कारों में 6 एयरबैग लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी, याचिकाकर्ता से कहा- आप सरकार के पास जाइए

कार में 6 एयरबैग अनिवार्य करने पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. याचिकाकर्ता ने सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों का हवाला देते हुए कारों में अधिक एयरबैग लगाने की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक नीतिगत विषय है. इस पर फैसला लेना सरकार का काम है. रवि भूषण नाम के याचिकाकर्ता की याचिका गुरुवार, 24 जुलाई को चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच में लगी. अपनी याचिका की पैरवी खुद कर रहे याचिकाकर्ता से चीफ जस्टिस ने कहा, 'आपकी मांग उचित हो सकती है. लेकिन यह ऐसा विषय नहीं है जिसका फैसला कोर्ट करे.' चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उसने सरकार को ज्ञापन दिया है. याचिकाकर्ता ने बताया कि उसने 17 मई को सरकार को ज्ञापन दिया था. इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार उस पर विचार कर निर्णय ले. याचिकाकर्ता का कहना था कि 2022 में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने M1 श्रेणी की गाड़ियों (2 से 8 सीट तक वाली यात्री गाड़ियों) में 2 एयरबैग अनिवार्य किए थे, लेकिन यह अपर्याप्त है. महंगी गाड़ियों में निर्माता ज्यादा एयरबैग लगाते हैं. ऐसी सुरक्षा सभी गाडियों में होनी चाहिए. यह समानता (अनुच्छेद 14) और जीवन (अनुच्छेद 21) जैसे मौलिक अधिकारों का विषय है. सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देकर सरकार को उपयुक्त आदेश जारी करने को कहना चाहिए.

Jul 25, 2025 - 18:30
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कारों में 6 एयरबैग लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी, याचिकाकर्ता से कहा- आप सरकार के पास जाइए

कार में 6 एयरबैग अनिवार्य करने पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. याचिकाकर्ता ने सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों का हवाला देते हुए कारों में अधिक एयरबैग लगाने की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक नीतिगत विषय है. इस पर फैसला लेना सरकार का काम है.

रवि भूषण नाम के याचिकाकर्ता की याचिका गुरुवार, 24 जुलाई को चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच में लगी. अपनी याचिका की पैरवी खुद कर रहे याचिकाकर्ता से चीफ जस्टिस ने कहा, 'आपकी मांग उचित हो सकती है. लेकिन यह ऐसा विषय नहीं है जिसका फैसला कोर्ट करे.'

चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उसने सरकार को ज्ञापन दिया है. याचिकाकर्ता ने बताया कि उसने 17 मई को सरकार को ज्ञापन दिया था. इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार उस पर विचार कर निर्णय ले.

याचिकाकर्ता का कहना था कि 2022 में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने M1 श्रेणी की गाड़ियों (2 से 8 सीट तक वाली यात्री गाड़ियों) में 2 एयरबैग अनिवार्य किए थे, लेकिन यह अपर्याप्त है. महंगी गाड़ियों में निर्माता ज्यादा एयरबैग लगाते हैं. ऐसी सुरक्षा सभी गाडियों में होनी चाहिए. यह समानता (अनुच्छेद 14) और जीवन (अनुच्छेद 21) जैसे मौलिक अधिकारों का विषय है. सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देकर सरकार को उपयुक्त आदेश जारी करने को कहना चाहिए.

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