रामायण और महाभारत के वो 20 किरदार, जो दोनों महाकाव्यों में थे! जानें इनके नाम

Same characters Ramayana and Mahabharat: रामायण और महाभारत दोनों ही प्राचीन महाकाव्य है. दोनों ही महाकाव्य भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा होने के साथ धार्मिक धरोहर भी है. इनकी कहानी बेशक अलग हो, लेकिन कुछ ऐसे दिव्य और चिरंजीवी पात्र भी हैं, जिनका जिक्र दोनों ही ग्रंथों में देखने को मिलता है. हनुमान, परशुराम, नारद, वशिष्ठ और दुर्वासा ऋषि के अलावा भी कई ऐसे पात्र हैं, जिनका उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों ही ग्रंथों में देखने को मिलता है. आइए जानते हैं उन विशेष पात्रों के बारे में जिन का जिक्र दोनों ही युगों में किया गया है.  देवी गंगा का जिक्र दोनों महाकाव्यों में रामायण में ऋषि विश्वामित्र जब श्रीराम को कहानी सुनाते हुए बताते हैं कि, कैसे भागीरथ ने कठिन तपस्या करके देवी गंगा को धरती पर अवतरित किया था, ताकि उनके पूर्वजों का उद्धार हो सके. वहीं महाभारत में गंगा भीष्म (देवव्रत) की मां थी. उन्होंने राजा शांतनु से विवाह कर 8 पुत्रों को जन्म दिया था. ऋक्षराज जामवंतरामायण और महाभारत में जामवंत का भी जिक्र है. ऋक्षराज जामवंत रामायण काल में सुग्रीव के सेनापति होने के साथ बलशाली योद्धा भी थे. रामायण में हनुमान को उनकी शक्तियों का स्मरण कराने वाले जांबवंत ही थे. वहीं महाभारत काल में जब श्री कृष्ण से जामवंती (जो जामवंत की बेटी थी) के विवाह का प्रसंग आता है, तब जामवंत श्रीकृष्ण से मिलते हैं.  अप्सरा उर्वशीरामायण और महाभारत में उर्वशी नाम की अप्सरा का भी जिक्र किया गया है. रामायण में अप्सरा उर्वशी का जिक्र देवताओं की सभा में आता है. जबकि महाभारत में उर्वशी और राजा पुरुरवा चंद्रवंश के पूर्वज माने जाते हैं. महाभारत में उर्वशी अर्जुन को श्राप देती है, जब वह उनके प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं.  विभीषण का जिक्र रामायण और महाभारत में रामायण का पात्र विभीषण का जिक्र महाभारत में भी होता है. रावण की मृत्यु के बाद लंका का राजा विभीषण को घोषित किया जाता है. लेकिन कम लोग ही इस बारे में जानते होंगे की महाभारत में भी विभीषण का जिक्र है. कहते हैं घटोत्कच युधिष्ठिर को समर्थन दिलाने के लिए लंका के राजा विभीषण से मिलने गए थे. बाद में विभीषण ने युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में हिस्सा लिया था. महर्षि अगस्त्य मुनिमहर्षि अगस्त्य मुनि का भी जिक्र रामायण और महाभारत दोनों में होता है. रामायण काल में जहां अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को आदित्य हृदयम का ज्ञान दिया था, तो वहीं महाभारत में उन्होंने द्रोणाचार्य को ब्रह्मास्त्र जैसे महाशक्तिशाली अस्त्र दिए थे.  लोपामुद्रा का जिक्र दोनों महाकाव्य मेंरामायण और महाभारत में लोपामुद्रा का भी जिक्र है. लोपामुद्रा अगस्त्य ऋषि के साथ दंडकारण्य में निवास करती थी. जहां उनकी भेंट रामायण काल में राम, सीता और लक्ष्मण से हुई थी. वहीं महाभारत के वनपर्व अध्याय में लोपामुद्रा का वर्णन मिलता है, जहां उनका अगस्त्य ऋषि के साथ विवाह और संयमशील जीवन का उल्लेख विस्तार पूर्वक किया गया है.  