WiFi भी बन सकता है इन्फर्टिलिटी का कारण, जान लें कैसे?

मॉडर्न लाइफस्टाइल में वाई-फाई (WiFi) हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. चाहे घर में हो या ऑफिस में, हर जगह वाई-फाई होना बेहद जरूरी है. क्या आप जानते हैं कि वाई-फाई भी इन्फर्टिलिटी का कारण बन सकता है? अगर नहीं तो आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.  वाई-फाई और इन्फर्टिलिटी का क्या कनेक्शन? वाई-फाई डिवाइस जैसे राउटर और इससे कनेक्ट होने वाले लैपटॉप और स्मार्टफोन्स 2.45 गीगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर RF-EMR उत्सर्जित करते हैं. ये नॉन-आइअनाइज रेज होती हैं, जो इंसानों की सेहत के लिए सेफ मानी जाती हैं. हालांकि, कई स्टडी में सामने आया है कि लंबे समय तक इन रेज के संपर्क में रहने से प्रजनन सिस्टम पर नेगेटिव इम्पैक्ट पड़ सकता है. खासकर, पुरुषों में शुक्राणुओं की गतिशीलता (Motility), संख्या (Count), और डीएनए अखंडता (DNA Integrity) प्रभावित हो सकती है. जापान में हुई थी इस पर रिसर्च 2018 के दौरान जापान में एक रिसर्च की गई थी. इसमें सामने आया कि वाई-फाई राउटर के पास रखे गए शुक्राणुओं के सैंपल में दो घंटे के बाद गतिशीलता कम पाई गई. इस स्टडी में 51 पुरुषों के सैंपल को तीन ग्रुप में बांटा गया. पहला सैंपल बिना वाई-फाई वाले एरिया में रखा गया. दूसरा सैंपल वाई-फाई वाले एरिया में तो रखा गया, लेकिन इसके बीच में एक शील्ड लगाई गई. वहीं, तीसरा सैंपल पूरी तरह से वाई-फाई के संपर्क में था. दो घंटे के बाद तीसरे सैंपल वाले शुक्राणुओं की गतिशीलता 26.4 पर्सेंट थी, जबकि नियंत्रण समूह में यह 53.3 पर्सेंट पाई गई. वहीं, 24 घंटे के बाद तीसरे सैंपल में मौजूद 23.3 पर्सेंट शुक्राणु मृत पाए गए, जबकि बाकी दोनों सैंपल में यह आंकड़ा 8.4 पर्सेंट था. शुक्राणुओं की हेल्थ पर असर शुक्राणुओं की हेल्थ के लिए मोटिलिटी, काउंट और डीएन इंटीग्रिटी बेहद अहम होती है. रिसर्च में पाया गया कि वाई-फाई से निकलने वाली RF-EMR रेज से शुक्राणुओं में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS) का उत्पादन बढ़ जाता है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का कारण बनता है. यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस शुक्राणु की झिल्लियों में लिपिड पेरोक्सीडेशन (Lipid Peroxidation) को बढ़ा देता है, जिससे उनकी मोटिलिटी और डीएनए डैमेज हो सकता है.  2011 की स्टडी में सामने आई यह बात 2011 के दौरान Fertility and Sterility मैग्जीन में एक स्टडी पब्लिश हुई थी. इसमें बताया गया कि वाई-फाई से जुड़े लैपटॉप के पास चार घंटे तक रखे गए शुक्राणु के सैंपल में 25 पर्सेंट शुक्राणु गतिहीन हो गए. वहीं, 9 पर्सेंट में डीएनए डैमेज हो गया. यह इम्पैक्ट लैपटॉप की हीटिंग की जगह RF-EMR के कारण था, क्योंकि जो लैपटॉप वाई-फाई से कनेक्ट नहीं थे, उन सैंपल में डैमेज बेहद कम रहा. महिला फर्टिलिटी हेल्थ पर असर कई रिसर्च में महिलाओं की फर्टिलिटी हेल्थ पर भी काम किया गया. 2022 के दौरान International Journal of Public Health Research में पब्लिश एक रिसर्च में पाया गया कि RF-EMR ओवरी में अंडाणु (Oocytes), अंडाशयी पुटिकाओं (Ovarian Follicles), और भ्रूण विकास को नुकसान पहुंचा सकता है. यह हार्मोनल डिसबैलेंस, ओव्यूलेशन में कमी और गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है. ये भी पढ़ें: शारीरिक संबंध बनाने के कितने दिन बाद चलता है प्रेग्नेंसी का पता, क्या होती है सबसे पहली पहचान? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Jun 15, 2025 - 21:30
 0
WiFi भी बन सकता है इन्फर्टिलिटी का कारण, जान लें कैसे?

