एंटीबायोटिक्स आपकी बच्ची को जल्दी कर सकता है जवां, रिसर्च में हुआ चौंका देना वाला खुलासा

Early Puberty in Girls: लड़कियों को बचपन में दी गई दवाएं भविष्य में किस तरह असर डाल सकती हैं, इस पर नई रिसर्च ने एक अहम जानकारी दी है. हाल ही में यूरोपीय पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी और यूरोपीय एंडोक्राइनोलॉजी सोसायटी की संयुक्त कॉन्फ्रेंस में पेश एक अध्ययन में पाया गया कि, जिन बच्चियों को बचपन के पहले तीन महीनों में एंटीबायोटिक्स दी गईं, उनमें जल्दी यौवन आने की संभावना काफी ज्यादा होती है. इस शोध के मुताबिक चौकाने वाले आंकड़े जानिए... क्या है अर्ली प्यूबर्टी? अर्ली प्यूबर्टी, जिसे मेडिकल भाषा में सेंट्रल प्रिकॉशियस प्यूबर्टी (CPP) कहा जाता है, वह स्थिति होती है जब बच्चों में सामान्य उम्र से पहले सेक्सुअल डेवलपमेंट शुरू हो जाता है. यह स्थिति लड़कियों में 8 साल की उम्र से पहले देखी जाती है. दरअसल, लड़कियों में इसका खतरा ज्यादा होता है, जबकि लड़कों में यह स्थिति कम पाई जाती है.  ये भी पढ़े- आंतों का दुश्मन है ये स्ट्रीट फूड, खाने से पहले हो जाए सतर्क क्या कहती है रिसर्च? दक्षिण कोरिया की हानयांग यूनिवर्सिटी गुरी हॉस्पिटल और हानयांग यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने करीब 3 लाख 22 हजार बच्चों जिनकी उम्र 0 से 12 महीने थी. उन्होंने इन बच्चों की बढ़ती उम्र तक निगरानी की, लड़कियों के लिए 9 साल और लड़कों के लिए 10 साल तक यौवन की स्थिति देखी गई है.  चौंकाने वाले आंकड़े  जिन बच्चियों को 3 महीने की उम्र से पहले एंटीबायोटिक दी गई, उनमें जल्दी प्यूबर्टी आने का खतरा 33% ज्यादा था.  14 दिन की उम्र से पहले एंटीबायोटिक लेने वाली बच्चियों में यह जोखिम 40% तक बढ़ गया.  जिन बच्चियों को 5 या उससे ज्यादा तरह की एंटीबायोटिक क्लास दी गई थीं, उनमें अर्ली प्यूबर्टी का खतरा 22% ज्यादा पाया गया.  क्यो होता है ऐसा?   इस स्टडी में सीधे कारणों की पुष्टि नहीं की गई, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि, एंटीबायोटिक्स आंतों के माइक्रोबायोम को प्रभावित करती हैं. यह माइक्रोबायोम बच्चों के हॉर्मोनल विकास में अहम भूमिका निभाता है. जब ये बैलेंस बिगड़ता है, तो हो सकता है कि शरीर में हॉर्मोन असंतुलन के चलते यौवन जल्दी शुरू हो जाए. छोटे बच्चों को एंटीबायोटिक देना कई बार जरूरी हो सकता है, लेकिन थोड़ा बहुत बुखार या खांसी में दवा देना उचित नहीं है. यह रिसर्च बताती है कि, इलाज के फायदे और भविष्य में होने वाले नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं. आने वाले समय में यह शोध और भी बड़े खुलासे कर सकता है.  यह भी पढ़ें : पूरी तरह शुगर छोड़ने के फायदे तो जान गए होंगे, अब जान लीजिए क्या है इसके नुकसान Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

May 13, 2025 - 12:30
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एंटीबायोटिक्स आपकी बच्ची को जल्दी कर सकता है जवां, रिसर्च में हुआ चौंका देना वाला खुलासा

Early Puberty in Girls: लड़कियों को बचपन में दी गई दवाएं भविष्य में किस तरह असर डाल सकती हैं, इस पर नई रिसर्च ने एक अहम जानकारी दी है. हाल ही में यूरोपीय पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी और यूरोपीय एंडोक्राइनोलॉजी सोसायटी की संयुक्त कॉन्फ्रेंस में पेश एक अध्ययन में पाया गया कि, जिन बच्चियों को बचपन के पहले तीन महीनों में एंटीबायोटिक्स दी गईं, उनमें जल्दी यौवन आने की संभावना काफी ज्यादा होती है. इस शोध के मुताबिक चौकाने वाले आंकड़े जानिए...

क्या है अर्ली प्यूबर्टी?

अर्ली प्यूबर्टी, जिसे मेडिकल भाषा में सेंट्रल प्रिकॉशियस प्यूबर्टी (CPP) कहा जाता है, वह स्थिति होती है जब बच्चों में सामान्य उम्र से पहले सेक्सुअल डेवलपमेंट शुरू हो जाता है. यह स्थिति लड़कियों में 8 साल की उम्र से पहले देखी जाती है. दरअसल, लड़कियों में इसका खतरा ज्यादा होता है, जबकि लड़कों में यह स्थिति कम पाई जाती है. 

ये भी पढ़े- आंतों का दुश्मन है ये स्ट्रीट फूड, खाने से पहले हो जाए सतर्क

क्या कहती है रिसर्च?

दक्षिण कोरिया की हानयांग यूनिवर्सिटी गुरी हॉस्पिटल और हानयांग यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने करीब 3 लाख 22 हजार बच्चों जिनकी उम्र 0 से 12 महीने थी. उन्होंने इन बच्चों की बढ़ती उम्र तक निगरानी की, लड़कियों के लिए 9 साल और लड़कों के लिए 10 साल तक यौवन की स्थिति देखी गई है. 

चौंकाने वाले आंकड़े 

जिन बच्चियों को 3 महीने की उम्र से पहले एंटीबायोटिक दी गई, उनमें जल्दी प्यूबर्टी आने का खतरा 33% ज्यादा था. 

14 दिन की उम्र से पहले एंटीबायोटिक लेने वाली बच्चियों में यह जोखिम 40% तक बढ़ गया. 

जिन बच्चियों को 5 या उससे ज्यादा तरह की एंटीबायोटिक क्लास दी गई थीं, उनमें अर्ली प्यूबर्टी का खतरा 22% ज्यादा पाया गया. 

क्यो होता है ऐसा? 

 इस स्टडी में सीधे कारणों की पुष्टि नहीं की गई, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि, एंटीबायोटिक्स आंतों के माइक्रोबायोम को प्रभावित करती हैं. यह माइक्रोबायोम बच्चों के हॉर्मोनल विकास में अहम भूमिका निभाता है. जब ये बैलेंस बिगड़ता है, तो हो सकता है कि शरीर में हॉर्मोन असंतुलन के चलते यौवन जल्दी शुरू हो जाए.

छोटे बच्चों को एंटीबायोटिक देना कई बार जरूरी हो सकता है, लेकिन थोड़ा बहुत बुखार या खांसी में दवा देना उचित नहीं है. यह रिसर्च बताती है कि, इलाज के फायदे और भविष्य में होने वाले नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं. आने वाले समय में यह शोध और भी बड़े खुलासे कर सकता है. 

यह भी पढ़ें : पूरी तरह शुगर छोड़ने के फायदे तो जान गए होंगे, अब जान लीजिए क्या है इसके नुकसान

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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