लंबे समय तक बैठे रहने से सर्वाइकल की हो सकती है समस्या, जानिए कैसे करें दूर
Cervical Pain Prevention Tips: घंटों तक लैपटॉप के सामने बैठकर काम करना, मोबाइल पर झुककर स्क्रॉल करना और बिना ब्रेक के लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना हमारी सेहत पर गहरा असर डालता है. इसका सबसे बड़ा शिकार हमारी गर्दन और रीढ़ की हड्डी बनती है, जिससे धीरे-धीरे सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (Cervical Spondylosis) की समस्या सामने आती है. यह दर्द और अकड़न न केवल काम को प्रभावित करती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी कम कर देती है. डॉ. सुभाष गोयल बताते हैं कि सर्वाइकल की समस्या आज सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, बल्कि 25 से 40 वर्ष की उम्र के युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है. ये भी पढ़े- क्या चंद्रग्रहण से प्रेग्नेंट महिला के बच्चे पर पड़ता है असर, जान लें क्या कहते हैं एक्सपर्ट? लंबे समय तक बैठना क्यों है खतरनाक? जब हम लगातार लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो हमारी रीढ़ की हड्डी और गर्दन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. खराब पोश्चर और बिना हिले-डुले बैठना मांसपेशियों को कठोर बना देता है. यही आदत समय के साथ सर्वाइकल पेन, गर्दन में अकड़न, सिरदर्द और हाथों में झनझनाहट जैसी समस्याओं का कारण बनती है. सर्वाइकल से बचने के आसान उपाय हर 30 मिनट में ब्रेक लें – काम के बीच खड़े होकर 2 मिनट टहलें या हल्की स्ट्रेचिंग करें. सही पोश्चर अपनाएं – कुर्सी पर सीधे बैठें और लैपटॉप/कंप्यूटर को आंखों की लेवल पर रखें. गर्दन की स्ट्रेचिंग करें – दिन में 2 बार गर्दन को धीरे-धीरे दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे घुमाएं. योगासन और प्राणायाम – भुजंगासन, ताड़ासन, गोमुखासन और अनुलोम-विलोम बहुत लाभकारी माने जाते हैं. गर्म पानी की सिंकाई – सर्वाइकल पेन होने पर गर्म पानी की बोतल या तौलिये से सिकाई करना राहत देता है. खानपान में रखें ध्यान सही आहार भी सर्वाइकल दर्द से बचाने में मददगार है. हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम और विटामिन D युक्त आहार लें. दूध, पनीर, हरी सब्जियां और सूरज की रोशनी इसके बेहतरीन स्रोत हैं. ओमेगा-3 फैटी एसिड (अलसी, अखरोट, मछली) भी सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है. लाइफस्टाइल में बदलाव मोबाइल इस्तेमाल करते समय उसे आंखों की लेवल पर रखें. लंबे समय तक लगातार गाड़ी न चलाएं. ऑफिस में एर्गोनॉमिक चेयर का इस्तेमाल करें. रोजाना 20 मिनट वॉक या हल्की एक्सरसाइज जरूर करें. इसे भी पढ़ें- 6 साल की उम्र में मोटापा और 10 साल की उम्र में डायबिटीज, छोटे-छोटे बच्चों को क्यों हो रहीं लाइफस्टाइल वाली बीमारियां? Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Cervical Pain Prevention Tips: घंटों तक लैपटॉप के सामने बैठकर काम करना, मोबाइल पर झुककर स्क्रॉल करना और बिना ब्रेक के लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना हमारी सेहत पर गहरा असर डालता है. इसका सबसे बड़ा शिकार हमारी गर्दन और रीढ़ की हड्डी बनती है, जिससे धीरे-धीरे सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (Cervical Spondylosis) की समस्या सामने आती है. यह दर्द और अकड़न न केवल काम को प्रभावित करती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी कम कर देती है.
डॉ. सुभाष गोयल बताते हैं कि सर्वाइकल की समस्या आज सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, बल्कि 25 से 40 वर्ष की उम्र के युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है.
ये भी पढ़े- क्या चंद्रग्रहण से प्रेग्नेंट महिला के बच्चे पर पड़ता है असर, जान लें क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
लंबे समय तक बैठना क्यों है खतरनाक?
जब हम लगातार लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो हमारी रीढ़ की हड्डी और गर्दन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. खराब पोश्चर और बिना हिले-डुले बैठना मांसपेशियों को कठोर बना देता है. यही आदत समय के साथ सर्वाइकल पेन, गर्दन में अकड़न, सिरदर्द और हाथों में झनझनाहट जैसी समस्याओं का कारण बनती है.
सर्वाइकल से बचने के आसान उपाय
- हर 30 मिनट में ब्रेक लें – काम के बीच खड़े होकर 2 मिनट टहलें या हल्की स्ट्रेचिंग करें.
- सही पोश्चर अपनाएं – कुर्सी पर सीधे बैठें और लैपटॉप/कंप्यूटर को आंखों की लेवल पर रखें.
- गर्दन की स्ट्रेचिंग करें – दिन में 2 बार गर्दन को धीरे-धीरे दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे घुमाएं.
- योगासन और प्राणायाम – भुजंगासन, ताड़ासन, गोमुखासन और अनुलोम-विलोम बहुत लाभकारी माने जाते हैं.
- गर्म पानी की सिंकाई – सर्वाइकल पेन होने पर गर्म पानी की बोतल या तौलिये से सिकाई करना राहत देता है.
खानपान में रखें ध्यान
- सही आहार भी सर्वाइकल दर्द से बचाने में मददगार है.
- हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम और विटामिन D युक्त आहार लें.
- दूध, पनीर, हरी सब्जियां और सूरज की रोशनी इसके बेहतरीन स्रोत हैं.
- ओमेगा-3 फैटी एसिड (अलसी, अखरोट, मछली) भी सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है.
लाइफस्टाइल में बदलाव
- मोबाइल इस्तेमाल करते समय उसे आंखों की लेवल पर रखें.
- लंबे समय तक लगातार गाड़ी न चलाएं.
- ऑफिस में एर्गोनॉमिक चेयर का इस्तेमाल करें.
- रोजाना 20 मिनट वॉक या हल्की एक्सरसाइज जरूर करें.
इसे भी पढ़ें- 6 साल की उम्र में मोटापा और 10 साल की उम्र में डायबिटीज, छोटे-छोटे बच्चों को क्यों हो रहीं लाइफस्टाइल वाली बीमारियां?
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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