Budh Gochar: सूर्य-बुध गोचर का भारत की अर्थव्यवस्था पर संकट, 2025 तक राहत नहीं! जानें ज्योतिषीय विश्लेषण
Surya Budh Gochar: इस समय सिंह राशि में सूर्य और बुध का गोचर हो रहा है. बुध अस्त होकर अतिचारी गति से चल रहा है तथा सूर्य पर केतु की पीड़ा पड़ रही है. इससे देश की आर्थिक नीतियों और राजनयिक स्थितियों पर दबाव बन रहा है. लग्न में राहु की उपस्थिति पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और नीति भ्रम का कारक बनी हुई है. चंद्रमा बार-बार शनि और राहु की दृष्टि में आने के कारण जनता में असंतोष, मानसिक असुरक्षा और आर्थिक दबाव स्पष्ट दिखाई देता है. यह समय नीतिगत अस्थिरता और वित्तीय संकट का संकेत कर रहा है. सूर्य-बुध का सिंह राशि में गोचरसिंह राशि में गोचर करते हुए सूर्य पर केतु की पीड़ा पड़ रही है. इससे सत्ता पक्ष को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर भी दबाव दिखाई देता है. बुध का अस्त होना और अतिचारी गति से चलना आर्थिक नीतियों, संचार और व्यापार के क्षेत्र में स्थिरता को समाप्त कर देता है. बृहत पाराशर होरा शास्त्र का स्पष्ट निर्देश है कि जब कोई ग्रह अतिचारी गति से चलता है तो स्थायी फल नहीं देता और उसके कार्यक्षेत्र में क्लेश अधिक होता है. इसी आधार पर यह समय व्यापारिक घाटे और वित्तीय असंतुलन का संकेत देता है. चंद्रमा की स्थितिभारत की स्वतंत्रता कुण्डली में चंद्रमा कर्क राशि के पुष्य नक्षत्र में स्थित है, जो इसकी चंद्र राशि भी बनती है. वर्तमान गोचर में चंद्रमा जब-जब राहु और शनि की दृष्टि से प्रभावित होता है, तब-तब जनता की स्थिति अस्थिर दिखाई देती है. नारद संहिता के अनुसार जब चंद्रमा कष्टकारक स्थितियों में आता है तो जनता को धन की हानि, असंतोष और सरकार के प्रति आक्रोश का अनुभव होता है. यही स्थिति इस समय भारत की आर्थिक और सामाजिक परिस्थिति में परिलक्षित हो रही है. गुरु की स्थितिमूल कुण्डली में गुरु षष्ठ भाव में तुला राशि में स्थित है. यह स्थिति ऋण, कर्ज और राजकोषीय संकट को जन्म देने वाली मानी जाती है. वर्तमान गोचर में भी गुरु से कोई विशेष राहत नहीं मिल रही. मेदिनी ज्योतिष स्पष्ट कहते हैं कि जब गुरु षष्ठ भाव में होता है, तब राष्ट्र को कर्ज लेना पड़ता है और अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ता है. यही कारण है कि भारत की अर्थनीति इस समय दबाव में है और सरकार को ऋण तथा विदेशी निवेश पर निर्भर रहना पड़ रहा है.भारत की अर्थव्यवस्था पर असरबुध का अस्त होना और सूर्य पर केतु की पीड़ा पड़ना आयात-निर्यात नीति पर प्रतिकूल असर डाल रहा है. निर्यात घटने और महँगाई बढ़ने की स्थिति बन रही है. विदेशी निवेशक भी स्थिर नीति न होने से संशय की स्थिति में हैं. रुपये पर दबाव बना रहेगा और व्यापार में घाटा स्पष्ट दिखाई देगा. बृहत संहिता में उल्लेख है कि जब बुध अस्त होकर पापग्रह से प्रभावित होता है तो व्यापार में हानि होती है और वस्तुओं के मूल्य अचानक बढ़ जाते हैं. यही स्थिति भारत की अर्थव्यवस्था में इस समय दिखाई देती है. आंतरिक स्थिति और सामाजिक प्रभावभारत की कुण्डली में चतुर्थ भाव में शनि और बुध का योग पहले से ही घरेलू असंतोष और गृहस्थ क्लेश का द्योतक है. वर्तमान गोचर में सूर्य और बुध का पीड़ित होना इस प्रवृत्ति को और बढ़ा देता है. इसका सीधा असर राजनीति पर दिखाई