एजुकेट गर्ल्स को मिला रेमन मैग्सेसे​, ​​जानें कौन हैं गांव की बेटियों को शिक्षा का उजाला देने ​वालीं स​फीना हुसैन​

भारतीय संस्था एजुकेट गर्ल्स को एशिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है​. यह संस्था लंबे समय से देश के दूरदराज इलाकों में लड़कियों की शिक्षा के लिए काम कर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में फैली सांस्कृतिक रूढ़िवादिता को तोड़ने और निरक्षरता की जंजीरों को तोड़ने में इसका अहम योगदान रहा है​. ​ऐसे में आइए जानते हैं संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन ​के बारे में...  दिल्ली से लंदन तक की पढ़ाई सफीना हुसैन का जन्म 21 जनवरी 1971 को दिल्ली में हुआ था उनके पिता यूसुफ हुसैन जाने-माने अभिनेता थे पढ़ाई में हमेशा आगे रहने वाली सफीना ने आगे चलकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक की डिग्री हासिल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने समाजसेवा का रास्ता चुना और लड़कियों की शिक्षा को अपना मिशन बना लिया. विदेश में काम और अनुभव भारत लौटने से पहले सफीना ने विदेश में भी लंबे समय तक काम किया साल 1998 से 2004 तक वे सैन फ्रांसिस्को में चाइल्ड फैमिली हेल्थ इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक रहीं यहाँ उन्होंने बच्चों और परिवारों से जुड़ी कई समस्याओं पर काम किया लेकिन उनके दिल में हमेशा यह ख्याल रहा कि उन्हें भारत में कुछ बड़ा करना है. एजुकेट गर्ल्स की शुरुआत साल 2005 में सफीना मुंबई लौटीं और जल्द ही उन्होंने यह देखा कि भारत में खासकर ग्रामीण इलाकों की लड़कियां पढ़ाई से बहुत पीछे हैं साल 2007 में उन्होंने “एजुकेट गर्ल्स”  की नींव रखी शुरुआत राजस्थान के पाली और जालोर जिलों से हुई उस समय वहाँ लड़कियों की पढ़ाई का हाल सबसे खराब था. सफीना ने सरकारी स्कूलों के साथ मिलकर लड़कियों को नामांकित करने उनकी पढ़ाई में सुधार लाने और उन्हें ड्रॉपआउट होने से रोकने का काम शुरू किया धीरे-धीरे इस पहल ने पूरे राजस्थान और फिर देश के दूसरे हिस्सों में भी अपनी जगह बना ली.यह भी पढ़ें : अमेरिका के G-7 को पटखनी दे रहा भारत की अगुआई वाला ब्रिक्स, उड़ जाएंगे ट्रंप के होश दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड 2015 से 2018 के बीच एजुकेट गर्ल्स ने काम को फंड करने के लिए दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड लॉन्च किया इस मॉडल में पैसा सिर्फ नतीजे आने पर मिलता था सफीना का मानना था कि इससे काम में पारदर्शिता और नवाचार दोनों आते हैं नतीजा यह हुआ कि एजुकेट गर्ल्स ने सभी लक्ष्य पूरे कर लिए और लाखों बेटियों को स्कूल से जोड़ने में सफलता हासिल की. मिले कई पुरस्कार सफीना हुसैन को उनके काम के लिए देश-विदेश में सम्मान मिला है. WISE अवॉर्ड (2014 और 2023) – शिक्षा में योगदान के लिए. स्कोल अवॉर्ड (2015) – सामाजिक उद्यमिता के लिए. एनडीटीवी-वूमेन ऑफ वर्थ अवॉर्ड (2016). नीति आयोग वीमेन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवॉर्ड (2017). ईटी प्राइम वीमेन लीडरशिप अवार्ड (2019)यह भी पढ़ें : असम को शिक्षा के क्षेत्र में मिला बड़ा तोहफा, गुवाहाटी में बनेगा देश का 22वां IIM

Sep 1, 2025 - 12:30
 0
एजुकेट गर्ल्स को मिला रेमन मैग्सेसे​, ​​जानें कौन हैं गांव की बेटियों को शिक्षा का उजाला देने ​वालीं स​फीना हुसैन​

भारतीय संस्था एजुकेट गर्ल्स को एशिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है​. यह संस्था लंबे समय से देश के दूरदराज इलाकों में लड़कियों की शिक्षा के लिए काम कर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में फैली सांस्कृतिक रूढ़िवादिता को तोड़ने और निरक्षरता की जंजीरों को तोड़ने में इसका अहम योगदान रहा है​. ​ऐसे में आइए जानते हैं संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन ​के बारे में... 

दिल्ली से लंदन तक की पढ़ाई

सफीना हुसैन का जन्म 21 जनवरी 1971 को दिल्ली में हुआ था उनके पिता यूसुफ हुसैन जाने-माने अभिनेता थे पढ़ाई में हमेशा आगे रहने वाली सफीना ने आगे चलकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक की डिग्री हासिल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने समाजसेवा का रास्ता चुना और लड़कियों की शिक्षा को अपना मिशन बना लिया.

विदेश में काम और अनुभव

भारत लौटने से पहले सफीना ने विदेश में भी लंबे समय तक काम किया साल 1998 से 2004 तक वे सैन फ्रांसिस्को में चाइल्ड फैमिली हेल्थ इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक रहीं यहाँ उन्होंने बच्चों और परिवारों से जुड़ी कई समस्याओं पर काम किया लेकिन उनके दिल में हमेशा यह ख्याल रहा कि उन्हें भारत में कुछ बड़ा करना है.

एजुकेट गर्ल्स की शुरुआत

साल 2005 में सफीना मुंबई लौटीं और जल्द ही उन्होंने यह देखा कि भारत में खासकर ग्रामीण इलाकों की लड़कियां पढ़ाई से बहुत पीछे हैं साल 2007 में उन्होंने “एजुकेट गर्ल्स”  की नींव रखी शुरुआत राजस्थान के पाली और जालोर जिलों से हुई उस समय वहाँ लड़कियों की पढ़ाई का हाल सबसे खराब था.

सफीना ने सरकारी स्कूलों के साथ मिलकर लड़कियों को नामांकित करने उनकी पढ़ाई में सुधार लाने और उन्हें ड्रॉपआउट होने से रोकने का काम शुरू किया धीरे-धीरे इस पहल ने पूरे राजस्थान और फिर देश के दूसरे हिस्सों में भी अपनी जगह बना ली.

यह भी पढ़ें : अमेरिका के G-7 को पटखनी दे रहा भारत की अगुआई वाला ब्रिक्स, उड़ जाएंगे ट्रंप के होश

दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड

2015 से 2018 के बीच एजुकेट गर्ल्स ने काम को फंड करने के लिए दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड लॉन्च किया इस मॉडल में पैसा सिर्फ नतीजे आने पर मिलता था सफीना का मानना था कि इससे काम में पारदर्शिता और नवाचार दोनों आते हैं नतीजा यह हुआ कि एजुकेट गर्ल्स ने सभी लक्ष्य पूरे कर लिए और लाखों बेटियों को स्कूल से जोड़ने में सफलता हासिल की.

मिले कई पुरस्कार

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow