Jagdeep Dhankhar Resigns: 'जो दिख रहा उससे ज्यादा कुछ छिपा है', जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर बोले जयराम रमेश

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश में राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस इस्तीफे के पीछे जो दिखाई दे रहा है उससे कहीं ज्यादा कुछ छिपा है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अकल्पनीय भी है. जो दिख रहा उससे ज्यादा कुछ छिपा है- जयराम रमेश कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "आज शाम करीब 5 बजे तक मैं उनके साथ था. वहां कई अन्य सांसद भी साथ थे और शाम 7:30 बजे मेरी उनसे फोन पर बातचीत भी हुई थी. निःसंदेह उन्हें अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उनके इस बिल्कुल अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिखाई दे रहा है, उससे कहीं अधिक है. हालांकि, यह समय अटकलें लगाने का नहीं है." जगदीप धनखड़ के काम को याद करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, "उन्होंने सरकार और विपक्ष,दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया. उन्होंने कल दोपहर 1 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई थी और न्यायपालिका से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घोषणा करने वाले थे." उपराष्ट्रपति को मना लें पीएम मोदी- जयराम रमेश उन्होंने कहा, "हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपेक्षा करते हैं कि वे माननीय जगदीप धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए राजी करें. यह देशहित में होगा. विशेष रूप से कृषक समुदाय के लिए यह एक बड़ी राहत होगी." जगदीप धनखड़ का विपक्ष के साथ हुआ था टकराव उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र के बीच सोमवार (21 जुलाई 2025) शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था. राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल में जगदीप धनखड़ का विपक्ष के साथ कई बार टकराव हुआ, जिसने उन पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव भी पेश किया था. उन्हें हटाने का प्रस्ताव, बाद में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया था. यह प्रस्ताव स्वतंत्र भारत में किसी वर्तमान उपराष्ट्रपति को हटाने का पहला मामला था. वीवी गिरि और आर वेंकटरमन के बाद, कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देने वाले वह भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति हैं. ये भी पढ़ें : 'फर्जी वोटरों को बाहर करना हमारा संवैधानिक दायित्व', बिहार SIR पर चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में जवाब

Jul 22, 2025 - 01:30
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Jagdeep Dhankhar Resigns: 'जो दिख रहा उससे ज्यादा कुछ छिपा है', जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर बोले जयराम रमेश

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश में राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस इस्तीफे के पीछे जो दिखाई दे रहा है उससे कहीं ज्यादा कुछ छिपा है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अकल्पनीय भी है.

जो दिख रहा उससे ज्यादा कुछ छिपा है- जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "आज शाम करीब 5 बजे तक मैं उनके साथ था. वहां कई अन्य सांसद भी साथ थे और शाम 7:30 बजे मेरी उनसे फोन पर बातचीत भी हुई थी. निःसंदेह उन्हें अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उनके इस बिल्कुल अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिखाई दे रहा है, उससे कहीं अधिक है. हालांकि, यह समय अटकलें लगाने का नहीं है."

जगदीप धनखड़ के काम को याद करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, "उन्होंने सरकार और विपक्ष,दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया. उन्होंने कल दोपहर 1 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई थी और न्यायपालिका से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घोषणा करने वाले थे."

उपराष्ट्रपति को मना लें पीएम मोदी- जयराम रमेश

उन्होंने कहा, "हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपेक्षा करते हैं कि वे माननीय जगदीप धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए राजी करें. यह देशहित में होगा. विशेष रूप से कृषक समुदाय के लिए यह एक बड़ी राहत होगी."

जगदीप धनखड़ का विपक्ष के साथ हुआ था टकराव

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र के बीच सोमवार (21 जुलाई 2025) शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था. राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल में जगदीप धनखड़ का विपक्ष के साथ कई बार टकराव हुआ, जिसने उन पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव भी पेश किया था. उन्हें हटाने का प्रस्ताव, बाद में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया था.

यह प्रस्ताव स्वतंत्र भारत में किसी वर्तमान उपराष्ट्रपति को हटाने का पहला मामला था. वीवी गिरि और आर वेंकटरमन के बाद, कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देने वाले वह भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति हैं.

ये भी पढ़ें : 'फर्जी वोटरों को बाहर करना हमारा संवैधानिक दायित्व', बिहार SIR पर चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में जवाब

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