कैंसर को हराकर बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाली 'सुपरगर्ल' ईशिका, कांकेर की बेटी बनी मिसाल

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले की एक साधारण किसान की बेटी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसने पूरे राज्य का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. हम बात कर रहे हैं ईशिका बाला की, जो न सिर्फ खतरनाक ब्लड कैंसर से जंग जीतकर लौटीं, बल्कि कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा में पूरे राज्य में टॉप भी कर लिया. ईशिका ने 99.2% अंक हासिल किए हैं, जबकि इस बार बोर्ड का पास प्रतिशत सिर्फ 76% रहा. ईशिका की कहानी किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं है. पिछले साल उनकी हालत इतनी नाजुक थी कि वो परीक्षा में शामिल भी नहीं हो सकीं. लेकिन इलाज के दौरान भी उन्होंने हार नहीं मानी. कमजोरी, दर्द और थकावट के बीच उन्होंने किताबों का साथ नहीं छोड़ा. उनका कहना है कि वह आगे चलकर IAS अधिकारी बनना चाहती हैं और यही सपना उन्हें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता रहा. ईशिका ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया है. उनके पिता ने कहा कि बेटी की हिम्मत और मेहनत ने पूरे परिवार को गर्व महसूस कराया है. एक तरफ जहां कांकेर जैसे जिले में महिला साक्षरता दर महज 59.6% है, वहीं ईशिका की उपलब्धि वहां की बेटियों के लिए एक नई रोशनी बनकर उभरी है. रिपोर्ट्स के अनुसार इस बार की 12वीं बोर्ड परीक्षा में भी कांकेर के एक और छात्र अखिल सेन ने टॉप किया है. उन्होंने 98.2% अंक हासिल किए हैं. अखिल के पिता अखबार एजेंसी चलाते हैं और अखिल सुबह-सुबह अखबार बांटने में मदद करते हुए अपनी पढ़ाई करते थे. यह भी पढ़ें- शक्ति दुबे से लेकर हर्षिता गोयल तक, ये हैं UPSC में टॉप करने वालीं पांच लड़कियां सीएम ने दी बधाई छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी सफल छात्रों, उनके परिवारों और शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं और असफल छात्रों से कहा, “हार से घबराएं नहीं, यही सफलता की पहली सीढ़ी होती है. यह भी पढ़ें- Operation Sindoor: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बढ़ी फाइटर पायलट बनने की चाहत, जानें कैसे बनें भारतीय वायुसेना के योद्धा

May 8, 2025 - 17:30
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कैंसर को हराकर बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाली 'सुपरगर्ल' ईशिका, कांकेर की बेटी बनी मिसाल

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले की एक साधारण किसान की बेटी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसने पूरे राज्य का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. हम बात कर रहे हैं ईशिका बाला की, जो न सिर्फ खतरनाक ब्लड कैंसर से जंग जीतकर लौटीं, बल्कि कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा में पूरे राज्य में टॉप भी कर लिया. ईशिका ने 99.2% अंक हासिल किए हैं, जबकि इस बार बोर्ड का पास प्रतिशत सिर्फ 76% रहा.

ईशिका की कहानी किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं है. पिछले साल उनकी हालत इतनी नाजुक थी कि वो परीक्षा में शामिल भी नहीं हो सकीं. लेकिन इलाज के दौरान भी उन्होंने हार नहीं मानी. कमजोरी, दर्द और थकावट के बीच उन्होंने किताबों का साथ नहीं छोड़ा. उनका कहना है कि वह आगे चलकर IAS अधिकारी बनना चाहती हैं और यही सपना उन्हें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता रहा.

ईशिका ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया है. उनके पिता ने कहा कि बेटी की हिम्मत और मेहनत ने पूरे परिवार को गर्व महसूस कराया है. एक तरफ जहां कांकेर जैसे जिले में महिला साक्षरता दर महज 59.6% है, वहीं ईशिका की उपलब्धि वहां की बेटियों के लिए एक नई रोशनी बनकर उभरी है.

रिपोर्ट्स के अनुसार इस बार की 12वीं बोर्ड परीक्षा में भी कांकेर के एक और छात्र अखिल सेन ने टॉप किया है. उन्होंने 98.2% अंक हासिल किए हैं. अखिल के पिता अखबार एजेंसी चलाते हैं और अखिल सुबह-सुबह अखबार बांटने में मदद करते हुए अपनी पढ़ाई करते थे.

यह भी पढ़ें- शक्ति दुबे से लेकर हर्षिता गोयल तक, ये हैं UPSC में टॉप करने वालीं पांच लड़कियां

सीएम ने दी बधाई

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी सफल छात्रों, उनके परिवारों और शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं और असफल छात्रों से कहा, “हार से घबराएं नहीं, यही सफलता की पहली सीढ़ी होती है.

यह भी पढ़ें- Operation Sindoor: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बढ़ी फाइटर पायलट बनने की चाहत, जानें कैसे बनें भारतीय वायुसेना के योद्धा

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