Shani Jayanti 2025: शनि देव से जुड़ी 17 रहस्यमयी बातें! न्याय के देवता या श्रापित ग्रह?

Shani Jayanti 2025: शनि देव: दंडदाता या भाग्यविधाता? शनि की महिमा सभी जानते हैं. कलियुग में शनि देव की उपासना सभी कष्टों से बचाती है. शनि कलियुग में न्याय करने वाले देवता के तौर पर पूजे जाते हैं. पंचांग अनुसार शनि जयंती का पर्व 27 मई 2025 को है. ये पर्व शनि देव को समर्पित है. उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और रहस्य आइए जानते हैं. शनि जयंती 2025 (Shani Jayanti 2025 Date)शनि जयंती 2025 में 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी, जो कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि है. इस दिन को शनि देव के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है और यह उन सभी भक्तों के लिए विशेष होता है जो साढ़ेसाती या ढैय्या जैसी शनि दोषों से प्रभावित हैं. शनि जयंती पर क्या करें?  सुबह से उपवास रखें और शनि मंत्रों का जाप करें. शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. शनि स्तोत्र, शनि चालीसा या दशरथ कृत शनि स्तुति का पाठ करें. शनि मंदिर में तेल, काले तिल और काले कपड़ों का दान करें. हनुमान जी और शनि देव का रहस्यमय संबंधशास्त्रों के अनुसार, रावण ने शनि सहित सभी नवग्रहों को बंदी बना लिया था. तभी हनुमान जी ने उन्हें मुक्त किया, जिसके कारण शनि देव ने प्रतिज्ञा ली कि जो हनुमान का भक्त होगा, उसे वे कष्ट नहीं देंगे. इसीलिए शनि दोष से मुक्ति के लिए हनुमान जी की पूजा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है. हनुमान मंदिर में चमेली के तेल का दीपक जलाएं. बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करें. शनि देव के 17 चौंकाने वाले और रहस्यमयी तथ्य शनि यमराज के बड़े भाई हैं. वे सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र हैं. संजना उनकी सौतेली मां हैं. शनि को अपंग होने का श्राप मिला है. शनि को सूर्य की परिक्रमा करने में 29.5 वर्ष लगते हैं. वे न्याय का प्रतिनिधि ग्रह हैं. शनि जीवन में न्याय करते हैं, यमराज मृत्यु के बाद. रावण ने शनि को कैद कर रखा था. हनुमान जी ने मुक्त किया, तभी से शनि भक्तों को नहीं सताते. उनका जन्म स्वाति नक्षत्र में हुआ, इसीलिए वे वहां उच्च के माने जाते हैं. जन्म रेवती नक्षत्र में हुआ. उनकी सौतेली मां के श्राप से वे लंगड़े हुए. उनकी पत्नी के श्राप से उनकी दृष्टि अशुभ मानी जाती है. उनकी दो पत्नियां हैं, नीला और मंदा. शनि के दो पुत्र हैं, गुलिक और कुलिंग. अश्विनी कुमार उनके सौतेले भाई हैं और मेष में शनि नीच के हो जाते हैं. वे क्रूर नहीं, बल्कि निष्पक्ष न्यायाधीश हैं. साढ़ेसाती क्या है और इससे बचने के उपायसाढ़ेसाती वह काल है जब शनि जन्म राशि के पहले, उस पर और उसके बाद की राशि में गोचर करते हैं. यह कुल मिलाकर साढ़े सात वर्ष का काल होता है. शनि के उपाय हर शनिवार को काले तिल, उड़द और सरसों का तेल दान करें. शनि मंदिर में दीपदान करें. शनि स्तोत्र और दशरथ कृत स्तुति का नित्य पाठ करें. पीड़ितों, निर्धनों और अपंगों की सेवा करें. शनि जयंती 2025 की सटीक तिथि27 मई 2025, मंगलवार को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाएगी. इस दिन शनि पूजा करने से जीवन में आने वाली रुकावटें, बाधाएं और दुर्भाग्य दूर होते हैं. FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):Q1. शनि जयंती कब मनाई जाती है?उत्तर: शनि जयंती हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को आती है. 2025 में यह 27 मई को है. Q2. क्या शनि क्रूर ग्रह हैं?उत्तर: नहीं, शनि निष्पक्ष और कर्मफलदाता ग्रह हैं. जैसे कर्म, वैसा फल. Q3. साढ़ेसाती से बचने के लिए क्या करें?उत्तर: हनुमान जी की पूजा करें, तेल दीपक जलाएं और शनिवार को दान करें.

May 23, 2025 - 11:30
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Shani Jayanti 2025: शनि देव से जुड़ी 17 रहस्यमयी बातें! न्याय के देवता या श्रापित ग्रह?