देता है, जहाँ विपक्ष और सरकार के बीच टकराव की स्थिति प्रबल होगी. जनता में असंतोष बढ़ेगा और सरकार की नीतियों को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी. सर्वाष्टकवर्ग के अनुसार सिंह राशि में औसत अंक होने से स्थिति संतुलित नहीं हो पा रही है और परिणाम मिश्रित से अधिक प्रतिकूल हो रहे हैं. अमेरिका के टैरिफ का प्रभावअमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से भारत को फिलहाल दबाव झेलना पड़ेगा. कृषि उत्पाद, टेक्सटाइल और स्टील जैसे क्षेत्रों पर इसका गहरा असर होगा. सरकार कुछ अस्थायी समझौते करके राहत लेने का प्रयास करेगी, परन्तु सम्पूर्ण राहत अभी संभव नहीं है. यह स्थिति सितम्बर 15, 2025 तक बनी रहेगी. उसके बाद जब बुध उदित होकर कन्या राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य भी केतु से मुक्त होगा, तब आर्थिक नीतियों में स्थिरता आएगी और अमेरिका के साथ संबंधों में भी नरमी दिखाई देगी. ज्योतिषीय निष्कर्ष (15 सितम्बर 2025 तक)सितम्बर 15, 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था दबाव में रहेगी और विदेशी व्यापार में घाटा देखने को मिलेगा. अमेरिकी टैरिफ से भारत को अस्थायी परेशानियाँ झेलनी पड़ेंगी. विपक्ष और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी रहेगी और जनता का असंतोष भी बढ़ेगा. रुपये पर दबाव रहेगा और महँगाई नियंत्रण से बाहर जा सकती है. किन्तु सितम्बर 2025 के बाद स्थिति धीरे-धीरे सुधरनी शुरू होगी, जब बुध उदित होकर कन्या राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य केतु की पीड़ा से मुक्त होगा. उस समय से सुधार की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी और भारत को राहत मिलने लगेगी. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Surya Budh Gochar: इस समय सिंह राशि में सूर्य और बुध का गोचर हो रहा है. बुध अस्त होकर अतिचारी गति से चल रहा है तथा सूर्य पर केतु की पीड़ा पड़ रही है. इससे देश की आर्थिक नीतियों और राजनयिक स्थितियों पर दबाव बन रहा है.
लग्न में राहु की उपस्थिति पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और नीति भ्रम का कारक बनी हुई है. चंद्रमा बार-बार शनि और राहु की दृष्टि में आने के कारण जनता में असंतोष, मानसिक असुरक्षा और आर्थिक दबाव स्पष्ट दिखाई देता है. यह समय नीतिगत अस्थिरता और वित्तीय संकट का संकेत कर रहा है.
सूर्य-बुध का सिंह राशि में गोचर
सिंह राशि में गोचर करते हुए सूर्य पर केतु की पीड़ा पड़ रही है. इससे सत्ता पक्ष को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर भी दबाव दिखाई देता है. बुध का अस्त होना और अतिचारी गति से चलना आर्थिक नीतियों, संचार और व्यापार के क्षेत्र में स्थिरता को समाप्त कर देता है.
बृहत पाराशर होरा शास्त्र का स्पष्ट निर्देश है कि जब कोई ग्रह अतिचारी गति से चलता है तो स्थायी फल नहीं देता और उसके कार्यक्षेत्र में क्लेश अधिक होता है. इसी आधार पर यह समय व्यापारिक घाटे और वित्तीय असंतुलन का संकेत देता है.
चंद्रमा की स्थिति
भारत की स्वतंत्रता कुण्डली में चंद्रमा कर्क राशि के पुष्य नक्षत्र में स्थित है, जो इसकी चंद्र राशि भी बनती है. वर्तमान गोचर में चंद्रमा जब-जब राहु और शनि की दृष्टि से प्रभावित होता है, तब-तब जनता की स्थिति अस्थिर दिखाई देती है.
