HOPE Analog Mission: समंदर से हजारों फीट ऊपर ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों पर ISRO ने बनाया पहला होप स्टेशन, बदल देगा पूरा अंतरिक्ष मिशन, जानें कैसे

अंतरिक्ष की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए इसरो ने लद्दाख के त्सो कार क्षेत्र के सुदूर और ऊबड़-खाबड़ भू-भाग में अपना पहला होप स्टेशन (ग्रहों की खोज के लिए हिमालयी चौकी) स्थापित किया है. यह सिर्फ़ एक और शोध केंद्र नहीं है. यह चंद्रमा और मंगल पर जीवन का अनुकरण करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक पूरी तरह कार्यात्मक एनालॉग आवास है. एक ऐसा स्थान, जहां भविष्य के अंतरिक्ष यात्री दुनिया में जीवित रहने का प्रशिक्षण लेंगे. समुद्र तल से 15,000 फीट से भी ज़्यादा ऊंचाई पर स्थित त्सो कार की कठोर परिस्थितियां अन्य ग्रहों के चरम वातावरण जैसी हैं. शून्य से नीचे का तापमान, कम ऑक्सीजन और बंजर ज़मीन. वैज्ञानिक और इंजीनियर होप स्टेशन का उपयोग यह अध्ययन करने के लिए करेंगे कि मानव जीवन और तकनीक ऐसी चुनौतियों के अनुकूल कैसे ढल सकती है. क्या है होप स्टेशन ?होप चालक दल के रहने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया 8 मीटर व्यास का आवास मॉड्यूल और संचालन एवं सहायता प्रणालियों के लिए 5 मीटर व्यास का एक उपयोगिता मॉड्यूल है, जो निर्बाध कार्यप्रवाह के लिए आपस में जुड़े हुए हैं. त्सो कार घाटी को इस एनालॉग मिशन के लिए विशेष रूप से इसलिए चुना गया था क्योंकि यहां उच्च यूवी फ्लक्स, निम्न वायुदाब, अत्यधिक शीत और खारे पर्माफ्रॉस्ट के कारण प्रारंभिक मंगल ग्रह के साथ इसकी अद्भुत पर्यावरणीय समानताएं हैं. इसरो का मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) इसरो के आगामी मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए इस प्रयास का नेतृत्व कर रहा है. एचएसएफसी टीम ने नवंबर, 2024 में लद्दाख मानव एनालॉग मिशन (एलएचएएम) का नेतृत्व किया और जुलाई, 2025 में इसरो के गगनयात्री से जुड़े हाल ही में संपन्न दस दिवसीय आइसोलेशन अध्ययन 'अनुगामी' में भी भाग लिया. इसी प्रयास को जारी रखते हुए, 31 जुलाई, 2025 को अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने लद्दाख की त्सो कार घाटी में हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (होप) एनालॉग मिशन सेटअप का उद्घाटन किया. अंतरिक्ष सूट और जीवन रक्षक प्रणालियों के परीक्षण से लेकर एकांत में मानव व्यवहार को समझने तक, यह सुविधा भारत को चंद्रमा और उससे आगे लंबी अवधि के मिशनों के अपने सपने के करीब लाती है. HOPE एनालॉग मिशन का आयोजन10 अगस्त, 2025 तक HOPE एनालॉग मिशन का आयोजन किया जाएगा. जिसमें IIST और RGCB, त्रिवेंद्रम; IIT हैदराबाद; IIT, बॉम्बे; और इंस्टीट्यूट फॉर एयरोस्पेस मेडिसिन, बैंगलोर जैसे सहयोगी राष्ट्रीय संस्थानों के चयनित प्रयोगों को शामिल किया जाएगा. इन संस्थानों के अन्वेषक दो एनालॉग मिशन क्रू सदस्यों की एपिजेनेटिक, जीनोमिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं की जांच करेंगे और स्वास्थ्य-निगरानी प्रोटोकॉल, ग्रहीय सतह संचालन को मान्य करेंगे और नमूना संग्रह और सूक्ष्मजीव विश्लेषण तकनीकों को परिष्कृत करेंगे. HSFC द्वारा आयोजित इन एनालॉग मिशनों के माध्यम से उत्पन्न मूल्यवान डेटा, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, चालक दल के वर्कफ़्लो और पर्यावरण अनुकूलन में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करके, भविष्य के भारतीय मानव अन्वेषण मिशनों के लिए प्रोटोकॉल और बुनियादी ढांचे के डिज़ाइन का आधार बनेगा. लद्दाख में क्यों बनाया गया ये स्टेशन ?HOPE अंतरग्रहीय आवास की तैयारी के लिए बढ़ते वैश्विक प्रयास का हिस्सा है, लेकिन जो चीज़ इसे विशिष्ट रूप से भारतीय बनाती है, वह है इसका स्थान और दृष्टि. लद्दाख के ऊंचे रेगिस्तान की अवास्तविक पृष्ठभूमि में स्थापित यह फिल्म अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी बनने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. इसरो का लक्ष्य ऐसी प्रणालियां विकसित करना है, जो पृथ्वी से कहीं आगे तक अस्तित्व, स्थायित्व और वैज्ञानिक प्रगति सुनिश्चित करें. यह सिर्फ़ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है. यह एक भावनात्मक उपलब्धि है. यह एक ऐसे भविष्य की आशा का संकेत है, जहां भारतीय सिर्फ़ चांद और मंगल ग्रह को ही नहीं देखेंगे, वे वहां रहेंगे, अन्वेषण करेंगे और फलेंगे-फूलेंगे. ये भी पढ़ें उत्तराखंड के धराली में भीषण तबाही की सामने आईं सेटेलाइट तस्वीरें, बादल फटने की वजह का भी खुलासा