मायासुरमायासुर जो रामायण काल में रावण का ससुर और मंदोदरी का पिता था. महाभारत में खांडव वन दहन के बाद मायासुर को अर्जुन और श्रीकृष्ण ने जीवनदान दिया था. जिसके बाद मायासुर ने युधिष्ठिर के लिए भव्य सभा भवन का निर्माण किया था. महादेव और मां शक्ति का जिक्र दोनों महाकाव्य मेंमहादेव और मां शक्ति का जिक्र रामायण और महाभारत काल दोनों में आता है. कहा जाता है कि रामायण की आदि कथा महादेव ने मां शक्ति को सुनाई थी, जिसे काकभुशुंडी ने सुन लिया था और फिर ये कथा पूरे जगत में फैल गई थी. जिसके बाद श्रीराम ने शिवजी की रामेश्वर में पूजा कर शिवलिंग की स्थापना की थी, इसके साथ ही रावण भी शिव जी का परम भक्त था. महाभारत में महादेव और मां शक्ति का जिक्र तब आता है, जब शिव किरात रूप धारण करके अर्जुन की परीक्षा लेते हैं और मां शक्ति के साथ दर्शन देकर पाशुपतास्त्र भेंट करते हैं. कुबेररामायण के अनुसार कुबेर रावण का सबसे बड़ा सौतेला भाई था. वहीं महाभारत में कुबेर का जिक्र तब आता है, जब भीम द्रौपदी के कहने पर कुबेर क्षेत्र के एक ताल पर कमल लेने जाते हैं और कई यक्षों को पस्त करते हैं. मैंद और द्विविद का जिक्रमैंद और द्विविद का जिक्र भी महाभारत और रामायण काल में है. रामायण में मैंद और द्विविद दोनों वानर थे, जिसका पालन पोषण जामवंत ने किया था. अश्विनी देवताओं के आशीर्वाद से दोनों का जन्म किष्किंधा में हुआ था. श्री राम रावण युद्ध में दोनों ने श्रीराम का साथ दिया था. वहीं महाभारत में उन्होंने अश्वमेध का अश्व रोका था, इसके साथ ही सहदेव के साथ मिलकर सात दिनों तक युद्ध किया और युधिष्ठिर के राज्याभिषेक में शामिल हुए थे.  महर्षि भारद्वाजमहर्षि भारद्वाज का जिक्र भी रामायण और महाभारत काल दोनों में देखने को मिलता है. रामायण काल में राम और सीता भारद्वाज मुनि से उनके आश्रम में मिले थे. बाद में उनके आश्रम में भरत भी आए थे. जबकि महाभारत में महर्षि भारद्वाज द्रोणाचार्य के पिता होने के साथ गुरु भी थे, जिन्होंने गुरु द्रोण को अस्त्र-शस्त्र की कला सिखाई थी. महर्षि भारद्वाज के दो मुख्य शिष्य अग्निवेश और पंचाल के राजा द्रुपद थे. महाभारत और रामायण का संबंधमहाभारत के वनपर्व के दौरान जब द्रौपदी का अपहरण होता है और पांडव इससे उबरने के लिए युधिष्ठिर अपने जीवन में अन्याय और दुख का कारण समझने के लिए ऋषि मार्कण्डेय से उनके आश्रम में मिलने जाते हैं. तब ऋषि मार्कण्डेय युधिष्ठिर को उनसे पहले हुए एक राजा का संघर्ष सुनाते हैं, जिसे उन्होंने 'रामोपाख्यान' नाम दिया, जो रामायण की कथा भी है. ऋषि मार्कण्डेय ने युधिष्ठिर को ये कथा इसलिए सुनाई ताकि वो अपने धर्म और कर्तव्य का महत्व समझें. इसी तरह ऋषि पराशर, पुलात्सय, विश्वामित्र और अन्य पात्र महाभारत और रामायण दोनों में दिखाई दिए थे. रामायण में बाली और महाभारत में अर्जुन दोनों ही इंद्रदेव के अंश थे. वही सुग्रीव और