नारद संहिता के अनुसार जब चंद्रमा कष्टकारक स्थितियों में आता है तो जनता को धन की हानि, असंतोष और सरकार के प्रति आक्रोश का अनुभव होता है. यही स्थिति इस समय भारत की आर्थिक और सामाजिक परिस्थिति में परिलक्षित हो रही है.
गुरु की स्थिति
मूल कुण्डली में गुरु षष्ठ भाव में तुला राशि में स्थित है. यह स्थिति ऋण, कर्ज और राजकोषीय संकट को जन्म देने वाली मानी जाती है. वर्तमान गोचर में भी गुरु से कोई विशेष राहत नहीं मिल रही. मेदिनी ज्योतिष स्पष्ट कहते हैं कि जब गुरु षष्ठ भाव में होता है, तब राष्ट्र को कर्ज लेना पड़ता है और अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ता है.
यही कारण है कि भारत की अर्थनीति इस समय दबाव में है और सरकार को ऋण तथा विदेशी निवेश पर निर्भर रहना पड़ रहा है.
भारत की अर्थव्यवस्था पर असर
बुध का अस्त होना और सूर्य पर केतु की पीड़ा पड़ना आयात-निर्यात नीति पर प्रतिकूल असर डाल रहा है. निर्यात घटने और महँगाई बढ़ने की स्थिति बन रही है. विदेशी निवेशक भी स्थिर नीति न होने से संशय की स्थिति में हैं. रुपये पर दबाव बना रहेगा और व्यापार में घाटा स्पष्ट दिखाई देगा.
बृहत संहिता में उल्लेख है कि जब बुध अस्त होकर पापग्रह से प्रभावित होता है तो व्यापार में हानि होती है और वस्तुओं के मूल्य अचानक बढ़ जाते हैं. यही स्थिति भारत की अर्थव्यवस्था में इस समय दिखाई देती है.
आंतरिक स्थिति और सामाजिक प्रभाव
भारत की कुण्डली में चतुर्थ भाव में शनि और बुध का योग पहले से ही घरेलू असंतोष और गृहस्थ क्लेश का द्योतक है. वर्तमान गोचर में सूर्य और बुध का पीड़ित होना इस प्रवृत्ति को और बढ़ा देता है. इसका सीधा असर राजनीति पर दिखाई देता है, जहाँ विपक्ष और सरकार के बीच टकराव की स्थिति प्रबल होगी.
जनता में असंतोष बढ़ेगा और सरकार की नीतियों को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी. सर्वाष्टकवर्ग के अनुसार सिंह राशि में औसत अंक होने से स्थिति संतुलित नहीं हो पा रही है और परिणाम मिश्रित से अधिक प्रतिकूल हो रहे हैं.
अमेरिका के टैरिफ का प्रभाव
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से भारत को फिलहाल दबाव झेलना पड़ेगा. कृषि उत्पाद, टेक्सटाइल और स्टील जैसे क्षेत्रों पर इसका गहरा असर होगा. सरकार कुछ अस्थायी समझौते करके राहत लेने का प्रयास करेगी, परन्तु सम्पूर्ण राहत अभी संभव नहीं है.
यह स्थिति सितम्बर 15, 2025 तक बनी रहेगी. उसके बाद जब बुध उदित होकर कन्या राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य भी केतु से मुक्त होगा, तब आर्थिक नीतियों में स्थिरता आएगी और अमेरिका के साथ संबंधों में भी नरमी दिखाई देगी.
ज्योतिषीय निष्कर्ष (15 सितम्बर 2025 तक)
सितम्बर 15, 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था दबाव में रहेगी और विदेशी व्यापार में घाटा देखने को मिलेगा. अमेरिकी टैरिफ से भारत को अस्थायी परेशानियाँ झेलनी पड़ेंगी. विपक्ष और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी रहेगी और जनता का असंतोष भी बढ़ेगा.
रुपये पर दबाव रहेगा और महँगाई नियंत्रण से बाहर जा सकती है. किन्तु सितम्बर 2025 के बाद स्थिति धीरे-धीरे सुधरनी शुरू होगी, जब बुध उदित होकर कन्या राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य केतु की पीड़ा से मुक्त होगा. उस समय से सुधार की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी और भारत को राहत मिलने लगेगी.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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