Shani Jayanti 2025: शनि देव: दंडदाता या भाग्यविधाता? शनि की महिमा सभी जानते हैं. कलियुग में शनि देव की उपासना सभी कष्टों से बचाती है. शनि कलियुग में न्याय करने वाले देवता के तौर पर पूजे जाते हैं. पंचांग अनुसार शनि जयंती का पर्व 27 मई 2025 को है. ये पर्व शनि देव को समर्पित है. उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और रहस्य आइए जानते हैं.

शनि जयंती 2025 (Shani Jayanti 2025 Date)
शनि जयंती 2025 में 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी, जो कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि है. इस दिन को शनि देव के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है और यह उन सभी भक्तों के लिए विशेष होता है जो साढ़ेसाती या ढैय्या जैसी शनि दोषों से प्रभावित हैं.

शनि जयंती पर क्या करें? 

  • सुबह से उपवास रखें और शनि मंत्रों का जाप करें.
  • शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
  • शनि स्तोत्र, शनि चालीसा या दशरथ कृत शनि स्तुति का पाठ करें.
  • शनि मंदिर में तेल, काले तिल और काले कपड़ों का दान करें.

हनुमान जी और शनि देव का रहस्यमय संबंध
शास्त्रों के अनुसार, रावण ने शनि सहित सभी नवग्रहों को बंदी बना लिया था. तभी हनुमान जी ने उन्हें मुक्त किया, जिसके कारण शनि देव ने प्रतिज्ञा ली कि जो हनुमान का भक्त होगा, उसे वे कष्ट नहीं देंगे. इसीलिए शनि दोष से मुक्ति के लिए हनुमान जी की पूजा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है.

  1. हनुमान मंदिर में चमेली के तेल का दीपक जलाएं.
  2. बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करें.

शनि देव के 17 चौंकाने वाले और रहस्यमयी तथ्य

  1. शनि यमराज के बड़े भाई हैं.
  2. वे सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र हैं.
  3. संजना उनकी सौतेली मां हैं.
  4. शनि को अपंग होने का श्राप मिला है.
  5. शनि को सूर्य की परिक्रमा करने में 29.5 वर्ष लगते हैं.
  6. वे न्याय का प्रतिनिधि ग्रह हैं.
  7. शनि जीवन में न्याय करते हैं, यमराज मृत्यु के बाद.
  8. रावण ने शनि को कैद कर रखा था.
  9. हनुमान जी ने मुक्त किया, तभी से शनि भक्तों को नहीं सताते.
  10. उनका जन्म स्वाति नक्षत्र में हुआ, इसीलिए वे वहां उच्च के माने जाते हैं.
  11. जन्म रेवती नक्षत्र में हुआ.
  12. उनकी सौतेली मां के श्राप से वे लंगड़े हुए.
  13. उनकी पत्नी के श्राप से उनकी दृष्टि अशुभ मानी जाती है.
  14. उनकी दो पत्नियां हैं, नीला और मंदा.
  15. शनि के दो पुत्र हैं, गुलिक और कुलिंग.
  16. अश्विनी कुमार उनके सौतेले भाई हैं और मेष में शनि नीच के हो जाते हैं.
  17. वे क्रूर नहीं, बल्कि निष्पक्ष न्यायाधीश हैं.

साढ़ेसाती क्या है और इससे बचने के उपाय
साढ़ेसाती वह काल है जब शनि जन्म राशि के पहले, उस पर और उसके बाद की राशि में गोचर करते हैं. यह कुल मिलाकर साढ़े सात वर्ष का काल होता है.

शनि के उपाय

  • हर शनिवार को काले तिल, उड़द और सरसों का तेल दान करें.
  • शनि मंदिर में दीपदान करें.
  • शनि स्तोत्र और दशरथ कृत स्तुति का नित्य पाठ करें.
  • पीड़ितों, निर्धनों और अपंगों की सेवा करें.

शनि जयंती 2025 की सटीक तिथि
27 मई 2025, मंगलवार को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाएगी. इस दिन शनि पूजा करने से जीवन में आने वाली रुकावटें, बाधाएं और दुर्भाग्य दूर होते हैं.

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
Q1. शनि जयंती कब मनाई जाती है?
उत्तर: शनि जयंती हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को आती है. 2025 में यह 27 मई को है.

Q2. क्या शनि क्रूर ग्रह हैं?
उत्तर: नहीं, शनि निष्पक्ष और कर्मफलदाता ग्रह हैं. जैसे कर्म, वैसा फल.

Q3. साढ़ेसाती से बचने के लिए क्या करें?
उत्तर: हनुमान जी की पूजा करें, तेल दीपक जलाएं और शनिवार को दान करें.

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