तो वह क्लास अटेंड नहीं करते थे और उनकी अटेंडेंस उनके क्लासमेट लगवाते थे. सीजेआई गवई ने उन दिनों को याद करते हुए कहा, 'जब मैं मुंबई के गवर्मेंट लॉ कॉलेज में पढ़ता था तो हम कॉलेज की दीवार पर बैठते थे और अपनी अटेंडेंस के लिए क्लासमेट पर डिपेंड रहते थे. इसके बाद जब अमरावती के लॉ कॉलेज में गए तो मैं आधा दर्जन भी क्लास में नहीं गया, मेरे दोस्त मेरी अटेंडेंस लगवाते थे, जो बाद में हाईकोर्ट के जज बने. जब रिजल्ट आया तो मेरिट लिस्ट में मेरी तीसरी रैंक थी, जबकि मैं कॉलेज लगभग गया ही नहीं. मैं बस पिछले पांच सालों के पुराने पेपर सोल्व करता था.'
सीजेआई ने कहा कि किसी की क्षमता को जांचने के लिए परीक्षा के परिणामों को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि उनके कई साथियों ने अच्छी रैंक के बावजूद अलग रास्ता चुना. सीजेआई ने बताया कि जिन्हें पहली रैंक मिली, वह क्रिमिनल लॉयर बने और वह सिर्फ बेल करवाने के लिए विशेषज्ञता रखते हैं. दूसरी रैंक पाने वाले जस्टिस वीएल अचिल्या डिस्ट्रिक्ट जज बने और वह खुद जिनकी तीसरी रैंक आई थी वह पहले वकील और अब देश के मुख्य न्यायाधीश हैं.
सीजेआई गवई ने कहा कि परीक्षा में आपकी क्या रैंक आई है, उसको बहुत ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए, परीक्षा परिणाम तय नहीं करते कि आपके करियर का लेवल क्या होगा, बल्कि आपका डेडिकेशन, हार्डवर्क और प्रतिबद्धता यह तय करती है.
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