Aug 6, 2025 - 15:30
 0
HOPE Analog Mission: समंदर से हजारों फीट ऊपर ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों पर ISRO ने बनाया पहला होप स्टेशन, बदल देगा पूरा अंतरिक्ष मिशन, जानें कैसे

अंतरिक्ष की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए इसरो ने लद्दाख के त्सो कार क्षेत्र के सुदूर और ऊबड़-खाबड़ भू-भाग में अपना पहला होप स्टेशन (ग्रहों की खोज के लिए हिमालयी चौकी) स्थापित किया है. यह सिर्फ़ एक और शोध केंद्र नहीं है. यह चंद्रमा और मंगल पर जीवन का अनुकरण करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक पूरी तरह कार्यात्मक एनालॉग आवास है. एक ऐसा स्थान, जहां भविष्य के अंतरिक्ष यात्री दुनिया में जीवित रहने का प्रशिक्षण लेंगे.

समुद्र तल से 15,000 फीट से भी ज़्यादा ऊंचाई पर स्थित त्सो कार की कठोर परिस्थितियां अन्य ग्रहों के चरम वातावरण जैसी हैं. शून्य से नीचे का तापमान, कम ऑक्सीजन और बंजर ज़मीन. वैज्ञानिक और इंजीनियर होप स्टेशन का उपयोग यह अध्ययन करने के लिए करेंगे कि मानव जीवन और तकनीक ऐसी चुनौतियों के अनुकूल कैसे ढल सकती है.

क्या है होप स्टेशन ?
होप चालक दल के रहने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया 8 मीटर व्यास का आवास मॉड्यूल और संचालन एवं सहायता प्रणालियों के लिए 5 मीटर व्यास का एक उपयोगिता मॉड्यूल है, जो निर्बाध कार्यप्रवाह के लिए आपस में जुड़े हुए हैं. त्सो कार घाटी को इस एनालॉग मिशन के लिए विशेष रूप से इसलिए चुना गया था क्योंकि यहां उच्च यूवी फ्लक्स, निम्न वायुदाब, अत्यधिक शीत और खारे पर्माफ्रॉस्ट के कारण प्रारंभिक मंगल ग्रह के साथ इसकी अद्भुत पर्यावरणीय समानताएं हैं.