Jun 27, 2025 - 09:30
 0
रामायण और महाभारत के वो 20 किरदार, जो दोनों महाकाव्यों में थे! जानें इनके नाम

Same characters Ramayana and Mahabharat: रामायण और महाभारत दोनों ही प्राचीन महाकाव्य है. दोनों ही महाकाव्य भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा होने के साथ धार्मिक धरोहर भी है. इनकी कहानी बेशक अलग हो, लेकिन कुछ ऐसे दिव्य और चिरंजीवी पात्र भी हैं, जिनका जिक्र दोनों ही ग्रंथों में देखने को मिलता है.

हनुमान, परशुराम, नारद, वशिष्ठ और दुर्वासा ऋषि के अलावा भी कई ऐसे पात्र हैं, जिनका उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों ही ग्रंथों में देखने को मिलता है. आइए जानते हैं उन विशेष पात्रों के बारे में जिन का जिक्र दोनों ही युगों में किया गया है. 

देवी गंगा का जिक्र दोनों महाकाव्यों में 
रामायण में ऋषि विश्वामित्र जब श्रीराम को कहानी सुनाते हुए बताते हैं कि, कैसे भागीरथ ने कठिन तपस्या करके देवी गंगा को धरती पर अवतरित किया था, ताकि उनके पूर्वजों का उद्धार हो सके. वहीं महाभारत में गंगा भीष्म (देवव्रत) की मां थी. उन्होंने राजा शांतनु से विवाह कर 8 पुत्रों को जन्म दिया था.

ऋक्षराज जामवंत
रामायण और महाभारत में जामवंत का भी जिक्र है. ऋक्षराज जामवंत रामायण काल में सुग्रीव के सेनापति होने के साथ बलशाली योद्धा भी थे. रामायण में हनुमान को उनकी शक्तियों का स्मरण कराने वाले जांबवंत ही थे.

वहीं महाभारत काल में जब श्री कृष्ण से जामवंती (जो जामवंत की बेटी थी) के विवाह का प्रसंग आता है, तब जामवंत श्रीकृष्ण से मिलते हैं. 

अप्सरा उर्वशी
रामायण और महाभारत में उर्वशी नाम की अप्सरा का भी जिक्र किया गया है. रामायण में अप्सरा उर्वशी का जिक्र देवताओं की सभा में आता है. जबकि महाभारत में उर्वशी और राजा पुरुरवा चंद्रवंश के पूर्वज माने जाते हैं. महाभारत में उर्वशी अर्जुन को श्राप देती है, जब वह उनके प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं. 

विभीषण का जिक्र रामायण और महाभारत में 
रामायण का पात्र विभीषण का जिक्र महाभारत में भी होता है. रावण की मृत्यु के बाद लंका का राजा विभीषण को घोषित किया जाता है. लेकिन कम लोग ही इस बारे में जानते होंगे की महाभारत में भी विभीषण का जिक्र है.

कहते हैं घटोत्कच युधिष्ठिर को समर्थन दिलाने के लिए लंका के राजा विभीषण से मिलने गए थे. बाद में विभीषण ने युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में हिस्सा लिया था.

महर्षि अगस्त्य मुनि
महर्षि अगस्त्य मुनि का भी जिक्र रामायण और महाभारत दोनों में होता है. रामायण काल में जहां अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को आदित्य हृदयम का ज्ञान दिया था, तो वहीं महाभारत में उन्होंने द्रोणाचार्य को ब्रह्मास्त्र जैसे महाशक्तिशाली अस्त्र दिए थे. 

लोपामुद्रा का जिक्र दोनों महाकाव्य में
रामायण और महाभारत में लोपामुद्रा का भी जिक्र है. लोपामुद्रा अगस्त्य ऋषि के साथ दंडकारण्य में निवास करती थी. जहां उनकी भेंट रामायण काल में राम, सीता और लक्ष्मण से हुई थी.

वहीं महाभारत के वनपर्व अध्याय में लोपामुद्रा का वर्णन मिलता है, जहां उनका अगस्त्य ऋषि के साथ विवाह और संयमशील जीवन का उल्लेख विस्तार पूर्वक किया गया है. 