मॉडर्न लाइफस्टाइल में वाई-फाई (WiFi) हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. चाहे घर में हो या ऑफिस में, हर जगह वाई-फाई होना बेहद जरूरी है. क्या आप जानते हैं कि वाई-फाई भी इन्फर्टिलिटी का कारण बन सकता है? अगर नहीं तो आइए आपको इसके बारे में बताते हैं. 

वाई-फाई और इन्फर्टिलिटी का क्या कनेक्शन?

वाई-फाई डिवाइस जैसे राउटर और इससे कनेक्ट होने वाले लैपटॉप और स्मार्टफोन्स 2.45 गीगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर RF-EMR उत्सर्जित करते हैं. ये नॉन-आइअनाइज रेज होती हैं, जो इंसानों की सेहत के लिए सेफ मानी जाती हैं. हालांकि, कई स्टडी में सामने आया है कि लंबे समय तक इन रेज के संपर्क में रहने से प्रजनन सिस्टम पर नेगेटिव इम्पैक्ट पड़ सकता है. खासकर, पुरुषों में शुक्राणुओं की गतिशीलता (Motility), संख्या (Count), और डीएनए अखंडता (DNA Integrity) प्रभावित हो सकती है.

जापान में हुई थी इस पर रिसर्च

2018 के दौरान जापान में एक रिसर्च की गई थी. इसमें सामने आया कि वाई-फाई राउटर के पास रखे गए शुक्राणुओं के सैंपल में दो घंटे के बाद गतिशीलता कम पाई गई. इस स्टडी में 51 पुरुषों के सैंपल को तीन ग्रुप में बांटा गया. पहला सैंपल बिना वाई-फाई वाले एरिया में रखा गया. दूसरा सैंपल वाई-फाई वाले एरिया में तो रखा गया, लेकिन इसके बीच में एक शील्ड लगाई गई. वहीं, तीसरा सैंपल पूरी तरह से वाई-फाई के संपर्क में था. दो घंटे के बाद तीसरे सैंपल वाले शुक्राणुओं की गतिशीलता 26.4 पर्सेंट थी, जबकि नियंत्रण समूह में यह 53.3 पर्सेंट पाई गई. वहीं, 24 घंटे के बाद तीसरे सैंपल में मौजूद 23.3 पर्सेंट शुक्राणु मृत पाए गए, जबकि बाकी दोनों सैंपल में यह आंकड़ा 8.4 पर्सेंट था.

शुक्राणुओं की हेल्थ पर असर

शुक्राणुओं की हेल्थ के लिए मोटिलिटी, काउंट और डीएन इंटीग्रिटी बेहद अहम होती है. रिसर्च में पाया गया कि वाई-फाई से निकलने वाली RF-EMR रेज से शुक्राणुओं में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS) का उत्पादन बढ़ जाता है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का कारण बनता है. यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस शुक्राणु की झिल्लियों में लिपिड पेरोक्सीडेशन (Lipid Peroxidation) को बढ़ा देता है, जिससे उनकी मोटिलिटी और डीएनए डैमेज हो सकता है. 

2011 की स्टडी में सामने आई यह बात

2011 के दौरान Fertility and Sterility मैग्जीन में एक स्टडी पब्लिश हुई थी. इसमें बताया गया कि वाई-फाई से जुड़े लैपटॉप के पास चार घंटे तक रखे गए शुक्राणु के सैंपल में 25 पर्सेंट शुक्राणु गतिहीन हो गए. वहीं, 9 पर्सेंट में डीएनए डैमेज हो गया. यह इम्पैक्ट लैपटॉप की हीटिंग की जगह RF-EMR के कारण था, क्योंकि जो लैपटॉप वाई-फाई से कनेक्ट नहीं थे, उन सैंपल में डैमेज बेहद कम रहा.

महिला फर्टिलिटी हेल्थ पर असर

कई रिसर्च में महिलाओं की फर्टिलिटी हेल्थ पर भी काम किया गया. 2022 के दौरान International Journal of Public Health Research में पब्लिश एक रिसर्च में पाया गया कि RF-EMR ओवरी में अंडाणु (Oocytes), अंडाशयी पुटिकाओं (Ovarian Follicles), और भ्रूण विकास को नुकसान पहुंचा सकता है. यह हार्मोनल डिसबैलेंस, ओव्यूलेशन में कमी और गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है.

ये भी पढ़ें: शारीरिक संबंध बनाने के कितने दिन बाद चलता है प्रेग्नेंसी का पता, क्या होती है सबसे पहली पहचान?

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow