World Aids Day 2025: भारत में HIV केस रिकॉर्ड स्तर पर, 72% केस युवाओं में! एक्सपर्ट बोले- जागरूकता कैंपेन बेहद जरूरी
विश्व एड्स दिवस पर HIV/AIDS को लेकर एक बार फिर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है. देश में बदलती जीवनशैली, सुरक्षित यौन संबंधों की अनदेखी और सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर टेस्टिंग, सही जानकारी और जिम्मेदार व्यवहार अपनाकर इस बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है. एक्सपर्ट ने दी यह जानकारी भारत मे HIV/AIDS के बढ़ते संक्रमण को लेकर देश के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विनोद रैना (MD मेडिसिन) ने गंभीर चिंता जताई है. 25 साल से HIV के उपचार में अनुभव रखने वाले डॉ. रैना ने एबीपी लाइव की टीम को जानकारी देते हुए बताया कि विश्व के कई देशों ने समय रहते जागरूकता और कम्युनिटी हेल्थ प्रोग्राम्स की मदद से इस बीमारी को काफी हद तक रोक लिया, लेकिन भारत आज भी आवश्यक जागरूकता, शिक्षा और रोकथाम के अभाव में तेजी से संक्रमित होता जा रहा है. चेतावनी भरे लहजे में उन्होंने कहा कि, अगर अभी भी समाज और सरकार सक्रिय नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. यूरोप-अमेरिका ने जागरूकता से रोका, भारत अब भी पिछड़ रहा 70–80 के दशक में यूरोप और अमेरिका में अनप्रोटेक्टेड सेक्स से HIV तेजी से फैला, लेकिन समय रहते उन देशों ने मजबूत हेल्थ प्रोग्राम शुरू किए. डॉ. रैना बताते हैं कि कम्युनिटी मेडिसिन को बढ़ावा देने और सेक्सुअल हेल्थ पर खुले संवाद ने उन देशों में संक्रमण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके उलट भारत में सोशल नेटवर्क और बदलती जीवनशैली के कारण युवा वर्ग बिना प्रोटेक्शन के संबंध बना रहा है. गांव से शहर आने वाले या नई सेक्सुअल लाइफ शुरू करने वाले युवाओं में जानकारी की कमी के कारण संक्रमण तेजी से फैल रहा है. सेक्स एजुकेशन की कमी सबसे बड़ी कमजोरी’ डॉ. रैना का कहना है कि देश में आज भी सेक्स को एक टैबू की तरह देखा जाता है. बच्चों, युवाओं, हेल्थ वर्कर्स, यहां तक कि डॉक्टरों तक को सेक्सुअल हेल्थ की पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं मिलती. उनके मुताबिक, "जब लोग प्रोटेक्शन ही इस्तेमाल नहीं करते, इन्फेक्शन का अंदाज़ा नहीं होता और सेक्सुअल हाइजीन की समझ नहीं होती, तो बीमारी फैलना तय है. आज हालत यह है कि 25 साल पहले महीने में गिने-चुने मरीज आते थे, और अब एक दिन में 15–20 HIV केस देखने पड़ते हैं.” पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस: गलती के बाद भी बचाव मुमकिन डॉ. रैना ने एक अहम जानकारी देते हुए कहा कि, यदि कोई व्यक्ति असुरक्षित संबंध बना ले और अगली सुबह उसे अपनी गलती का एहसास हो, तो 72 घंटों के अंदर डॉक्टर से संपर्क कर वह पोस्ट एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PEP) नाम की दवा शुरू कर सकता है 30 दिन तक यह दवा लेने पर HIV संक्रमण को रोका जा सकता है. लेकिन समस्या यह है कि देश में ज्यादातर लोग इस दवा के बारे में जानते ही नहीं, क्योंकि न तो उपयोगी प्रोग्राम हैं और न ही सही जानकारी. कंडोम: छोटी सतर्कता, बड़ी सुरक्षा डॉ. रैना के अनुसार कंडोम केवल HIV ही नहीं बल्कि सिफिलिस, गोनोरिया, हर्पीज़, क्लेमाइडिया जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है. इसलिए हर व्यक्ति को सुरक्षित संबंध बनाना चाहिए और मल्टीपल पार्टनर्स से बचना चाहिए. शादी से पहले HIV टेस्ट को अनिवार्य करने की अपील डॉ. रैना बताते हैं कि उनके पास खूब ऐसे केस आते हैं जिसमें शादी के बाद पति या पत्नी को HIV हो जाता है और जांच में पता चलता है कि बीमारी शादी से पहले ही किसी एक को थी. वे कहते हैं, “लोग शादी के पहले कुंडली मिलाते हैं, लेकिन महज 400-500 रुपये का एक टेस्ट है, क्या शादी से पहले इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता? इससे न केवल घर बचेंगे बल्कि ज़िंदगियाँ भी.” HIV एक बार हुआ तो पूरी जिंदगी रहता है साथ वे चेतावनी देते हैं कि HIV एक ऐसी बीमारी है जिसे शरीर से पूरी तरह निकालने का कोई तरीका नहीं है. एक बार संक्रमित होने पर व्यक्ति को जीवनभर दवाइयां, नियमित चेकअप, और विशेष डाइट एवं जिंदगीभर की सावधानियों के साथ जीना पड़ता है. दैनिक कसरत, हाई प्रोटीन डाइट और जीवनशैली में अनुशासन जरूरी हो जाता है. युवाओं और होमोसेक्सुअल कम्युनिटी में तेज़ी से फैल रहा संक्रमण डॉ. रैना के अनुसार कॉलेज जाने वाले युवाओं और होमोसेक्सुअल समुदाय में HIV संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिनमें 72% तक अधिक प्रभाव देखा जा रहा है. वे कहते हैं कि बच्चों को गुड टच-बैड टच, सुरक्षित संबंध, और शरीर की समझ के बारे में शिक्षित किए बिना समाज को सुरक्षित नहीं बनाया जा सकता. भारत में खुले संवाद की कमी कई देशों में HIV जागरूकता के लिए रैलियां, परेड और सार्वजनिक कार्यक्रम होते हैं, लेकिन भारत में यह विषय अभी भी छिपाया जाता है. डॉ. रैना का मानना है कि सिर्फ एक दिन की जागरूकता से कुछ नहीं होगा. हेल्थ एजुकेशन में STDs को उतनी ही जगह देनी होगी जितनी रेस्पिरेटरी या कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को दी जाती है. WHO गाइडलाइंस पर आधारित आधुनिक इलाज मौजूद आज तकनीक इतनी बढ़ चुकी है कि अगर माता-पिता दोनों HIV पॉजिटिव हों, लेकिन दवा नियमित रूप से लें, तो भी बच्चा HIV नेगेटिव पैदा हो सकता है. एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी से वायरस को इतना कम किया जा सकता है कि वह दूसरों में संक्रमित न हो. घर में HIV मरीज हो तो किन बातों का रखें ध्यान? यदि किसी परिवार में HIV संक्रमित व्यक्ति है और उसकी हालत गंभीर है, तो उनके बर्तन, कपड़े और तौलिए अलग रखें, साबुन आदि अलग रखें. ना उनका झूठा खाना है और ना ही देना है. उन्हें डॉक्टर को दिखा के, एंटी-वायरल थेरेपी शुरू करवाएं. इसके अलावा उन्हें प्रोटीन डाइट देना बहुत ही ज़्यादा जरूरी है. HIV के लक्षणों को न करें नजरअंदाज लगातार बीमार रहना, बार-बार टाइफाइड या लूज़मोशन होना, कमजोरी, लगातार थकान, वजन कम होना, तेज़ बुखार—ये HIV के संकेत हो सकते हैं. संक्रमण बढ़ने पर टीबी, सिफिलिस, क्लेमाइडिया, हर्पीज़ या HPV ज
विश्व एड्स दिवस पर HIV/AIDS को लेकर एक बार फिर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है. देश में बदलती जीवनशैली, सुरक्षित यौन संबंधों की अनदेखी और सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर टेस्टिंग, सही जानकारी और जिम्मेदार व्यवहार अपनाकर इस बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है.
