कुंडली में छिपे पूर्वजन्म के रहस्य! जानें ग्रहों का खेल, कैसे तय होता है आपका भाग्य?
Kundali Rahasya: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताया जाता है कि कुण्डली पूर्वजन्म का बहि खाता होता है, उसका एक-एक ग्रह, एक-एक भाव पूर्वजन्म की कहानी कहता है. आइए जानते हैं ज्योतिष के कुछ तथ्य जो पूर्वजन्म से सम्बंधित हैं. सूर्य (Surya-आत्मा और पिता)सूर्य आत्मा का प्रतिनिधि है. पिछले जन्म में आपने पिता, गुरु और सत्ता से कैसे व्यवहार किया, यह सूर्य से पता चलता है. यदि सूर्य मजबूत है तो यह दर्शाता है कि आपने पूर्वजन्म में धर्मपालन किया, ईमानदारी से जीवन जिया और आत्मबल का विकास किया. ऐसे लोग इस जन्म में स्वाभाविक रूप से सम्मान और नेतृत्व प्राप्त करते हैं. यदि आपका सूर्य कमजोर या पापग्रस्त है तो यह संकेत है कि आत्मा ने पिछले जन्म में अहंकार, क्रोध या पिता/गुरु का अनादर नहीं किया. परिणामस्वरूप इस जन्म में व्यक्ति को स्वास्थ्य, नेत्र, पिता संबंधी कष्ट या अधिकार खोने का अनुभव हो सकता है. चन्द्र (Chandra- मन और माता)चन्द्रमा मन, भावनाओं और माता का सूचक है. यदि चन्द्र शुभ है तो यह बताता है कि पूर्वजन्म में आत्मा ने करुणा, दया और मातृ-भक्ति का पालन किया. ऐसे लोग इस जन्म में सहज रूप से संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण होते हैं. यदि चन्द्र अशुभ है तो पिछले जन्म में भावनाओं का दुरुपयोग, माता को कष्ट या नशे/भ्रम में जीना दर्शाता है. इस जन्म में उसे परिणामस्वरूप मानसिक अस्थिरता, मां से दूरी या मनोभावों में उतार-चढ़ाव मिलता है. मंगल (Mangal- शक्ति और पराक्रम)मंगल पिछले जन्म में आत्मा के साहस, युद्ध और क्रोध का दर्पण है. शुभ मंगल इंगित करता है कि आपने पूर्वजन्म में धर्म के लिए पराक्रम किया, देश या समाज की रक्षा की. इस जन्म में ऐसे लोग पराक्रमी, साहसी और संघर्षशील होते हैं. परंतु यदि मंगल पापग्रस्त है तो संकेत है कि पूर्वजन्म में हिंसा, रक्तपात या शक्ति का दुरुपयोग हुआ. इस जन्म में ऐसे लोग गुस्सैल, झगड़ालू या दुर्घटनाओं का शिकार हो सकते हैं.बुध (Budh- बुद्धि और वाणी)बुध पिछले जन्म की बुद्धिमत्ता और वाणी का प्रतीक है. यदि यह मजबूत हो तो संकेत है कि आत्मा ने पूर्वजन्म में ज्ञान का सही उपयोग किया, शिक्षा दी या व्यापार में ईमानदारी बरती. इस जन्म में ऐसे लोग अच्छे वक्ता, लेखक या व्यापारी होते हैं. कमजोर बुध यह बताता है कि पिछले जन्म में छल, कपट, झूठ या बुद्धि का गलत प्रयोग किया गया है. परिणामस्वरूप इस जन्म में वाणी की समस्या, मानसिक भ्रम या गलत निर्णय देखने को मिलते हैं. गुरु (Brihaspati- धर्म और ज्ञान)गुरु पूर्वजन्म के धर्म, ज्ञान और आचार का दर्पण है. शुभ गुरु दर्शाता है कि आत्मा ने पिछले जन्म में दान, शिक्षा और आध्यात्मिकता का पालन किया. इस जन्म में ऐसे लोग भाग्यशाली, धार्मिक और मार्गदर्शक बनते हैं. यदि गुरु पापग्रस्त है तो संकेत है कि पूर्वजन्म में गुरु का अपमान, धर्म का त्याग या ज्ञान का गलत उपयोग हुआ. इस जन्म में इसके परिणामस्वरूप शिक्षा में बाधा, संतान से दुःख या धार्मिक भ्रम हो सकता है. शुक्र (Shukra – प्रेम और भोग)शुक्र कला, प्रेम और भोग का कारक है. शुभ शुक्र यह दर्शाता है कि आत्मा ने पिछले जन्म में कला, प्रेम और सौंदर्य का सही उपयोग किया, दान दिया और संबंधों का सम्मान किया. इस जन्म में ऐसे लोग आकर्षक, कलाप्रेमी और सौंदर्यप्रिय होते हैं. यदि शुक्र कमजोर है तो यह बताता है कि पूर्वजन्म में वासना, संबंधों में धोखा या विलासिता का दुरुपयोग हुआ. इस जन्म में इसका परिणाम विवाह संबंधी समस्या, व्यभिचार या असंतोष के रूप में आता है. शनि (Shani – कर्मफल और न्यायाधीश)शनि को कर्मफल दाता और न्यायाधीश माना जाता है. यह ग्रह सीधे पूर्वजन्म के कर्मों का हिसाब इस जन्म में देता है. यदि शनि शुभ स्थिति में है तो यह दर्शाता है कि आत्मा ने पिछले जन्म में तपस्या, सेवा, श्रम और न्याय का पालन किया है. ऐसे लोग इस जन्म में धैर्यवान और कर्मनिष्ठ होते हैं. यदि शनि पापग्रस्त है तो यह संकेत है कि पूर्वजन्म में आलस्य, अन्याय या गरीबों का शोषण हुआ है. इस जन्म में इसका परिणाम गरीबी, रोग, देरी और संघर्ष के रूप में प्रकट होता है. राहु (Rahu – अधूरा कर्म और मोह)राहु अधूरी इच्छाओं और भ्रम का प्रतीक है. यह ग्रह बताता है कि आत्मा पिछले जन्म में किन मोहों और लालसाओं को पूरा नहीं कर पाई. इस जन्म में वही अनुभव करने की तीव्र इच्छा रहती है.राहु की स्थिति यह दर्शाती है कि आत्मा किस नए अनुभव की ओर बढ़ना चाहती है. शुभ राहु आत्मा को प्रगति दिलाता है, जबकि अशुभ राहु धोखा, भ्रम और गलत रास्ते में फँसा देता है. केतु (Ketu – मोक्ष और पूर्ण कर्म)केतु आत्मा के पिछले जन्म के पूरे किए हुए अनुभवों का प्रतीक है. जिस भाव और राशि में केतु होता है, वहाँ आत्मा पहले से ही निपुण होती है. इसलिए वहाँ व्यक्ति को संतोष या अरुचि रहती है.यदि केतु शुभ है तो यह संकेत है कि आत्मा ने तपस्या, त्याग और योग का अभ्यास किया है. वहीं इस जन्म में ऐसे लोग आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर रहते हैं.अशुभ केतु यह बताता है कि पिछले जन्म में अकेलापन, अधूरे संबंध या भ्रम रहा है, जिसके कारण इस जन्म में असंतोष और अधूरेपन का अनुभव होता है. निष्कर्ष सूर्य और चन्द्र आत्मा के मूल संस्कार (अहंकार व मन) बताते हैं. मंगल और बुध कर्म और बुद्धि का सही/गलत प्रयोग दर्शाते हैं. गुरु और शुक्र धर्म, प्रेम और भोग संबंधी कर्मों को प्रकट करते हैं. शनि न्यायाधीश की तरह पिछले कर्मों का हिसाब इस जन्म में देता है. राहु–केतु आत्मा की अधूरी और पूरी हुई यात्राओं को दिखाते हैं. कुण्डली में अगर ये ग्रह पीड़ित हुए हैं तो इसका अर्थ है कि उस ग्रह से सम्बंधित रिश्तों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है, और जो ग्रह अच्छे हैं, उससे सम्बन्धित पुण्य कार्य किए हैं. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानका

Kundali Rahasya: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताया जाता है कि कुण्डली पूर्वजन्म का बहि खाता होता है, उसका एक-एक ग्रह, एक-एक भाव पूर्वजन्म की कहानी कहता है. आइए जानते हैं ज्योतिष के कुछ तथ्य जो पूर्वजन्म से सम्बंधित हैं.
