ICU में पहुंचे रुपये ने बढ़ाई भारत की चिंता, एक्टिव हुई सरकार, निर्मला सीतारमण ने बताया पूरा प्लान
Indian Currency: पिछले कुछ महीनों से जहां एक तरफ शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ रुपये में बड़ी गिरावट देखी गई और यह ऐतिहासिक 88 के स्तर को पार कर गया. हालांकि, आरबीआई के कदम और जीएसटी रिफॉर्म ने जरूर रुपये के कारोबार को सीमित कर उसे उठने में मदद की. उसके बावजूद डॉलर की मजबूती के आगे भारतीय करेंसी कमजोर बनी हुई है. क्यों गिर रहा रुपया? इन सबके बीच, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपये के मूल्य में गिरावट को देखते हुए बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि रुपये की गिरावट पर सरकार की पैनी नजर बनी हुई है और निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. वित्त मंत्री ने आगे कहा कि रुपये में गिरावट के प्रभाव को कम करने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं. दरअसल, सबसे बड़ी चिंता का कारण ये है कि इस साल रुपये में अब तक चार प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट आ चुकी है, यानी अपने स्तर से करीब 3.50 रुपये तक नीचे आ चुका है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि डॉलर की मजबूती के चलते सिर्फ भारतीय करेंसी में ही यह गिरावट नहीं देखी जा रही है, बल्कि बाकी देशों की करेंसी भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इसके साथ ही, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने ये भी साफ किया है कि अमेरिकी टैरिफ के चलते भारतीय कारोबारियों और निर्यातकों पर उसके असर को कम करने के लिए संबंधित मंत्रालय और विभागों की तरफ से काम किया जा रहा है. इस साल चार प्रतिशत तक टूट पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को रुपया इंटरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में तीन पैसे की तेजी के साथ रिकवरी करते हुए 88.09 के स्तर पर आकर बंद हुआ. उससे पहले 2 सितंबर को रुपया ऐतिहासिक स्तर पर नीचे जाते हुए 88.15 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया था. जाहिर है, रुपये में इस गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक की तरफ से कई कदम उठाए गए हैं और पैनी नजर बनी हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि जीएसटी रिफॉर्म के बाद इकोनॉमी को बूस्ट करने और रुपये को समर्थन देने के लिए केन्द्रीय बैंक की तरफ से कुछ और बड़े कदम भविष्य में उठाए जा सकते हैं, जिसमें रेट कट भी शामिल है. ये भी पढ़ें: वैश्विक रुख और मुद्रास्फीति के आंकड़े... इस हफ्ते ये फैक्टर तय करेंगे शेयर बाजार की चाल

Indian Currency: पिछले कुछ महीनों से जहां एक तरफ शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ रुपये में बड़ी गिरावट देखी गई और यह ऐतिहासिक 88 के स्तर को पार कर गया. हालांकि, आरबीआई के कदम और जीएसटी रिफॉर्म ने जरूर रुपये के कारोबार को सीमित कर उसे उठने में मदद की. उसके बावजूद डॉलर की मजबूती के आगे भारतीय करेंसी कमजोर बनी हुई है.
क्यों गिर रहा रुपया?
इन सबके बीच, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपये के मूल्य में गिरावट को देखते हुए बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि रुपये की गिरावट पर सरकार की पैनी नजर बनी हुई है और निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. वित्त मंत्री ने आगे कहा कि रुपये में गिरावट के प्रभाव को कम करने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं. दरअसल, सबसे बड़ी चिंता का कारण ये है कि इस साल रुपये में अब तक चार प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट आ चुकी है, यानी अपने स्तर से करीब 3.50 रुपये तक नीचे आ चुका है.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि डॉलर की मजबूती के चलते सिर्फ भारतीय करेंसी में ही यह गिरावट नहीं देखी जा रही है, बल्कि बाकी देशों की करेंसी भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इसके साथ ही, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने ये भी साफ किया है कि अमेरिकी टैरिफ के चलते भारतीय कारोबारियों और निर्यातकों पर उसके असर को कम करने के लिए संबंधित मंत्रालय और विभागों की तरफ से काम किया जा रहा है.
इस साल चार प्रतिशत तक टूट
पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को रुपया इंटरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में तीन पैसे की तेजी के साथ रिकवरी करते हुए 88.09 के स्तर पर आकर बंद हुआ. उससे पहले 2 सितंबर को रुपया ऐतिहासिक स्तर पर नीचे जाते हुए 88.15 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया था.
जाहिर है, रुपये में इस गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक की तरफ से कई कदम उठाए गए हैं और पैनी नजर बनी हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि जीएसटी रिफॉर्म के बाद इकोनॉमी को बूस्ट करने और रुपये को समर्थन देने के लिए केन्द्रीय बैंक की तरफ से कुछ और बड़े कदम भविष्य में उठाए जा सकते हैं, जिसमें रेट कट भी शामिल है.
ये भी पढ़ें: वैश्विक रुख और मुद्रास्फीति के आंकड़े... इस हफ्ते ये फैक्टर तय करेंगे शेयर बाजार की चाल
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