इसरो का मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) इसरो के आगामी मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए इस प्रयास का नेतृत्व कर रहा है. एचएसएफसी टीम ने नवंबर, 2024 में लद्दाख मानव एनालॉग मिशन (एलएचएएम) का नेतृत्व किया और जुलाई, 2025 में इसरो के गगनयात्री से जुड़े हाल ही में संपन्न दस दिवसीय आइसोलेशन अध्ययन 'अनुगामी' में भी भाग लिया.

इसी प्रयास को जारी रखते हुए, 31 जुलाई, 2025 को अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने लद्दाख की त्सो कार घाटी में हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (होप) एनालॉग मिशन सेटअप का उद्घाटन किया. अंतरिक्ष सूट और जीवन रक्षक प्रणालियों के परीक्षण से लेकर एकांत में मानव व्यवहार को समझने तक, यह सुविधा भारत को चंद्रमा और उससे आगे लंबी अवधि के मिशनों के अपने सपने के करीब लाती है.

HOPE एनालॉग मिशन का आयोजन
10 अगस्त, 2025 तक HOPE एनालॉग मिशन का आयोजन किया जाएगा. जिसमें IIST और RGCB, त्रिवेंद्रम; IIT हैदराबाद; IIT, बॉम्बे; और इंस्टीट्यूट फॉर एयरोस्पेस मेडिसिन, बैंगलोर जैसे सहयोगी राष्ट्रीय संस्थानों के चयनित प्रयोगों को शामिल किया जाएगा. इन संस्थानों के अन्वेषक दो एनालॉग मिशन क्रू सदस्यों की एपिजेनेटिक, जीनोमिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं की जांच करेंगे और स्वास्थ्य-निगरानी प्रोटोकॉल, ग्रहीय सतह संचालन को मान्य करेंगे और नमूना संग्रह और सूक्ष्मजीव विश्लेषण तकनीकों को परिष्कृत करेंगे.

HSFC द्वारा आयोजित इन एनालॉग मिशनों के माध्यम से उत्पन्न मूल्यवान डेटा, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, चालक दल के वर्कफ़्लो और पर्यावरण अनुकूलन में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करके, भविष्य के भारतीय मानव अन्वेषण मिशनों के लिए प्रोटोकॉल और बुनियादी ढांचे के डिज़ाइन का आधार बनेगा.

लद्दाख में क्यों बनाया गया ये स्टेशन ?
HOPE अंतरग्रहीय आवास की तैयारी के लिए बढ़ते वैश्विक प्रयास का हिस्सा है, लेकिन जो चीज़ इसे विशिष्ट रूप से भारतीय बनाती है, वह है इसका स्थान और दृष्टि. लद्दाख के ऊंचे रेगिस्तान की अवास्तविक पृष्ठभूमि में स्थापित यह फिल्म अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी बनने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

इसरो का लक्ष्य ऐसी प्रणालियां विकसित करना है, जो पृथ्वी से कहीं आगे तक अस्तित्व, स्थायित्व और वैज्ञानिक प्रगति सुनिश्चित करें. यह सिर्फ़ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है. यह एक भावनात्मक उपलब्धि है. यह एक ऐसे भविष्य की आशा का संकेत है, जहां भारतीय सिर्फ़ चांद और मंगल ग्रह को ही नहीं देखेंगे, वे वहां रहेंगे, अन्वेषण करेंगे और फलेंगे-फूलेंगे.

ये भी पढ़ें

उत्तराखंड के धराली में भीषण तबाही की सामने आईं सेटेलाइट तस्वीरें, बादल फटने की वजह का भी खुलासा

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow