'89 लाख शिकायतें दीं, फिर भी किया अनसुना', कांग्रेस ने की बिहार में फिर से SIR कराने की मांग
कांग्रेस ने रविवार (31 अगस्त, 2025) को दावा किया कि उसने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत निर्वाचन आयोग को 89 लाख शिकायतें दीं, लेकिन पार्टी से संबंधित बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) की शिकायतों को स्वीकार नहीं किया गया. पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि गलतियों को सुधारने के लिए फिर से 'डोर टू डोर' सत्यापन की जरूरत है. उनका कहना था कि कांग्रेस ने जो आंकड़े दिए हैं, उनकी जांच आयोग को करानी चाहिए. चुनाव आयोग खबरें कर रहा प्लांट खेड़ा ने यहां 'वोटर अधिकार यात्रा' के समापन से एक दिन पहले संवाददाताओं से कहा, 'चुनाव आयोग अपने सोर्स के माध्यम से खबरें प्लांट करवाता रहता है कि किसी राजनीतिक पार्टी से कोई शिकायत नहीं आ रही है.' उन्होंने दावा किया कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस पार्टी ने 89 लाख शिकायतें चुनाव आयोग को दी हैं, लेकिन पार्टी के बीएलए की शिकायतें नहीं ली गईं. उनका कहना था, 'जब हमारे बीएलए शिकायत लेकर जाते हैं तो उनसे शिकायतें नहीं ली जातीं. उनसे कहा जाता है कि हम प्रभावित लोगों से शिकायतें लेंगे.' खेड़ा ने सवाल किया कि ऐसे में राजनीतिक दलों और बीएलए की क्या भूमिका है? बिहार में 65 लाख वोट कटे खेड़ा ने कहा, 'कल एक सितंबर है, चुनाव आयोग में एसएआईआर के तहत शिकायतें दर्ज करवाने की आखिरी तारीख है. ऐसे में हमारे बीएलए ने बिहार के नागरिकों के आवेदन दर्ज करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.' कांग्रेस नेता ने कहा, 'बिहार में कुल 90,540 बूथों पर 65 लाख वोट काटे गए. चुनाव आयोग ने नाम काटने के चार कारण बताए हैं.' खेड़ा के अनुसार, पलायन के कारण 25 लाख नाम काटे, मृतकों के 22 लाख नाम काटे, पते पर अनुपस्थित रहने के कारण 9,70,000 नाम काटे गए, पूर्व में कहीं और पंजीकृत होने की वजह से 7 लाख नाम काटे गए. उन्होंने कहा कि 100 से ज्यादा नाम काटे जाने वाले बूथों की संख्या 20368 है और 200 से ज्यादा नाम काटे जाने वाले बूथों की संख्या 1988 है. मृत श्रेणी में डाले गए 75 प्रतिशत नाम खेड़ा ने बताया, '7,613 बूथ ऐसे हैं, जहां 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं के नाम काटे गए हैं. 635 बूथ ऐसे हैं, जहां प्रवासी श्रेणी में काटे गए नामों में 75 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं. 7,931 बूथों पर 75 प्रतिशत नामों को काटकर मृत श्रेणी में डाल दिया गया है.' उन्होंने कहा कि इन सभी आंकड़ों को फिर से जांचना बहुत जरूरी है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर एक पैटर्न के तहत लोगों के नाम काटे गए हैं. कांग्रेस नेता ने कहा, 'ऐसे लाखों मामले हैं, जिनमें एक ही वोटर को दो एपिक नंबर दे दिए गए हैं. हमारे पास उनकी रसीदें भी हैं, अब इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता.' गलतियों को सुधारने के लिए 'डोर टू डोर' सत्यापन खेड़ा ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि हमने जो आंकड़े दिए हैं, चुनाव आयोग उनका फिर से सत्यापन कराए, उनकी जांच कराए.' उनका कहना था कि इन गलतियों को सुधारने के लिए फिर से 'डोर टू डोर' सत्यापन की बहुत गंभीर जरूरत है. ये भी पढ़ें:- बिहार SIR के बाद हर मतदाता को मिलेगा नया वोटर आईडी, चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला

कांग्रेस ने रविवार (31 अगस्त, 2025) को दावा किया कि उसने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत निर्वाचन आयोग को 89 लाख शिकायतें दीं, लेकिन पार्टी से संबंधित बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) की शिकायतों को स्वीकार नहीं किया गया.
पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि गलतियों को सुधारने के लिए फिर से 'डोर टू डोर' सत्यापन की जरूरत है. उनका कहना था कि कांग्रेस ने जो आंकड़े दिए हैं, उनकी जांच आयोग को करानी चाहिए.
चुनाव आयोग खबरें कर रहा प्लांट
खेड़ा ने यहां 'वोटर अधिकार यात्रा' के समापन से एक दिन पहले संवाददाताओं से कहा, 'चुनाव आयोग अपने सोर्स के माध्यम से खबरें प्लांट करवाता रहता है कि किसी राजनीतिक पार्टी से कोई शिकायत नहीं आ रही है.' उन्होंने दावा किया कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस पार्टी ने 89 लाख शिकायतें चुनाव आयोग को दी हैं, लेकिन पार्टी के बीएलए की शिकायतें नहीं ली गईं.
उनका कहना था, 'जब हमारे बीएलए शिकायत लेकर जाते हैं तो उनसे शिकायतें नहीं ली जातीं. उनसे कहा जाता है कि हम प्रभावित लोगों से शिकायतें लेंगे.' खेड़ा ने सवाल किया कि ऐसे में राजनीतिक दलों और बीएलए की क्या भूमिका है?
बिहार में 65 लाख वोट कटे
खेड़ा ने कहा, 'कल एक सितंबर है, चुनाव आयोग में एसएआईआर के तहत शिकायतें दर्ज करवाने की आखिरी तारीख है. ऐसे में हमारे बीएलए ने बिहार के नागरिकों के आवेदन दर्ज करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.' कांग्रेस नेता ने कहा, 'बिहार में कुल 90,540 बूथों पर 65 लाख वोट काटे गए. चुनाव आयोग ने नाम काटने के चार कारण बताए हैं.'
खेड़ा के अनुसार, पलायन के कारण 25 लाख नाम काटे, मृतकों के 22 लाख नाम काटे, पते पर अनुपस्थित रहने के कारण 9,70,000 नाम काटे गए, पूर्व में कहीं और पंजीकृत होने की वजह से 7 लाख नाम काटे गए. उन्होंने कहा कि 100 से ज्यादा नाम काटे जाने वाले बूथों की संख्या 20368 है और 200 से ज्यादा नाम काटे जाने वाले बूथों की संख्या 1988 है.
मृत श्रेणी में डाले गए 75 प्रतिशत नाम
खेड़ा ने बताया, '7,613 बूथ ऐसे हैं, जहां 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं के नाम काटे गए हैं. 635 बूथ ऐसे हैं, जहां प्रवासी श्रेणी में काटे गए नामों में 75 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं. 7,931 बूथों पर 75 प्रतिशत नामों को काटकर मृत श्रेणी में डाल दिया गया है.'
उन्होंने कहा कि इन सभी आंकड़ों को फिर से जांचना बहुत जरूरी है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर एक पैटर्न के तहत लोगों के नाम काटे गए हैं. कांग्रेस नेता ने कहा, 'ऐसे लाखों मामले हैं, जिनमें एक ही वोटर को दो एपिक नंबर दे दिए गए हैं. हमारे पास उनकी रसीदें भी हैं, अब इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता.'
गलतियों को सुधारने के लिए 'डोर टू डोर' सत्यापन
खेड़ा ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि हमने जो आंकड़े दिए हैं, चुनाव आयोग उनका फिर से सत्यापन कराए, उनकी जांच कराए.' उनका कहना था कि इन गलतियों को सुधारने के लिए फिर से 'डोर टू डोर' सत्यापन की बहुत गंभीर जरूरत है.
ये भी पढ़ें:- बिहार SIR के बाद हर मतदाता को मिलेगा नया वोटर आईडी, चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला
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