किस देश में सबसे महंगी है MBBS की पढ़ाई? कोर्स पूरा करने के लिए बेचना पड़ जाएगा घर और जमीन

डॉक्टर बनना देश में न जाने कितने युवाओं का सपना होता है. मां-बाप बचपन से ही अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं, लेकिन जैसे ही मेडिकल कॉलेज की फीस सामने आती है, उनके सपने ICU में पहुंच जाते हैं. MBBS की पढ़ाई अब सिर्फ ज्ञान या मेहनत की चीज नहीं रही, ये एक बड़ा 'बजट प्रोजेक्ट' बन चुकी है, जिसमें एडमिशन से पहले आपको अपनी जायदाद का हिसाब-किताब बैठा लेना पड़ता है. ये कोई मजाक नहीं, आज के दौर में किसी टॉप प्राइवेट कॉलेज से MBBS करने का मतलब है कि या तो घर गिरवी रखो, या फिर बंगले का सपना छोड़ो. ऐसे में अगर आप विदेश से एमबीबीएस करने का भी सोचते हैं तो यहां जान लीजिए कि किस देश से एमबीबीएस करना आपके खेत से लेकर मकान तक बिकवा सकता है. इन देशों में सबसे महंगी है MBBS की फीस अगर कोई सोच रहा है कि "ठीक है इंडिया में नहीं कर पाए तो विदेश से कर लेंगे" तो जनाब, सावधान हो जाइए. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में MBBS (या MD) की फीस सुनकर आपके पसीने छूट जाएंगे. अमेरिका में मेडिकल डिग्री की कुल लागत 2.5 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये तक, यूके और ऑस्ट्रेलिया में 1.5 करोड़ से 2.5 करोड़ तक, और कनाडा में भी 1.8 करोड़ तक खर्च हो जाता है. और ये भी याद रखिए इन देशों में पढ़ाई शुरू करने से पहले आपको एक अलग डिग्री पूरी करनी होती है, यानी फीस के साथ-साथ समय का खर्च भी भारी होता है. सिंगापुर जैसे छोटे लेकिन महंगे देशों में भी फीस 90 लाख रुपये से कम नहीं. इसके अलावा किताबें और रहने खाने का पैसा अलग से देना होता है. यह भी पढ़ें: LOC पर सबसे आगे रहती है ये फोर्स, DG को मिलती है हैरान कर देने वाली सैलरी भारत भी नहीं है पीछे अब अगर भारत की बात करें तो भारत के ही कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज मणिपाल, DY पाटिल, श्री रामचंद्रा मेडिकल कॉलेज और SRM यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में MBBS की कुल लागत 80 लाख रुपये से लेकर 1.1 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है. और अगर आपने मैनेजमेंट कोटा या NRI सीट का रास्ता चुना तो फीस 2 करोड़ पार कर जाती है. यानी बच्चा डॉक्टर बने न बने, मां-बाप जरूर लोन के पर्चे समेटते रह जाते हैं. सरकारी सीटें लिमिटेड हैं और कॉम्पिटिशन इतना तगड़ा कि 99% स्कोर लाने वाले भी कभी-कभी बाहर रह जाते हैं. ऐसे में प्राइवेट कॉलेज ही एकमात्र विकल्प बनकर सामने आता है. यह भी पढ़ें: CBSE का मातृभाषा मंत्र- अब हिंदी और लोकल लेंग्वेज में होगी कक्षा 2 तक की पढ़ाई, यहां जानिए

May 25, 2025 - 17:30
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किस देश में सबसे महंगी है MBBS की पढ़ाई? कोर्स पूरा करने के लिए बेचना पड़ जाएगा घर और जमीन

डॉक्टर बनना देश में न जाने कितने युवाओं का सपना होता है. मां-बाप बचपन से ही अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं, लेकिन जैसे ही मेडिकल कॉलेज की फीस सामने आती है, उनके सपने ICU में पहुंच जाते हैं. MBBS की पढ़ाई अब सिर्फ ज्ञान या मेहनत की चीज नहीं रही, ये एक बड़ा 'बजट प्रोजेक्ट' बन चुकी है, जिसमें एडमिशन से पहले आपको अपनी जायदाद का हिसाब-किताब बैठा लेना पड़ता है. ये कोई मजाक नहीं, आज के दौर में किसी टॉप प्राइवेट कॉलेज से MBBS करने का मतलब है कि या तो घर गिरवी रखो, या फिर बंगले का सपना छोड़ो. ऐसे में अगर आप विदेश से एमबीबीएस करने का भी सोचते हैं तो यहां जान लीजिए कि किस देश से एमबीबीएस करना आपके खेत से लेकर मकान तक बिकवा सकता है.

इन देशों में सबसे महंगी है MBBS की फीस

अगर कोई सोच रहा है कि "ठीक है इंडिया में नहीं कर पाए तो विदेश से कर लेंगे" तो जनाब, सावधान हो जाइए. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में MBBS (या MD) की फीस सुनकर आपके पसीने छूट जाएंगे. अमेरिका में मेडिकल डिग्री की कुल लागत 2.5 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये तक, यूके और ऑस्ट्रेलिया में 1.5 करोड़ से 2.5 करोड़ तक, और कनाडा में भी 1.8 करोड़ तक खर्च हो जाता है. और ये भी याद रखिए इन देशों में पढ़ाई शुरू करने से पहले आपको एक अलग डिग्री पूरी करनी होती है, यानी फीस के साथ-साथ समय का खर्च भी भारी होता है. सिंगापुर जैसे छोटे लेकिन महंगे देशों में भी फीस 90 लाख रुपये से कम नहीं. इसके अलावा किताबें और रहने खाने का पैसा अलग से देना होता है.

यह भी पढ़ें: LOC पर सबसे आगे रहती है ये फोर्स, DG को मिलती है हैरान कर देने वाली सैलरी

भारत भी नहीं है पीछे

अब अगर भारत की बात करें तो भारत के ही कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज मणिपाल, DY पाटिल, श्री रामचंद्रा मेडिकल कॉलेज और SRM यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में MBBS की कुल लागत 80 लाख रुपये से लेकर 1.1 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है. और अगर आपने मैनेजमेंट कोटा या NRI सीट का रास्ता चुना तो फीस 2 करोड़ पार कर जाती है. यानी बच्चा डॉक्टर बने न बने, मां-बाप जरूर लोन के पर्चे समेटते रह जाते हैं. सरकारी सीटें लिमिटेड हैं और कॉम्पिटिशन इतना तगड़ा कि 99% स्कोर लाने वाले भी कभी-कभी बाहर रह जाते हैं. ऐसे में प्राइवेट कॉलेज ही एकमात्र विकल्प बनकर सामने आता है.

यह भी पढ़ें: CBSE का मातृभाषा मंत्र- अब हिंदी और लोकल लेंग्वेज में होगी कक्षा 2 तक की पढ़ाई, यहां जानिए

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