एक्सपर्ट ने दी यह जानकारी
भारत मे HIV/AIDS के बढ़ते संक्रमण को लेकर देश के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विनोद रैना (MD मेडिसिन) ने गंभीर चिंता जताई है. 25 साल से HIV के उपचार में अनुभव रखने वाले डॉ. रैना ने एबीपी लाइव की टीम को जानकारी देते हुए बताया कि विश्व के कई देशों ने समय रहते जागरूकता और कम्युनिटी हेल्थ प्रोग्राम्स की मदद से इस बीमारी को काफी हद तक रोक लिया, लेकिन भारत आज भी आवश्यक जागरूकता, शिक्षा और रोकथाम के अभाव में तेजी से संक्रमित होता जा रहा है. चेतावनी भरे लहजे में उन्होंने कहा कि, अगर अभी भी समाज और सरकार सक्रिय नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
यूरोप-अमेरिका ने जागरूकता से रोका, भारत अब भी पिछड़ रहा
70–80 के दशक में यूरोप और अमेरिका में अनप्रोटेक्टेड सेक्स से HIV तेजी से फैला, लेकिन समय रहते उन देशों ने मजबूत हेल्थ प्रोग्राम शुरू किए. डॉ. रैना बताते हैं कि कम्युनिटी मेडिसिन को बढ़ावा देने और सेक्सुअल हेल्थ पर खुले संवाद ने उन देशों में संक्रमण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके उलट भारत में सोशल नेटवर्क और बदलती जीवनशैली के कारण युवा वर्ग बिना प्रोटेक्शन के संबंध बना रहा है. गांव से शहर आने वाले या नई सेक्सुअल लाइफ शुरू करने वाले युवाओं में जानकारी की कमी के कारण संक्रमण तेजी से फैल रहा है.
सेक्स एजुकेशन की कमी सबसे बड़ी कमजोरी’
डॉ. रैना का कहना है कि देश में आज भी सेक्स को एक टैबू की तरह देखा जाता है. बच्चों, युवाओं, हेल्थ वर्कर्स, यहां तक कि डॉक्टरों तक को सेक्सुअल हेल्थ की पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं मिलती. उनके मुताबिक, "जब लोग प्रोटेक्शन ही इस्तेमाल नहीं करते, इन्फेक्शन का अंदाज़ा नहीं होता और सेक्सुअल हाइजीन की समझ नहीं होती, तो बीमारी फैलना तय है. आज हालत यह है कि 25 साल पहले महीने में गिने-चुने मरीज आते थे, और अब एक दिन में 15–20 HIV केस देखने पड़ते हैं.”
पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस: गलती के बाद भी बचाव मुमकिन
डॉ. रैना ने एक अहम जानकारी देते हुए कहा कि, यदि कोई व्यक्ति असुरक्षित संबंध बना ले और अगली सुबह उसे अपनी गलती का एहसास हो, तो 72 घंटों के अंदर डॉक्टर से संपर्क कर वह पोस्ट एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PEP) नाम की दवा शुरू कर सकता है 30 दिन तक यह दवा लेने पर HIV संक्रमण को रोका जा सकता है. लेकिन समस्या यह है कि देश में ज्यादातर लोग इस दवा के बारे में जानते ही नहीं, क्योंकि न तो उपयोगी प्रोग्राम हैं और न ही सही जानकारी.
कंडोम: छोटी सतर्कता, बड़ी सुरक्षा
डॉ. रैना के अनुसार कंडोम केवल HIV ही नहीं बल्कि सिफिलिस, गोनोरिया, हर्पीज़, क्लेमाइडिया जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है. इसलिए हर व्यक्ति को सुरक्षित संबंध बनाना चाहिए और मल्टीपल पार्टनर्स से बचना चाहिए.
शादी से पहले HIV टेस्ट को अनिवार्य करने की अपील
डॉ. रैना बताते हैं कि उनके पास खूब ऐसे केस आते हैं जिसमें शादी के बाद पति या पत्नी को HIV हो जाता है और जांच में पता चलता है कि बीमारी शादी से पहले ही किसी एक को थी. वे कहते हैं, “लोग शादी के पहले कुंडली मिलाते हैं, लेकिन महज 400-500 रुपये का एक टेस्ट है, क्या शादी से पहले इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता? इससे न केवल घर बचेंगे बल्कि ज़िंदगियाँ भी.”
HIV एक बार हुआ तो पूरी जिंदगी रहता है साथ
वे चेतावनी देते हैं कि HIV एक ऐसी बीमारी है जिसे शरीर से पूरी तरह निकालने का कोई तरीका नहीं है. एक बार संक्रमित होने पर व्यक्ति को जीवनभर दवाइयां, नियमित चेकअप, और विशेष डाइट एवं जिंदगीभर की सावधानियों के साथ जीना पड़ता है. दैनिक कसरत, हाई प्रोटीन डाइट और जीवनशैली में अनुशासन जरूरी हो जाता है.
युवाओं और होमोसेक्सुअल कम्युनिटी में तेज़ी से फैल रहा संक्रमण
डॉ. रैना के अनुसार कॉलेज जाने वाले युवाओं और होमोसेक्सुअल समुदाय में HIV संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिनमें 72% तक अधिक प्रभाव देखा जा रहा है. वे कहते हैं कि बच्चों को गुड टच-बैड टच, सुरक्षित संबंध, और शरीर की समझ के बारे में शिक्षित किए बिना समाज को सुरक्षित नहीं बनाया जा सकता.
भारत में खुले संवाद की कमी
कई देशों में HIV जागरूकता के लिए रैलियां, परेड और सार्वजनिक कार्यक्रम होते हैं, लेकिन भारत में यह विषय अभी भी छिपाया जाता है. डॉ. रैना का मानना है कि सिर्फ एक दिन की जागरूकता से कुछ नहीं होगा. हेल्थ एजुकेशन में STDs को उतनी ही जगह देनी होगी जितनी रेस्पिरेटरी या कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को दी जाती है.
WHO गाइडलाइंस पर आधारित आधुनिक इलाज मौजूद
आज तकनीक इतनी बढ़ चुकी है कि अगर माता-पिता दोनों HIV पॉजिटिव हों, लेकिन दवा नियमित रूप से लें, तो भी बच्चा HIV नेगेटिव पैदा हो सकता है. एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी से वायरस को इतना कम किया जा सकता है कि वह दूसरों में संक्रमित न हो.
घर में HIV मरीज हो तो किन बातों का रखें ध्यान?
यदि किसी परिवार में HIV संक्रमित व्यक्ति है और उसकी हालत गंभीर है, तो उनके बर्तन, कपड़े और तौलिए अलग रखें, साबुन आदि अलग रखें. ना उनका झूठा खाना है और ना ही देना है. उन्हें डॉक्टर को दिखा के, एंटी-वायरल थेरेपी शुरू करवाएं. इसके अलावा उन्हें प्रोटीन डाइट देना बहुत ही ज़्यादा जरूरी है.
HIV के लक्षणों को न करें नजरअंदाज
लगातार बीमार रहना, बार-बार टाइफाइड या लूज़मोशन होना, कमजोरी, लगातार थकान, वजन कम होना, तेज़ बुखार—ये HIV के संकेत हो सकते हैं. संक्रमण बढ़ने पर टीबी, सिफिलिस, क्लेमाइडिया, हर्पीज़ या HPV जैसी अन्य बीमारियां भी होने की संभावना रहती है.
समाज जागेगा, तभी देश सुरक्षित होगा
डॉ. रैना कहते हैं, “मैं एक डॉक्टर होकर हाथ जोड़ कर लोगों से विनती करता हूं कि इस मुद्दे को उठाइए. टेस्टिंग को बढ़ावा दीजिए, सेक्स एजुकेशन को पढ़ाइए, सुरक्षित संबंध को आदत बनाइए. आज कदम उठाएंगे, तभी आने वाली पीढियां स्वस्थ रहेंगी.”
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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