सूर्य (Surya-आत्मा और पिता)
सूर्य आत्मा का प्रतिनिधि है. पिछले जन्म में आपने पिता, गुरु और सत्ता से कैसे व्यवहार किया, यह सूर्य से पता चलता है. यदि सूर्य मजबूत है तो यह दर्शाता है कि आपने पूर्वजन्म में धर्मपालन किया, ईमानदारी से जीवन जिया और आत्मबल का विकास किया. ऐसे लोग इस जन्म में स्वाभाविक रूप से सम्मान और नेतृत्व प्राप्त करते हैं.
यदि आपका सूर्य कमजोर या पापग्रस्त है तो यह संकेत है कि आत्मा ने पिछले जन्म में अहंकार, क्रोध या पिता/गुरु का अनादर नहीं किया. परिणामस्वरूप इस जन्म में व्यक्ति को स्वास्थ्य, नेत्र, पिता संबंधी कष्ट या अधिकार खोने का अनुभव हो सकता है.
चन्द्र (Chandra- मन और माता)
चन्द्रमा मन, भावनाओं और माता का सूचक है. यदि चन्द्र शुभ है तो यह बताता है कि पूर्वजन्म में आत्मा ने करुणा, दया और मातृ-भक्ति का पालन किया. ऐसे लोग इस जन्म में सहज रूप से संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण होते हैं. यदि चन्द्र अशुभ है तो पिछले जन्म में भावनाओं का दुरुपयोग, माता को कष्ट या नशे/भ्रम में जीना दर्शाता है.
इस जन्म में उसे परिणामस्वरूप मानसिक अस्थिरता, मां से दूरी या मनोभावों में उतार-चढ़ाव मिलता है.
मंगल (Mangal- शक्ति और पराक्रम)
मंगल पिछले जन्म में आत्मा के साहस, युद्ध और क्रोध का दर्पण है. शुभ मंगल इंगित करता है कि आपने पूर्वजन्म में धर्म के लिए पराक्रम किया, देश या समाज की रक्षा की. इस जन्म में ऐसे लोग पराक्रमी, साहसी और संघर्षशील होते हैं.
परंतु यदि मंगल पापग्रस्त है तो संकेत है कि पूर्वजन्म में हिंसा, रक्तपात या शक्ति का दुरुपयोग हुआ. इस जन्म में ऐसे लोग गुस्सैल, झगड़ालू या दुर्घटनाओं का शिकार हो सकते हैं.
बुध (Budh- बुद्धि और वाणी)
बुध पिछले जन्म की बुद्धिमत्ता और वाणी का प्रतीक है. यदि यह मजबूत हो तो संकेत है कि आत्मा ने पूर्वजन्म में ज्ञान का सही उपयोग किया, शिक्षा दी या व्यापार में ईमानदारी बरती. इस जन्म में ऐसे लोग अच्छे वक्ता, लेखक या व्यापारी होते हैं.
कमजोर बुध यह बताता है कि पिछले जन्म में छल, कपट, झूठ या बुद्धि का गलत प्रयोग किया गया है. परिणामस्वरूप इस जन्म में वाणी की समस्या, मानसिक भ्रम या गलत निर्णय देखने को मिलते हैं.
गुरु (Brihaspati- धर्म और ज्ञान)
गुरु पूर्वजन्म के धर्म, ज्ञान और आचार का दर्पण है. शुभ गुरु दर्शाता है कि आत्मा ने पिछले जन्म में दान, शिक्षा और आध्यात्मिकता का पालन किया. इस जन्म में ऐसे लोग भाग्यशाली, धार्मिक और मार्गदर्शक बनते हैं. यदि गुरु पापग्रस्त है तो संकेत है कि पूर्वजन्म में गुरु का अपमान, धर्म का त्याग या ज्ञान का गलत उपयोग हुआ.
इस जन्म में इसके परिणामस्वरूप शिक्षा में बाधा, संतान से दुःख या धार्मिक भ्रम हो सकता है.
शुक्र (Shukra – प्रेम और भोग)
शुक्र कला, प्रेम और भोग का कारक है. शुभ शुक्र यह दर्शाता है कि आत्मा ने पिछले जन्म में कला, प्रेम और सौंदर्य का सही उपयोग किया, दान दिया और संबंधों का सम्मान किया. इस जन्म में ऐसे लोग आकर्षक, कलाप्रेमी और सौंदर्यप्रिय होते हैं.
यदि शुक्र कमजोर है तो यह बताता है कि पूर्वजन्म में वासना, संबंधों में धोखा या विलासिता का दुरुपयोग हुआ. इस जन्म में इसका परिणाम विवाह संबंधी समस्या, व्यभिचार या असंतोष के रूप में आता है.
शनि (Shani – कर्मफल और न्यायाधीश)
शनि को कर्मफल दाता और न्यायाधीश माना जाता है. यह ग्रह सीधे पूर्वजन्म के कर्मों का हिसाब इस जन्म में देता है. यदि शनि शुभ स्थिति में है तो यह दर्शाता है कि आत्मा ने पिछले जन्म में तपस्या, सेवा, श्रम और न्याय का पालन किया है. ऐसे लोग इस जन्म में धैर्यवान और कर्मनिष्ठ होते हैं.
यदि शनि पापग्रस्त है तो यह संकेत है कि पूर्वजन्म में आलस्य, अन्याय या गरीबों का शोषण हुआ है. इस जन्म में इसका परिणाम गरीबी, रोग, देरी और संघर्ष के रूप में प्रकट होता है.
राहु (Rahu – अधूरा कर्म और मोह)
राहु अधूरी इच्छाओं और भ्रम का प्रतीक है. यह ग्रह बताता है कि आत्मा पिछले जन्म में किन मोहों और लालसाओं को पूरा नहीं कर पाई. इस जन्म में वही अनुभव करने की तीव्र इच्छा रहती है.राहु की स्थिति यह दर्शाती है कि आत्मा किस नए अनुभव की ओर बढ़ना चाहती है.
शुभ राहु आत्मा को प्रगति दिलाता है, जबकि अशुभ राहु धोखा, भ्रम और गलत रास्ते में फँसा देता है.
केतु (Ketu – मोक्ष और पूर्ण कर्म)
केतु आत्मा के पिछले जन्म के पूरे किए हुए अनुभवों का प्रतीक है. जिस भाव और राशि में केतु होता है, वहाँ आत्मा पहले से ही निपुण होती है. इसलिए वहाँ व्यक्ति को संतोष या अरुचि रहती है.यदि केतु शुभ है तो यह संकेत है कि आत्मा ने तपस्या, त्याग और योग का अभ्यास किया है.
वहीं इस जन्म में ऐसे लोग आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर रहते हैं.अशुभ केतु यह बताता है कि पिछले जन्म में अकेलापन, अधूरे संबंध या भ्रम रहा है, जिसके कारण इस जन्म में असंतोष और अधूरेपन का अनुभव होता है.
निष्कर्ष
- सूर्य और चन्द्र आत्मा के मूल संस्कार (अहंकार व मन) बताते हैं.
- मंगल और बुध कर्म और बुद्धि का सही/गलत प्रयोग दर्शाते हैं.
- गुरु और शुक्र धर्म, प्रेम और भोग संबंधी कर्मों को प्रकट करते हैं.
- शनि न्यायाधीश की तरह पिछले कर्मों का हिसाब इस जन्म में देता है.
- राहु–केतु आत्मा की अधूरी और पूरी हुई यात्राओं को दिखाते हैं.
कुण्डली में अगर ये ग्रह पीड़ित हुए हैं तो इसका अर्थ है कि उस ग्रह से सम्बंधित रिश्तों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है, और जो ग्रह अच्छे हैं, उससे सम्बन्धित पुण्य कार्य किए हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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