'शादी रद्द करने की मांग कर रही नाबालिग की सुरक्षा सुनिश्चित करे बिहार और दिल्ली पुलिस', बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 जून, 2025) को बिहार के पुलिस महानिदेशक और दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वे अपनी शादी को रद्द करने की मांग कर रही नाबालिग लड़की को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें. जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि लड़की और उसके दोस्त को अपनी जान को खतरा है और अधिकारी उनसे संपर्क करके आवश्यक सहायता प्रदान करें. दोस्त के साथ फरार बताई जा रही लड़की ने दावा किया कि नौ दिसंबर, 2024 को साढ़े 16 साल की उम्र में जबरन उसकी शादी कर दी गई और अब पति और ससुराल वाले उसे इस विवाह को निभाने के लिए मजबूर कर रहे हैं. शादी के वक्त पति की उम्र 32-33 साल थी. बेंच ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए बिहार प्रशासन, लड़की के पति और ससुराल वालों को 15 जुलाई तक जवाब देने का निर्देश दिया है. लड़की ने याचिका में कहा है कि उसके ससुराल वालों ने माता-पिता के घर लौटने की अनुमति नहीं दी और दावा किया कि उन्होंने शादी के लिए बहुत पैसा दिया और खर्च किया है. लड़की ने कहा कि ससुराल वालों ने बार-बार उससे कहा कि वे एक बच्चा चाहते हैं. लड़की ने दावा किया कि वह आगे पढ़ना चाहती है, लेकिन ससुर ने उसे उसके माता-पिता के पास वापस जाने की अनुमति देने के वादे के बावजूद कैद में रखा. याचिका में कहा गया है, 'वर्तमान रिट याचिका... मित्र के माध्यम से 16 साल की नाबालिग याचिकाकर्ता की ओर से दायर की गई है, जिसे इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती किए गए बाल विवाह में बने रहने का विरोध करने के कारण जान का खतरा है.' नाबालिग ने दावा किया कि वह अपने एक दोस्त के साथ भागी हुई है और उसे डर है कि अगर वे बिहार लौटेंगे तो उनकी जान को खतरा हो सकता है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से उसकी शादी खत्म करने की गुहार लगाई है. उसका पति एक सिविल ठेकेदार है और पति का कहना है कि याचिकाकर्ता के माता-पिता उसके कर्जदार हैं इसलिए लड़की को यह शादी जारी रखनी होगी. याचिकाकर्ता ने शादी खत्म करने और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत ससुरालवालों और पति के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 जून, 2025) को बिहार के पुलिस महानिदेशक और दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वे अपनी शादी को रद्द करने की मांग कर रही नाबालिग लड़की को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें.
जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि लड़की और उसके दोस्त को अपनी जान को खतरा है और अधिकारी उनसे संपर्क करके आवश्यक सहायता प्रदान करें.
दोस्त के साथ फरार बताई जा रही लड़की ने दावा किया कि नौ दिसंबर, 2024 को साढ़े 16 साल की उम्र में जबरन उसकी शादी कर दी गई और अब पति और ससुराल वाले उसे इस विवाह को निभाने के लिए मजबूर कर रहे हैं. शादी के वक्त पति की उम्र 32-33 साल थी.
बेंच ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए बिहार प्रशासन, लड़की के पति और ससुराल वालों को 15 जुलाई तक जवाब देने का निर्देश दिया है. लड़की ने याचिका में कहा है कि उसके ससुराल वालों ने माता-पिता के घर लौटने की अनुमति नहीं दी और दावा किया कि उन्होंने शादी के लिए बहुत पैसा दिया और खर्च किया है.
लड़की ने कहा कि ससुराल वालों ने बार-बार उससे कहा कि वे एक बच्चा चाहते हैं. लड़की ने दावा किया कि वह आगे पढ़ना चाहती है, लेकिन ससुर ने उसे उसके माता-पिता के पास वापस जाने की अनुमति देने के वादे के बावजूद कैद में रखा.
याचिका में कहा गया है, 'वर्तमान रिट याचिका... मित्र के माध्यम से 16 साल की नाबालिग याचिकाकर्ता की ओर से दायर की गई है, जिसे इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती किए गए बाल विवाह में बने रहने का विरोध करने के कारण जान का खतरा है.' नाबालिग ने दावा किया कि वह अपने एक दोस्त के साथ भागी हुई है और उसे डर है कि अगर वे बिहार लौटेंगे तो उनकी जान को खतरा हो सकता है.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से उसकी शादी खत्म करने की गुहार लगाई है. उसका पति एक सिविल ठेकेदार है और पति का कहना है कि याचिकाकर्ता के माता-पिता उसके कर्जदार हैं इसलिए लड़की को यह शादी जारी रखनी होगी. याचिकाकर्ता ने शादी खत्म करने और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत ससुरालवालों और पति के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है.
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