मायासुर
मायासुर जो रामायण काल में रावण का ससुर और मंदोदरी का पिता था. महाभारत में खांडव वन दहन के बाद मायासुर को अर्जुन और श्रीकृष्ण ने जीवनदान दिया था. जिसके बाद मायासुर ने युधिष्ठिर के लिए भव्य सभा भवन का निर्माण किया था.

महादेव और मां शक्ति का जिक्र दोनों महाकाव्य में
महादेव और मां शक्ति का जिक्र रामायण और महाभारत काल दोनों में आता है. कहा जाता है कि रामायण की आदि कथा महादेव ने मां शक्ति को सुनाई थी, जिसे काकभुशुंडी ने सुन लिया था और फिर ये कथा पूरे जगत में फैल गई थी.

जिसके बाद श्रीराम ने शिवजी की रामेश्वर में पूजा कर शिवलिंग की स्थापना की थी, इसके साथ ही रावण भी शिव जी का परम भक्त था. महाभारत में महादेव और मां शक्ति का जिक्र तब आता है, जब शिव किरात रूप धारण करके अर्जुन की परीक्षा लेते हैं और मां शक्ति के साथ दर्शन देकर पाशुपतास्त्र भेंट करते हैं.

कुबेर
रामायण के अनुसार कुबेर रावण का सबसे बड़ा सौतेला भाई था. वहीं महाभारत में कुबेर का जिक्र तब आता है, जब भीम द्रौपदी के कहने पर कुबेर क्षेत्र के एक ताल पर कमल लेने जाते हैं और कई यक्षों को पस्त करते हैं.

मैंद और द्विविद का जिक्र
मैंद और द्विविद का जिक्र भी महाभारत और रामायण काल में है. रामायण में मैंद और द्विविद दोनों वानर थे, जिसका पालन पोषण जामवंत ने किया था. अश्विनी देवताओं के आशीर्वाद से दोनों का जन्म किष्किंधा में हुआ था.

श्री राम रावण युद्ध में दोनों ने श्रीराम का साथ दिया था. वहीं महाभारत में उन्होंने अश्वमेध का अश्व रोका था, इसके साथ ही सहदेव के साथ मिलकर सात दिनों तक युद्ध किया और युधिष्ठिर के राज्याभिषेक में शामिल हुए थे. 

महर्षि भारद्वाज
महर्षि भारद्वाज का जिक्र भी रामायण और महाभारत काल दोनों में देखने को मिलता है. रामायण काल में राम और सीता भारद्वाज मुनि से उनके आश्रम में मिले थे. बाद में उनके आश्रम में भरत भी आए थे.

जबकि महाभारत में महर्षि भारद्वाज द्रोणाचार्य के पिता होने के साथ गुरु भी थे, जिन्होंने गुरु द्रोण को अस्त्र-शस्त्र की कला सिखाई थी. महर्षि भारद्वाज के दो मुख्य शिष्य अग्निवेश और पंचाल के राजा द्रुपद थे.

महाभारत और रामायण का संबंध
महाभारत के वनपर्व के दौरान जब द्रौपदी का अपहरण होता है और पांडव इससे उबरने के लिए युधिष्ठिर अपने जीवन में अन्याय और दुख का कारण समझने के लिए ऋषि मार्कण्डेय से उनके आश्रम में मिलने जाते हैं.

तब ऋषि मार्कण्डेय युधिष्ठिर को उनसे पहले हुए एक राजा का संघर्ष सुनाते हैं, जिसे उन्होंने 'रामोपाख्यान' नाम दिया, जो रामायण की कथा भी है. ऋषि मार्कण्डेय ने युधिष्ठिर को ये कथा इसलिए सुनाई ताकि वो अपने धर्म और कर्तव्य का महत्व समझें.

इसी तरह ऋषि पराशर, पुलात्सय, विश्वामित्र और अन्य पात्र महाभारत और रामायण दोनों में दिखाई दिए थे. रामायण में बाली और महाभारत में अर्जुन दोनों ही इंद्रदेव के अंश थे. वही सुग्रीव और कर्ण सूर्य देव के अंश थे. इसी तरह रामायण काल में हनुमान जी और महाभारत काल में भीम वायुदेव के अंश थे. दोनों महाकाव्य में समस्त देवगणों का अहम योगदान रहा है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow