Shukra Gochar 2025: भारत की कुंडली में बड़ा बदलाव! शुक्र का गोचर डालेगा आर्थिक, सामाजिक दिशा पर प्रभाव!

Shukr Gochar 2025: भारत की स्वतंत्रता की ज्योतिषीय कुण्डली 15 अगस्त 1947 को रात्रि 12:00 बजे दिल्ली में वृषभ लग्न पर आधारित है. इस कुंडली में राहु लग्न में वृषभ राशि में स्थित है, मंगल द्वितीय भाव में मिथुन राशि में स्थित है, चंद्रमा, शुक्र, शनि, बुध और सूर्य तृतीय भाव के कर्क राशि में स्थित हैं. वहीं गुरु षष्ठ भाव में तुला राशि में और केतु सप्तम भाव में वृश्चिक राशि में स्थित है. चंद्रमा कर्क राशि में पुष्य नक्षत्रचंद्रमा कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र में है जो इसकी चंद्र राशि बनाता है. अष्टकवर्ग में मिथुन तथा कर्क राशि में शुक्र के 4-4 बिन्दु हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि इन राशियों में शुक्र का प्रभाव मध्यम रहेगा. वर्तमान में शुक्र का गोचर 20 अगस्त 2025 तक मिथुन राशि में और 14 सितम्बर 2025 तक कर्क राशि में रहेगा. मिथुन राशि में शुक्र का गोचरशुक्र का गोचर मिथुन राशि में भारत की कुंडली के द्वितीय भाव से हो रहा है. जहाँ जन्मकालीन मंगल स्थित है और वर्तमान में बृहस्पति भी गोचर कर रहा है. मेदिनी ज्योतिष अनुसार द्वितीय भाव राष्ट्र की वाणी, वित्त, खजाना, नागरिकों की वाणी एवं मीडिया का कारक होता है. शुक्र यहां लग्नेश होने के कारण आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से प्रभावीत रहेगा. नारद संहिता के अनुसार  "यदि शुक्रो द्वितीये भावे संस्थितो धनसंपदाम् राज्ये च सौख्यमायाति सुजनो वाग्विशारदः॥" अर्थ: यदि शुक्र द्वितीय भाव में हो तो धन की वृद्धि, मधुर भाषण, और सांस्कृतिक समृद्धि होती है. इस गोचर काल में भारत की आर्थिक स्थिति में संतुलन, फिल्म-मनोरंजन उद्योग की सक्रियता, तथा मीडिया में आक्रामक वक्तव्य देखने को मिल सकते हैं. परंतु यहां मंगल पहले से स्थित है, शुक्र का मधुर प्रभाव मंगल की तीव्रता से संघर्ष कर सकता है, जिससे वाणी से उपजा विवाद, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े विवाद या राजनीतिक दलों में तीखी बयानबाजी की स्थिति बन सकती है. कर्क राशि में शुक्र का गोचर 14 सितम्बर 2025 तक शुक्र कर्क राशि में गोचर करेगा जो भारत की कुंडली के तृतीय भाव में है. इस भाव में जन्मकालीन चंद्रमा, शुक्र, सूर्य, शनि और बुध जैसे पाँच ग्रह स्थित हैं, अतः यह गोचर अत्यंत महत्वपूर्ण बनता है. तृतीय भाव राष्ट्र की संचार व्यवस्था, पड़ोसी देशों से संबंध, मीडिया, प्रचार, सेना की गतिविधि, और भाईचारा का प्रतिनिधित्व करता है. बृहत्संहिता में वर्णन "शुक्रस्तृतीयगे राष्ट्रे संचारं बहु सूचनम्. परदेश संग्रामे वा शांति दायक उच्यते॥" अर्थ: जब शुक्र तृतीय भाव में गोचर करता है, तो वह सूचना माध्यमों का विस्तार, पड़ोसी देशों से सौहार्द, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में वृद्धि लाता है. यह समय भारत के लिए डिप्लोमेसी, सौम्यता, और रचनात्मकता के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छवि को संवारने का अवसर भी देता है. वहीं तृतीय भाव में शनि और सूर्य जैसे परस्पर विरोधी ग्रह स्थित हैं, अतः शुक्र का यह गोचर राजनीतिक संतुलन की परीक्षा लेगा , दूसरी ओर नियंत्रण और सत्ता का संघर्ष रहेगा. निष्कर्ष वृषभ लग्न की कुंडली में शुक्र का गोचर द्वितीय और तृतीय भाव से होते हुए भारत की आर्थिक, सामाजिक और कूटनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा. मिथुन में शुक्र जहां वाणी, अर्थनीति और जनमानस को प्रभावित करेगा. वहीं कर्क में शुक्र का गोचर सामाजिक संवाद, पड़ोसी संबंधों, मीडिया और रचनात्मक उन्नति में योगदान देगा.  शुक्र की प्रकृति सौम्य है, लेकिन इसके राहु, मंगल और शनि जैसे ग्रहों से टकराव इसे कई बार मूल्य आधारित टकराव और नीतिगत विरोधाभास की ओर भी ले जा सकते हैं. यह काल नारी सशक्तिकरण, मनोरंजन उद्योग, और अंतरराष्ट्रीय संवाद के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहेगा. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Aug 8, 2025 - 20:30
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