Sports Governance Bill 2025: केंद्र सरकार करेगी BCCI को कंट्रोल? क्या है नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025, जानिए क्या पड़ेगा असर
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) भी अब राष्ट्रिय खेल प्रशासन विधेयक का हिस्सा होगा. बीसीसीआई बेशक सरकार से वित्तीय मदद पर निर्भर नहीं रहती है लेकिन उसे प्रस्तावित नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड से मान्यता लेनी होगी. खेल मंत्रालय के सूत्र ने इंडिया टुडे को इस बात की पुष्टि की है कि बीसीसीआई भी अब राष्ट्रिय खेल विधेयक के दायरे में आएगा. 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में टीम इंडिया के शामिल होने के बाद इसकी उम्मीद की जा रही थी. भारत में खेल इकोसिस्टम को बेहतर करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ़ युथ अफेयर एंड स्पोर्ट्स ने खेल विधेयक का मसौदा पेश किया. इसके लागू होने के साथ नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन के रूप में BCCI के इसके दायरे में आने की उम्मीद है. पीटीआई को एक सूत्र ने बताया, "BCCI अन्य सभी NSF की तरह एक स्वायत्त निकाय रहेगा, लेकिन उनसे जुड़े विवादों का हल प्रस्तावित राष्ट्रिय खेल पंचाट करेगा. इस विधेयक का मतलब किसी भी NSF पर सरकार का नियंत्रण नहीं है. बल्कि सरकार सुशासन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी." 2019 तक, BCCI को नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन के रूप में मान्यता नहीं थी. यह 2020 में सूचना का अधिकारी अधिनियम के दायरे में आया. नए खेल विधेयक में BCCI को शामिल करने के बाद क्रिकेट बोर्ड खेल मंत्रालय के सभी नियमों और निर्देशों के दायरे में आ जाएगा. यह देखना होगा कि क्या आयु सीमा, हितों के टकराव संबंधी धाराओं सहित लोढ़ा समिति की सिफारिशें आगे भी लागू रहेंगी या नहीं. कई असफल प्रयासों के बाद इस मसौदे को तैयार किया गया है. इसका उद्देश्य खिलाड़ियों के अधिकारीयों की रक्षा करना और खेल जगत में विवाद-मुक्त वातावरण बनाना है. इससे 2036 के ओलंपिक खेलों की दावेदारी के लिए देश की साख मजबूत होगी. इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया गया कि यह विधेयक लैंगिक प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए, यह प्रत्येक कार्यकारी समिति में कम से कम चार महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य बनाता है. यह निकाय खेल-संबंधी विवादों के समाधान के लिए एक समर्पित तंत्र के रूप में कार्य करेगा. इसके फैसले को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी. स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल स्पोर्ट्स फेडरेशन को किस तरह प्रभावित करेगा? स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल भारतीय खेलों में व्पायक बदलाव लाने के लिए तैयार किया गया है. इसके तहत नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड की स्थापना की जाएगी. इसके पास शिकायतों या अपनी पहल के आधार पर खेल महासंघों को निलंबित करने का अधिकार होगा. पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्रस्तावित निकाय को कई मुद्दों पर कार्यवाई करने का अधिकार होगा. इंडिया टुडे ने इस मसौदे की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड का नेतृत्व एक प्रेजिडेंट करेंगे. सरकार की देखरेख में चयन प्रक्रिया के माध्यम से कुछ सदस्यों को शामिल किया जाएगा. खेल सचिव या कैबिनेट सचिव चयन पैनल की अध्यक्षता करेंगे. इसमें अर्जुन, खेल रत्न या द्रोणाचार्य अवार्ड प्राप्त एक सम्मानित खिलाड़ी, राष्ट्रीय महासंघों के 2 पूर्व शीर्ष पदाधिकारी और प्राधिकरण के महानिदेशक शामिल होंगे.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) भी अब राष्ट्रिय खेल प्रशासन विधेयक का हिस्सा होगा. बीसीसीआई बेशक सरकार से वित्तीय मदद पर निर्भर नहीं रहती है लेकिन उसे प्रस्तावित नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड से मान्यता लेनी होगी. खेल मंत्रालय के सूत्र ने इंडिया टुडे को इस बात की पुष्टि की है कि बीसीसीआई भी अब राष्ट्रिय खेल विधेयक के दायरे में आएगा. 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में टीम इंडिया के शामिल होने के बाद इसकी उम्मीद की जा रही थी.
भारत में खेल इकोसिस्टम को बेहतर करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ़ युथ अफेयर एंड स्पोर्ट्स ने खेल विधेयक का मसौदा पेश किया. इसके लागू होने के साथ नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन के रूप में BCCI के इसके दायरे में आने की उम्मीद है.
पीटीआई को एक सूत्र ने बताया, "BCCI अन्य सभी NSF की तरह एक स्वायत्त निकाय रहेगा, लेकिन उनसे जुड़े विवादों का हल प्रस्तावित राष्ट्रिय खेल पंचाट करेगा. इस विधेयक का मतलब किसी भी NSF पर सरकार का नियंत्रण नहीं है. बल्कि सरकार सुशासन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी."
2019 तक, BCCI को नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन के रूप में मान्यता नहीं थी. यह 2020 में सूचना का अधिकारी अधिनियम के दायरे में आया. नए खेल विधेयक में BCCI को शामिल करने के बाद क्रिकेट बोर्ड खेल मंत्रालय के सभी नियमों और निर्देशों के दायरे में आ जाएगा. यह देखना होगा कि क्या आयु सीमा, हितों के टकराव संबंधी धाराओं सहित लोढ़ा समिति की सिफारिशें आगे भी लागू रहेंगी या नहीं.
कई असफल प्रयासों के बाद इस मसौदे को तैयार किया गया है. इसका उद्देश्य खिलाड़ियों के अधिकारीयों की रक्षा करना और खेल जगत में विवाद-मुक्त वातावरण बनाना है. इससे 2036 के ओलंपिक खेलों की दावेदारी के लिए देश की साख मजबूत होगी.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया गया कि यह विधेयक लैंगिक प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए, यह प्रत्येक कार्यकारी समिति में कम से कम चार महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य बनाता है. यह निकाय खेल-संबंधी विवादों के समाधान के लिए एक समर्पित तंत्र के रूप में कार्य करेगा. इसके फैसले को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी.
स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल स्पोर्ट्स फेडरेशन को किस तरह प्रभावित करेगा?
स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल भारतीय खेलों में व्पायक बदलाव लाने के लिए तैयार किया गया है. इसके तहत नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड की स्थापना की जाएगी. इसके पास शिकायतों या अपनी पहल के आधार पर खेल महासंघों को निलंबित करने का अधिकार होगा. पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्रस्तावित निकाय को कई मुद्दों पर कार्यवाई करने का अधिकार होगा.
इंडिया टुडे ने इस मसौदे की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड का नेतृत्व एक प्रेजिडेंट करेंगे. सरकार की देखरेख में चयन प्रक्रिया के माध्यम से कुछ सदस्यों को शामिल किया जाएगा. खेल सचिव या कैबिनेट सचिव चयन पैनल की अध्यक्षता करेंगे. इसमें अर्जुन, खेल रत्न या द्रोणाचार्य अवार्ड प्राप्त एक सम्मानित खिलाड़ी, राष्ट्रीय महासंघों के 2 पूर्व शीर्ष पदाधिकारी और प्राधिकरण के महानिदेशक शामिल होंगे.
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