Madhubani Chaurchan Festival: क्या है चौरचन पूजा ? क्यों होता है इस दिन कलंकित चांद का पूजन, जानें महत्व

Chaurchan Festival 2025: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के अलावा चौरचन पूजा का भी विशेष महत्व है. इस साल चौरचन पूजा 27 अगस्त 2025 को है. ये एक सांस्कृतिक पर्व है जो मिथिलांचल में धूमधाम से मनाया जाता है. इसे चौठचंद, चारचन्ना पबनी के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा देखना वर्जित है लेकिन मिथिला में इस दिन कलंकित चांद की पूजा होती है, आखिर क्या है वजह, चौरचन पूजा क्यों की जाती है इसका महत्व और लाभ जान लें. चौरचन पूजा 2025 चंद्रोदय समय चौरचन पूजा के दिन चंद्रोदय सुबह 08:34 बजे और चंद्र अस्त रात 08:28 बजे होगा. चूंकि चौरचन पूजा सूर्यास्त के बाद होती है. ऐसे में चंद्रमा की पूजा के लिए शाम 6:25 बजे से 7:55 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा. चौरचन पूजा का महत्व जिस तरह छठ पूजा में सूर्यदेव की आराधना की जाती है उसी तरह चौरचन पूजा में चंद्र देवता की पूजा का महत्व है. शास्त्रों के अनुसार जीवन में स्थिरता, धन, सुख, मन की शांत के साथ कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत करने के लिए चौरचन पूजा बेहद प्रभावशाली मानी जाती है. इससे मानसिक अशांति, अवसाद और चंचलता कम होती है. चंद्र दर्शन है वर्जित फिर क्यों होती है चंद्रमा की पूजा ? गणेश चतुर्थी का चांद देखने से मिथ्या कलंक लग सकता है. से धार्मिक ग्रंथों में भी दर्ज किया गया है. लेकिन मिथिला में इसके उलट इस दिन विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हैं और चंद्रमा की पूजा करके दोषों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. चौरचन पूजा विधि चौरचन पूजा से एक दिन पहले व्रतधारी स्थियां बिना नमक का भोजन ग्रहण करती है. फिर एक मिट्‌टी के बर्तन में स्वच्छता के साथ दही जमाया जाता है. पूजा से पहले ठेकुआ आदि भोग बनाया जाता है. पूजा वाले दिन व्रत का संकल्प लिया जाता है. चौरचन पूजा की शाम गंगा स्नान कर स्त्रियां घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपती हैं इसके बाद कच्चे चावल पीसकर घर के आंगन में रंगोली बनाई जाती है. फिर केले के पत्तों की मदद से गोलाकार चंद्रमा बनाते हैं, इस पर तरह तरह के मीठे व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है. चंद्रमा की पूजा होती है. रात में चंद्रमा को विधिवत अर्घ्य दिया जाता है. बांस की टोकरी में फल, मिठाई खीर आदि चंद्र देव को अर्पित की जाती है. Ganesh Chaturthi 2025 Bhog: गणेश चतुर्थी पर बप्पा को 10 दिन लगाएं इन चीजों का भोग Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

Aug 26, 2025 - 06:30
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Madhubani Chaurchan Festival: क्या है चौरचन पूजा ? क्यों होता है इस दिन कलंकित चांद का पूजन, जानें महत्व

Chaurchan Festival 2025: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के अलावा चौरचन पूजा का भी विशेष महत्व है. इस साल चौरचन पूजा 27 अगस्त 2025 को है. ये एक सांस्कृतिक पर्व है जो मिथिलांचल में धूमधाम से मनाया जाता है. इसे चौठचंद, चारचन्ना पबनी के नाम से भी जाना जाता है.

वैसे तो शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा देखना वर्जित है लेकिन मिथिला में इस दिन कलंकित चांद की पूजा होती है, आखिर क्या है वजह, चौरचन पूजा क्यों की जाती है इसका महत्व और लाभ जान लें.

चौरचन पूजा 2025 चंद्रोदय समय

चौरचन पूजा के दिन चंद्रोदय सुबह 08:34 बजे और चंद्र अस्त रात 08:28 बजे होगा. चूंकि चौरचन पूजा सूर्यास्त के बाद होती है. ऐसे में चंद्रमा की पूजा के लिए शाम 6:25 बजे से 7:55 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा.

चौरचन पूजा का महत्व

जिस तरह छठ पूजा में सूर्यदेव की आराधना की जाती है उसी तरह चौरचन पूजा में चंद्र देवता की पूजा का महत्व है. शास्त्रों के अनुसार जीवन में स्थिरता, धन, सुख, मन की शांत के साथ कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत करने के लिए चौरचन पूजा बेहद प्रभावशाली मानी जाती है. इससे मानसिक अशांति, अवसाद और चंचलता कम होती है.

चंद्र दर्शन है वर्जित फिर क्यों होती है चंद्रमा की पूजा ?

गणेश चतुर्थी का चांद देखने से मिथ्या कलंक लग सकता है. से धार्मिक ग्रंथों में भी दर्ज किया गया है. लेकिन मिथिला में इसके उलट इस दिन विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हैं और चंद्रमा की पूजा करके दोषों से मुक्ति प्राप्त करते हैं.

चौरचन पूजा विधि

  • चौरचन पूजा से एक दिन पहले व्रतधारी स्थियां बिना नमक का भोजन ग्रहण करती है. फिर एक मिट्‌टी के बर्तन में स्वच्छता के साथ दही जमाया जाता है.
  • पूजा से पहले ठेकुआ आदि भोग बनाया जाता है. पूजा वाले दिन व्रत का संकल्प लिया जाता है.
  • चौरचन पूजा की शाम गंगा स्नान कर स्त्रियां घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपती हैं
  • इसके बाद कच्चे चावल पीसकर घर के आंगन में रंगोली बनाई जाती है.
  • फिर केले के पत्तों की मदद से गोलाकार चंद्रमा बनाते हैं, इस पर तरह तरह के मीठे व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है. चंद्रमा की पूजा होती है.
  • रात में चंद्रमा को विधिवत अर्घ्य दिया जाता है. बांस की टोकरी में फल, मिठाई खीर आदि चंद्र देव को अर्पित की जाती है.

Ganesh Chaturthi 2025 Bhog: गणेश चतुर्थी पर बप्पा को 10 दिन लगाएं इन चीजों का भोग

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

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