100 साल तक नहीं जिंदा रह पाएंगे ये लोग, सामने आई स्टडी
पुराने दौर से आज के दौर में लगभग सब कुछ बदल गया है, करियर बनाने की होड़ ने लोगों के लाइफस्टाइल में काफी बदलाव किया है. हाल ही में प्रकाशित एक नई रिसर्च ने लाइफ एक्सपेक्टेंसी के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है. स्टडी के अनुसार, 1939 के बाद जन्म लेने वाले कोई भी जेनरेशन औसतन 100 साल तक नहीं पहुंच पाएगी. यह निष्कर्ष PNAS जर्नल में प्रकाशित स्टडी और 23 हाई-इनकम देशों के डेटा पर आधारित है. चलिए आपको इसके बारे में पूरी बात बताते हैं कि आखिर मामला क्या है. क्या निकला रिसर्च में? स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने ह्यूमन मोरलटी डेटाबेस के डेटा और छह अलग-अलग मॉरलटी भविष्यवाणी तरीकों का उपयोग किया. डॉ. Hector Pifarre i Arolas (University of Wisconsin-Madison) कहते हैं, "20वीं सदी के पहले आधे हिस्से में जो अपने पीक वाली लाइफ एक्सपेक्टेंसी में हमने देखा, वह अब दोबारा हासिल करना मुश्किल है. अगर कोई बड़ा मेडिकल या बायोलॉजिकल ब्रेकथ्रू नहीं होता, तो लाइफ एक्सपेक्टेंसी पहले जैसी तेजी से नहीं बढ़ पाएगी." हर महीने बढ़ रही थी जिंदगी 1900 से 1938 तक हर नई जेनरेशन की लाइफ एक्सपेक्टेंसी लगभग 5.5 महीने बढ़ी. उदाहरण के लिए, 1900 में हाई-इनकम देश में जन्म लेने वाले की औसत उम्र 62 साल थी, जबकि 1938 में जन्म लेने वाले की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 80 साल तक पहुंच गई. हालांकि, 1939 से 2000 के बीच जन्म लेने वाली जेनरेशंस के लिए यह वृद्धि घटकर केवल 3 महीने प्रति जेनरेशन रह गई. José Andrade (Max Planck Institute) के अनुसार, "हमने भविष्यवाणी की है कि 1980 में जन्म लेने वाले लोग औसतन 100 साल तक नहीं जिएंगे और हमारी स्टडी की कोई भी समूह यह मील का पत्थर नहीं छुएगी." क्यों रुक गई लाइफ एक्सपेक्टेंसी की तेजी? रिसर्च के मुताबिक, पहले की काफी ज्यादा वृद्धि बच्चों की सर्वाइवल में उल्लेखनीय सुधार के कारण हुई थी. 20वीं सदी की शुरुआत में इंफैंट मोरलटी तेजी से घट रही थी, हेल्थकेयर, सैनिटेशन और लाइफस्टाइल बेहतर हो रहे थे, जिससे लाइफ एक्सपेक्टेंसी में तेजी आई. आज, बच्चों और शिशुओं की मोरलटी बहुत कम हो गई है. इसलिए केवल बड़े उम्र के समूह में सुधार लाइफ एक्सपेक्टेंसी को उतनी तेजी से बढ़ा नहीं पाएंगे. रिसर्चर्स का कहना है, "भले ही हमारी भविष्यवाणियां निराशाजनक लगें, लेकिन इनमें बदलाव की संभावना बहुत कम है." भविष्य के लिए चेतावनी यह स्टडी सरकारों, हेल्थकेयर सिस्टम और पेंशन योजना के लिए महत्वपूर्ण जानकारी देती है. भविष्य की रणनीति और सामाजिक नीतियां तैयार करने के लिए इसे गंभीरता से लेना जरूरी है. अगर हम अपने जिंदगी को थोड़ा ज्यादा इंज्वाय करना चाहते हैं तो, हमें अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करना होगा. इसे भी पढ़ें: ब्रेन स्ट्रोक से पहले शरीर करता है ये इशारे, दिखते ही भागें डॉक्टर के पास Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

पुराने दौर से आज के दौर में लगभग सब कुछ बदल गया है, करियर बनाने की होड़ ने लोगों के लाइफस्टाइल में काफी बदलाव किया है. हाल ही में प्रकाशित एक नई रिसर्च ने लाइफ एक्सपेक्टेंसी के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है. स्टडी के अनुसार, 1939 के बाद जन्म लेने वाले कोई भी जेनरेशन औसतन 100 साल तक नहीं पहुंच पाएगी. यह निष्कर्ष PNAS जर्नल में प्रकाशित स्टडी और 23 हाई-इनकम देशों के डेटा पर आधारित है. चलिए आपको इसके बारे में पूरी बात बताते हैं कि आखिर मामला क्या है.
क्या निकला रिसर्च में?
स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने ह्यूमन मोरलटी डेटाबेस के डेटा और छह अलग-अलग मॉरलटी भविष्यवाणी तरीकों का उपयोग किया. डॉ. Hector Pifarre i Arolas (University of Wisconsin-Madison) कहते हैं, "20वीं सदी के पहले आधे हिस्से में जो अपने पीक वाली लाइफ एक्सपेक्टेंसी में हमने देखा, वह अब दोबारा हासिल करना मुश्किल है. अगर कोई बड़ा मेडिकल या बायोलॉजिकल ब्रेकथ्रू नहीं होता, तो लाइफ एक्सपेक्टेंसी पहले जैसी तेजी से नहीं बढ़ पाएगी."
हर महीने बढ़ रही थी जिंदगी
1900 से 1938 तक हर नई जेनरेशन की लाइफ एक्सपेक्टेंसी लगभग 5.5 महीने बढ़ी. उदाहरण के लिए, 1900 में हाई-इनकम देश में जन्म लेने वाले की औसत उम्र 62 साल थी, जबकि 1938 में जन्म लेने वाले की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 80 साल तक पहुंच गई. हालांकि, 1939 से 2000 के बीच जन्म लेने वाली जेनरेशंस के लिए यह वृद्धि घटकर केवल 3 महीने प्रति जेनरेशन रह गई. José Andrade (Max Planck Institute) के अनुसार, "हमने भविष्यवाणी की है कि 1980 में जन्म लेने वाले लोग औसतन 100 साल तक नहीं जिएंगे और हमारी स्टडी की कोई भी समूह यह मील का पत्थर नहीं छुएगी."
क्यों रुक गई लाइफ एक्सपेक्टेंसी की तेजी?
रिसर्च के मुताबिक, पहले की काफी ज्यादा वृद्धि बच्चों की सर्वाइवल में उल्लेखनीय सुधार के कारण हुई थी. 20वीं सदी की शुरुआत में इंफैंट मोरलटी तेजी से घट रही थी, हेल्थकेयर, सैनिटेशन और लाइफस्टाइल बेहतर हो रहे थे, जिससे लाइफ एक्सपेक्टेंसी में तेजी आई.
आज, बच्चों और शिशुओं की मोरलटी बहुत कम हो गई है. इसलिए केवल बड़े उम्र के समूह में सुधार लाइफ एक्सपेक्टेंसी को उतनी तेजी से बढ़ा नहीं पाएंगे. रिसर्चर्स का कहना है, "भले ही हमारी भविष्यवाणियां निराशाजनक लगें, लेकिन इनमें बदलाव की संभावना बहुत कम है."
भविष्य के लिए चेतावनी
यह स्टडी सरकारों, हेल्थकेयर सिस्टम और पेंशन योजना के लिए महत्वपूर्ण जानकारी देती है. भविष्य की रणनीति और सामाजिक नीतियां तैयार करने के लिए इसे गंभीरता से लेना जरूरी है. अगर हम अपने जिंदगी को थोड़ा ज्यादा इंज्वाय करना चाहते हैं तो, हमें अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करना होगा.
इसे भी पढ़ें: ब्रेन स्ट्रोक से पहले शरीर करता है ये इशारे, दिखते ही भागें डॉक्टर के पास
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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