क्या महात्मा गांधी ज्योतिष में विश्वास करते थे? रहस्य और मान्यता!

महात्मा गांधी का जीवन धर्म, अध्यात्म और आत्मसंयम का प्रतीक था. वे भगवद्गीता और रामचरितमानस जैसे शास्त्रों के गहन ज्ञाता थे, लेकिन क्या वे ज्योतिष, ग्रहों और नक्षत्रों को मानते थे? कई लोग मानते हैं कि महात्मा गांधी पूर्ण तार्किक थे और इसलिए ज्योतिष को नकारते होंगे. लेकिन उनकी बातों, लेखों और उनके जीवन से जुड़े प्रमाण इस विचार को झुठलाते हैं. लेकिन क्या उन्होंने ज्योतिष का समर्थन किया, क्या उनकी कुंडली बनाई गई थी, और वे इस विद्या को किस दृष्टि से देखते थे? आइए जानते हैं- महात्मा गांधी क्या ग्रह-नक्षत्रों में विश्वास करते थे?गांधी जी (Mahatma Gandhi) ने कभी भी स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि वे ज्योतिष में पूरी तरह विश्वास करते थे, लेकिन उन्होंने इसे खारिज भी नहीं किया. 1930 के दशक में एक बयान में उन्होंने स्वीकार किया था- 'मैं यह नहीं कह सकता कि मैं ज्योतिष पर पूरी तरह विश्वास करता हूं, लेकिन उसमें कोई रहस्य अवश्य है जिसे मैं समझ नहीं सका हूं.' इसका उल्लेख Collected Works of Mahatma Gandhi में भी मिलता है. यह साफ संकेत मान सकते हैं कि वे ज्योतिष को अंधविश्वास की श्रेणी नहीं रखते थे, बल्कि एक गूढ़ विद्या के रूप में देखते थे. महात्मा गांधी धार्मिक थे फिर ज्योतिष से क्यों दूर थे?महात्मा गांधी रोजाना राम नाम जप, गीता, और रामचरितमानस का पाठ करते थे. उनका जीवन वेदों, उपनिषदों, और ध्यान से जुड़ा था और ये सभी शास्त्र ग्रहों के प्रभाव, कालचक्र और कर्मफल की बात करते हैं. तो क्या वे इन चीजो को नजरअंदाज कर सकते थे? इसका उत्तर नहीं है, उन्होंने कभी ज्योतिष को अस्वीकार नहीं किया, बल्कि माना कि यह मानव बुद्धि से परे की चीज है. इसे वे रहस्मय ज्ञान के तौर पर देखते थे. महात्मा गांधी की कुंडली और भविष्यवाणियांमहात्मा गांधी की जन्मकुंडली का आज भी कई ज्योतिषियों द्वारा अध्ययन किया जाता है. Freedom at Midnight जैसी किताबों में उल्लेख है कि कुछ ज्योतिषियों ने गांधी जी के बाल्यकाल में ही 'त्यागी' और 'महान बलिदानी' होने की भविष्यवाणी कर दी थी. यानी महात्मा गांधी के जीवन को ज्योतिषीय दृष्टि से पढ़ा गया था, और उन्होंने इस पर कभी आपत्ति भी नहीं जताई. गांधी जी के कर्म-सिद्धांत और ज्योतिषमहात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) कर्म में विश्वास करते थे, उनका विचार था कि आपका भविष्य आपके कर्म तय करते हैं, न कि केवल ग्रह. लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ईश्वर की रचना में कोई चीज व्यर्थ नहीं, अगर लोग ज्योतिष को मानते हैं तो निश्चित ही उसमें कुछ सार है. यह विचारधारा दिखाती है कि उन्होंने ज्योतिष को पूरी तरह नकारा नहीं, बल्कि उसे तर्क और सीमित विश्वास के साथ स्वीकार किया. वे मानते थे कि ज्योतिष एक प्राचीन विद्या है, जिसे बिना समझे खारिज नहीं किया जा सकता. उन्होंने इसे ‘ईश्वर की व्यवस्था का एक पहलू’ माना, लेकिन उनका जीवन कर्म, अहिंसा और साधना पर आधारित था.

Jun 9, 2025 - 15:30
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क्या महात्मा गांधी ज्योतिष में विश्वास करते थे? रहस्य और मान्यता!

महात्मा गांधी का जीवन धर्म, अध्यात्म और आत्मसंयम का प्रतीक था. वे भगवद्गीता और रामचरितमानस जैसे शास्त्रों के गहन ज्ञाता थे, लेकिन क्या वे ज्योतिष, ग्रहों और नक्षत्रों को मानते थे?

कई लोग मानते हैं कि महात्मा गांधी पूर्ण तार्किक थे और इसलिए ज्योतिष को नकारते होंगे. लेकिन उनकी बातों, लेखों और उनके जीवन से जुड़े प्रमाण इस विचार को झुठलाते हैं. लेकिन क्या उन्होंने ज्योतिष का समर्थन किया, क्या उनकी कुंडली बनाई गई थी, और वे इस विद्या को किस दृष्टि से देखते थे? आइए जानते हैं-

महात्मा गांधी क्या ग्रह-नक्षत्रों में विश्वास करते थे?
गांधी जी (Mahatma Gandhi) ने कभी भी स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि वे ज्योतिष में पूरी तरह विश्वास करते थे, लेकिन उन्होंने इसे खारिज भी नहीं किया. 1930 के दशक में एक बयान में उन्होंने स्वीकार किया था- 'मैं यह नहीं कह सकता कि मैं ज्योतिष पर पूरी तरह विश्वास करता हूं,

लेकिन उसमें कोई रहस्य अवश्य है जिसे मैं समझ नहीं सका हूं.' इसका उल्लेख Collected Works of Mahatma Gandhi में भी मिलता है. यह साफ संकेत मान सकते हैं कि वे ज्योतिष को अंधविश्वास की श्रेणी नहीं रखते थे, बल्कि एक गूढ़ विद्या के रूप में देखते थे.

महात्मा गांधी धार्मिक थे फिर ज्योतिष से क्यों दूर थे?
महात्मा गांधी रोजाना राम नाम जप, गीता, और रामचरितमानस का पाठ करते थे. उनका जीवन वेदों, उपनिषदों, और ध्यान से जुड़ा था और ये सभी शास्त्र ग्रहों के प्रभाव, कालचक्र और कर्मफल की बात करते हैं. तो क्या वे इन चीजो को नजरअंदाज कर सकते थे?

इसका उत्तर नहीं है, उन्होंने कभी ज्योतिष को अस्वीकार नहीं किया, बल्कि माना कि यह मानव बुद्धि से परे की चीज है. इसे वे रहस्मय ज्ञान के तौर पर देखते थे.

महात्मा गांधी की कुंडली और भविष्यवाणियां
महात्मा गांधी की जन्मकुंडली का आज भी कई ज्योतिषियों द्वारा अध्ययन किया जाता है. Freedom at Midnight जैसी किताबों में उल्लेख है कि कुछ ज्योतिषियों ने गांधी जी के बाल्यकाल में ही 'त्यागी' और 'महान बलिदानी' होने की भविष्यवाणी कर दी थी. यानी महात्मा गांधी के जीवन को ज्योतिषीय दृष्टि से पढ़ा गया था, और उन्होंने इस पर कभी आपत्ति भी नहीं जताई.

गांधी जी के कर्म-सिद्धांत और ज्योतिष
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) कर्म में विश्वास करते थे, उनका विचार था कि आपका भविष्य आपके कर्म तय करते हैं, न कि केवल ग्रह. लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ईश्वर की रचना में कोई चीज व्यर्थ नहीं, अगर लोग ज्योतिष को मानते हैं तो निश्चित ही उसमें कुछ सार है.

यह विचारधारा दिखाती है कि उन्होंने ज्योतिष को पूरी तरह नकारा नहीं, बल्कि उसे तर्क और सीमित विश्वास के साथ स्वीकार किया. वे मानते थे कि ज्योतिष एक प्राचीन विद्या है, जिसे बिना समझे खारिज नहीं किया जा सकता. उन्होंने इसे ‘ईश्वर की व्यवस्था का एक पहलू’ माना, लेकिन उनका जीवन कर्म, अहिंसा और साधना पर आधारित था.

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