RBI से लेकर चीन तक: क्यों Central Banks Dollar छोड़कर सोना खरीद रहे हैं?| Paisa Live
साल 2025 में वैश्विक आर्थिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। Donald Trump की Tariff नीतियों से जहां भारत समेत 70 से ज़्यादा देशों को नुकसान हुआ है, वहीं इसका सबसे बड़ा झटका अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत — US Treasuries — को लगा है। अब दुनियाभर के Central Banks डॉलर की बजाय सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं। 1996 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब Global Foreign Reserve में Gold का हिस्सा US Treasuries से अधिक हो गया है।यूरोपीय सेंट्रल बैंक की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार अब Central Banks के पास 36,000 टन से अधिक सोना है। 2022 से 2024 के बीच हर साल हज़ार टन से अधिक Gold खरीदा गया है, जबकि पहले ये आंकड़ा 100 टन से भी कम होता था। भारत का RBI भी अब अपने Foreign Reserve का 12% Gold में रख रहा है।Ukraine War, US Sanctions का डर, अमेरिका का बढ़ता कर्ज और चीन की शेयर बाजार में गिरावट — ये सभी कारण मिलकर Central Banks को Gold की ओर मोड़ रहे हैं। वहीं, अगर Trump दोबारा सत्ता में आते हैं और Fed की स्वतंत्रता खतरे में पड़ती है, तो Global Investors के लिए बड़ा जोखिम बन सकता है।

साल 2025 में वैश्विक आर्थिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। Donald Trump की Tariff नीतियों से जहां भारत समेत 70 से ज़्यादा देशों को नुकसान हुआ है, वहीं इसका सबसे बड़ा झटका अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत — US Treasuries — को लगा है। अब दुनियाभर के Central Banks डॉलर की बजाय सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं। 1996 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब Global Foreign Reserve में Gold का हिस्सा US Treasuries से अधिक हो गया है।यूरोपीय सेंट्रल बैंक की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार अब Central Banks के पास 36,000 टन से अधिक सोना है। 2022 से 2024 के बीच हर साल हज़ार टन से अधिक Gold खरीदा गया है, जबकि पहले ये आंकड़ा 100 टन से भी कम होता था। भारत का RBI भी अब अपने Foreign Reserve का 12% Gold में रख रहा है।Ukraine War, US Sanctions का डर, अमेरिका का बढ़ता कर्ज और चीन की शेयर बाजार में गिरावट — ये सभी कारण मिलकर Central Banks को Gold की ओर मोड़ रहे हैं। वहीं, अगर Trump दोबारा सत्ता में आते हैं और Fed की स्वतंत्रता खतरे में पड़ती है, तो Global Investors के लिए बड़ा जोखिम बन सकता है।
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